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Kannauj News: एसटीएफ ने ढहाया था बावरिया गिरोह का किला

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Sun, 21 Dec 2025 12:00 AM IST
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The STF had demolished the fort of the Bawariya gang.
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कन्नौज। वर्ष 2016 में बहुचर्चित बुलंदशहर गैंगरेप कांड में आरोपी सलीम बावरिया, जुबैर और परवेज को दोषी करार देने के बाद एक बार फिर जिले में इनका नाम चर्चा में आ गया है। हालांकि, गिरोह के सरगना सलीम बावरिया का इंतकाल हो चुका है पर गिरोह आज भी जिंदा है। घोड़े रखने के शौकीन इस गिरोह का किला वर्ष 2017 में एसटीएफ ने ढहा दिया था।तब से ये किसी अन्य प्रदेशों में शरण लिए थे।
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तिर्वा कोतवाली क्षेत्र के गांव रामपुर बिनौरा में रहने वाले लोगों के जेहन में उस दौर की खौफनाक यादें ताजा हो गई हैं जब बावरिया डेरे की दहशत कई वर्षों तक पूरे इलाके पर हावी रही। कुछ लोग इन्हें बांग्लादेशी मान रहे थे। सरगना सलीम बावरिया की जेल में मौत हो चुकी है। एसटीएफ ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से इनके डेरे उखाड़ कर फेंक दिए थे। सख्ती के बाद वर्ष 2017 में अन्य लोग डेरा छोड़कर ये लोग कहीं और चले गए। स्थानीय लोगों के मुताबिक वर्ष 2010 के आसपास यहां आकर बसे इन घुमंतू लोगों से पूरा इलाका सहमा रहता था।
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हालात यह थे कि इनके डेरे के आसपास से गुजरने में भी ग्रामीण डरते थे। अपराध की आशंका और आपराधिक गतिविधियों की चर्चा के चलते गांव और आसपास के क्षेत्र में भय का माहौल बना रहता था। स्थानीय नेताओं और ग्रामीणों की शिकायतों के बाद वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इन घुमंतू लोगों को हटाने के आदेश भी जारी किए थे। आदेश के बावजूद वर्षों तक कार्रवाई नहीं हो सकी। डेरे में पुलिस की घुसपैठ भी आसान नहीं थी।
छापेमारी से पहले पुलिस अधिकारियों को कई बार सोच-विचार करना पड़ता था। कई बार पुलिस गई तो डेरे की महिलाएं बच्चों को पटकने लगती थीं जिससे पुलिस लौट आती थी। बुलंदशहर गैंगरेप कांड में सलीम बावरिया, जुबैर और परवेज की गिरफ्तारी के बाद यह डेरा सुर्खियों में आया। लोगों के मुताबिक उस समय यहां 24 झोपड़ियां थीं। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सख्ती दिखाई और वर्ष 2017 में डेरा खाली करा लिया गया। इसके बाद डेरा छोड़कर ये लोग कहीं और चले गए। उस दौरान सीबीआई ने भी कई बार डेरे पर छापा मारकर सदस्यों से पूछताछ की थी। एसपी विनोद कुमार ने बताया कि इन बदमाशों ने आधार कार्ड कन्नौज जिले के बनवा लिए हैं जबकि यहां कोई रहता नहीं है। कई बार बाहर की पुलिस आई, लेकिन कोई नहीं मिला। अब जिले में बावरिया गिरोह का कोई सक्रिय सदस्य नहीं है।
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