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Kannauj News: एसडीआरएफ की आठ टीमें, नौ थानों की पुलिस, 60 घंटे सर्च ऑपरेशन...नतीजा शून्य

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Wed, 15 Oct 2025 12:35 AM IST
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Eight teams of SDRF, police from nine police stations, 60 hours of search operation... result zero.
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फोटो :27: धर्मवीर का फाइल फोटो
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फोटो :28: काली नदी के किनारे रोते बिलखते परिजन। संवाद
फोटो :29: नदी के किनारे तट पर तैनात पुलिस कर्मी। संवाद
फोटो :30: काली नदी में गिरे पीपल के पेड़ को हटाते लकड़हारे। संवाद
फोटो :31: काली नदी के किनारे पानी में निगरानी करते ग्रामीण। संवाद
फोटो :32: सदर कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह से बात करते इमरान बिन जफर। संवाद
फोटो :33: काली नदी में मोटर बोट से सर्च करती एसडीआरएफ। संवाद
फोटो :34: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर डाली पोस्ट

एसडीआरएफ की आठ टीमें, नौ थानों की पुलिस, 60 घंटे सर्च ऑपरेशन...नतीजा शून्य
-30 गांवों के प्रधान और 150 ग्रामीणों को भी प्रशासन ने किया तैनात, नदी के किनारे पेड़ भी कटवाए
कानपुर से पीएसी की फ्लड कंपनी और दमकल की तीन टीमें भी काली और गंगा नदी के तट पर डटीं

कन्नौज। आखिरकार धर्मवीर को जमीन खा गई या आसमान निगल गया...या फिर उसे मगरमच्छों ने निवाला बना लिया। यही सवाल सभी के जेहन में हैं। कुछ लोग तो कह रहे हैं कि वह तैर कर निकल गया पर प्रशासन का प्रयास जारी है। लखनऊ और कानपुर से आईं एसडीआरएफ की आठ टीमें, नौ थानों की पुलिस, पीएसी की दो फ्लड कंपनी, दमकल की तीन टीमें, 30 गांवों के प्रधान और 150 ग्रामीण दिन रात लगे हुए हैं। 60 घंटे लगातार सर्च ऑपरेशन चलता रहा। आधुनिक तकनीकों का भी सहारा लिया जा रहा है। नदी के किनारे खड़े पेड़ों को भी कटवाया गया पर धर्मवीर का कहीं पता नहीं चल रहा है। अब सवाल उठना लाजमी है। फिलहाल प्रशासनिक अमला जुटा हुआ है। परिजन भी नदी की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं। (संवाद)
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मां ने नदी में कूदने का किया प्रयास, पुलिसकर्मियों ने बचाया
बेटे धर्मवीर के नदी में कूदने के बाद सबसे अधिक मां अमरावती आहत हैं। उसका कहना है कि वर्ष 2014 में जब पति कमलेश की बीमारी से मौत हो गई थी, तब भी इतना कष्ट नहीं हुआ था। आज पुलिस ने उसके बेगुनाह बेटे को उससे छीन लिया। यही उसका सहारा था। बड़ा बेटा अवनीश ससुराल में रहता है। किशनपाल जनवरी से लापता है। छोटा धरमपाल दिव्यांग है तो रामजी सबसे छोटा है। केवल धर्मवीर के सहारे ही गृहस्थी की गाड़ी चल रही थी। यदि किशनपाल ने गुनाह किया तो पुलिस उसे फांसी पर चढ़ा दे..इस बेटे का क्या कसूर था। भावावेश में आकर मां ने भी काली नदी में कूदने का प्रयास किया पर वहां मौजूद महिला पुलिसकर्मियों ने उसे बचा लिया। वहीं, दादी रामकुमारी के मुंह से बोल भी नहीं निकल पा रहे हैं, वह तो इतना ही कहती है कि उसके नाती को जिंदा या मुर्दा दिखा दीजिए। बहन किरन की आंखों में भी आंसू सूख गए हैं।
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नदी में गिरे पीपल के पेड़ को जेसीबी व क्रेन से हटवाया
पुलिस प्रशासन को अंदेशा था कि डूबने के बाद धर्मवीर नदी में गिरे पीपल के पेड़ की जड़ों में न फंस गया हो। इस पर एएसपी अजय कुमार ने लकड़ी ठेकेदारों को बुलाया और जेसीबी व क्रेन की मदद से पीपल के पेड़ को काट-काटकर बाहर निकलवाया पर पता नहीं चला। ग्रामीणों ने बताया कि नदी के किनारे झाड़ियां और जड़ों का जाल बिछा है। बाढ़ के दौरान तेज बहाव से कई जड़े पानी में आ गईं हैं। ऐसे में वह उनमें फंस सकता है। एसडीआरएफ ने भी थंडर बोट से पानी को उबाल मार कर उठाया, लेकिन मंगलवार देर रात तक कोई सफलता नहीं मिली।
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एसडीआरएफ को नदी में मिले तीन मगरमच्छ
एसडीआरएफ के जवानों ने नदी के पानी में महादेवी घाट तक सर्च ऑपरेशन चलाया। इस दौरान टीम को तीन बड़े-बड़े मगरमच्छ मिले। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि 17 साल के धर्मवीर को मगरमच्छ भी निवाला बना सकते हैं। काली नदी और गंगा के तट पर तीन ट्रक पीएसी भी डटी है। एएसपी अजय कुमार व सीओ सिटी अभिषेक प्रताप अजेय व कोतवाल कपिल दुबे पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं। एएसपी ने बताया कि धर्मवीर को जिस मछुआरे व महिला ने नदी में डूबते देखा था, उनको भी नदी के तट पर लाकर पूछा गया है। 60 घंटे के सर्च ऑपरेशन के बाद भी उसका पता नहीं चला।
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डीजीपी ने एसपी से मोबाइल पर ली जानकारी
एसपी विनोद कुमार ने बताया कि गुरसहायगंज कोतवाली क्षेत्र के देवीपुरवा गांव में किशोर के नदी में कूदने के बाद डीजीपी राजीव कृष्ण ने भी मोबाइल से घटना की जानकारी ली। डीजीपी ने इस मामले में दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। एसपी ने बताया कि आरोपी नौरंगपुर चौकी प्रभारी हरीश यादव व सिपाही रवींद्र कुमार समेत गुरसहायगंज कोतवाल आलोक दुबे को निलंबित कर पूरी घटना की जांच अपर पुलिस अधीक्षक अजय कुमार को सौंपी गई है।
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परिजनों को मिले 10 लाख का मुआवजा
लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से प्रत्याशी रहे इमरान बिन जफर भी देवीपुरवा गांव पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि धर्मवीर के परिजनों को सरकार 10 लाख रुपये का मुआवजा दें। साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी प्रदान करें। मां को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाया जाए। इस मामले में दोषी पुलिस कर्मियों को बर्खास्त किया जाए।
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पुलिस अभय का प्रतीक होनी चाहिए : अखिलेश
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया पर इस घटना की वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि-पुलिस अभय का प्रतीक होनी चाहिए, भय का नहीं। पुलिस को फर्जी एनकाउंटर करने पर मजबूर करके भाजपा सरकार ने पुलिस की कार्यशैली व छवि को शंका के घेरे में लाकर न केवल बुरी तरह धूमिल किया है बल्कि भयावह भी बना दिया है। दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
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