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टेलीकॉम सेक्टर में क्रांति: स्वदेशी 5जी तकनीक से की गई वीडियो कॉलिंग सफल, आईआईटी कानपुर ने बनाई मोबाइल बेसबैंड यूनिट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Fri, 06 May 2022 11:33 PM IST
सार

देश में अगली पीढ़ी की कम्युनिकेशन सेवा यानी 5जी सेवा को लेकर सभी टेलीकॉम कंपनियां तैयारी कर रही हैं। इससे पहले आईआईटी कानपुर में स्वदेशी 5जी तकनीक से की गई वीडियो कॉलिंग सफल रही है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने दो साल के रिसर्च के बाद मोबाइल बेसबैंड यूनिट बनाई है, जो सिग्नल को डाटा के रूप में बदलती है। 
 

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Big revolution in the telecom sector, video calling was successful in IIT Kanpur with indigenous 5G technology
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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देश ने स्वदेशी 5जी नेटवर्क तकनीक को पूरा करने के दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है। इस तकनीक का इस्तेमाल करके पहली बार की गई वीडियो कॉलिंग सफल रही है। अब आईआईटी के वैज्ञानिक 4जी और 5जी कॉल में आने वाले फर्क का आकलन करेंगे। इसमें पांच से छह माह का समय लग सकता है।

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केंद्र सरकार ने स्वदेशी 5जी नेटवर्क तैयार करने के लिए देश के चुनिंदा संस्थानों को जिम्मेदारी सौंपी थी। आईआईटी कानपुर के अलावा आईआईटी मद्रास, आईआईटी बांबे, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी दिल्ली, आईआईएससी बेंगलुरु सहित अन्य संस्थानों के वैज्ञानिक इसमें जुटे हैं। 
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आईआईटी कानपुर को बेसबैंड यूनिट विकसित करने की जिम्मेदारी मिली थी। बेसबैंड यूनिट मोबाइल टॉवर का दिल और दिमाग होती है। संस्थान के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक प्रो. रोहित बुद्धिराजा और उनकी टीम ने मोबाइल बेसबैंड यूनिट बनाई है। 

यूनिट सिग्नल को डाटा में बदलती है
प्रो. बुद्धिराजा ने बताया कि दो साल की रिसर्च के बाद वायरलेस बेस स्टेशन के लिए जरूरी बेसबैंड यूनिट तैयार हो गई है। यह यूनिट टॉवर के निचले हिस्से में लगती है। इस यूनिट का काम सिग्नल को डाटा के रूप में कन्वर्ट करना होता है। 

यह यूनिट जितना अच्छा काम करेगी, नेटवर्क की स्पीड व क्वालिटी उतनी बेहतर होगी। उन्होंने बताया कि टॉवर आईआईटी मद्रास ने और कोर नेटवर्क को आईआईटी बांबे ने तैयार किया है। एक सप्ताह पहले सभी तकनीक को इंटीग्रेड किया गया। फिर पिछले शनिवार को वीडियो कॉल का ट्रायल हुआ, जो पूरी तरह सफल रहा।

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