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सहभागिता योजना : ‘गोमाता’ का चारा भी खा गए पालनहार
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संवाद न्यूज एजेंसी
झांसी। बेसहारा गोवंश काे गोद लेकर पालने की योजना में भी गड़बड़ी करने से पशुपालक बाज नहीं आ रहे हैं। 200 से ज्यादा पशुपालकों ने गायों को छुट्टा छोड़ दिया और गोमाता के चारे का पैसा भी खा गए। विभाग ने सत्यापन कराया तो इनकी पोल खुल गई। अब दागी पशुपालकों को योजना के लाभ से वंचित किया जा रहा है।
योगी सरकार में गोवंश के संरक्षण के लिए गोशालाएं खोलने के साथ ही गो संरक्षण की कई योजनाएं संचालित कर इन्हें सहारा देने के दावे भी किए जा रहे हैं। निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना भी बेसहारा गोवंश के लिए शुरू की गई। इसके लिए पशुपालक को एक गोवंश पालने के एवज हर माह 1500 रुपये दिए जाते हैं। एक पशुपालक 4 गायों को गोद ले सकता है। जिले में योजना के तहत 1,840 गोवंश को 1,222 लोगों ने गोद लिया। शुरुआती दौर में पशुपालकों ने रुझान दिखाया। अब ग्रामीण इसमें कम दिलचस्पी ले रहे हैं। यही नहीं जिन्होंने गाय गोद लीं, वह भी धीरे-धीरे गायों को फिर से छुट्टा छोड़ रहे हैं। पशुपालन विभाग हर माह सत्यापन कराकर रिपोर्ट मुख्यालय को भेजता है। अप्रैल और मई में जो सत्यापन की रिपोर्ट आई उसमें 1,840 में क्रमश: 1,675 और 1,638 ही गाय पोषित मिलीं। शेष 202 गायों को पशुपालकों ने फिर से छुट्टा छोड़ दिया।
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बेसहारा गोवंश को सहारा देने के लिए सहभागिता योजना संचालित है। इस योजना के तहत 1,840 गोवंश में वर्तमान में 1,638 गोवंश पशुपालकों द्वारा पोषित पाए गए हैं। - डॉ. जेएस पाल, प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी