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UP: अंग्रेज चले गए पर ब्रिटिश कोड की सेंट्रल पर आज भी हुकूमत, तकनीकी जटिलताओं के चलते बच रहा है रेलवे

प्रसून शुक्ला, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Fri, 21 Nov 2025 11:49 AM IST
सार

Kanpur News: कानपुर सेंट्रल स्टेशन का कोड आज भी ब्रिटिश काल का CNB (कॉनपोर नॉर्थ बैरक) बना हुआ है। इसका कारण रेलवे विशेषज्ञ कोड बदलने की व्यापक तकनीकी जटिलताओं को बताते हैं, जिससे लाखों रिकॉर्ड में बदलाव करना पड़ेगा।

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Kanpur British are gone but code still rules Central railways are surviving due to technical complications
कानपुर सेंट्रल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आजादी के 78 वर्षों में सरकारें बदलीं, निजाम बदले, कई रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदले गए, लेकिन कानपुर सेंट्रल स्टेशन (सीएनबी) ब्रिटिश हुकूमत के कोड से आज तक आजाद नहीं हो सका। इसे आज भी रेलवे की तकनीकी भाषा में अंग्रेजी शासन काल में मिले सीएनबी यानि कॉनपोर (cawnpore) नार्थ बैरक के नाम से जाना जाता है। आरक्षित या अनारक्षित टिकट खरीदने पर उसमें कानपुर सेंट्रल के आगे स्टेशन कोड सीएनबी ही लिखकर आता है।

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कॉनपोर नार्थ बैरक का मतलब था कानपुर का सैन्य ठिकाना। अंग्रेजों ने उसी नाम से स्टेशन कोड सीएनबी रख दिया। प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में कई ऐतिहासिक शहरों और स्टेशनों के नाम बदले गए। फैजाबाद का नाम आधिकारिक रूप से अयोध्या कर दिया गया। इलाहाबाद प्रयागराज बना और मुगलसराय स्टेशन पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, झांसी जंक्शन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई जंक्शन कर दिया गया। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कारण है कि देश के सबसे व्यस्त स्टेशनों में गिने जाने वाले कानपुर सेंट्रल का कोड आज भी सीएनबी ही है।

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नाम बदलने का निर्णय रेलवे बोर्ड करता है
रेलवे विशेषज्ञ कहते हैं कि यह औपनिवेशिक काल की एक निशानी है, जिसे आधुनिक बदलाव की लहर के बावजूद नहीं छुआ गया। रेलवे यातायात प्रबंधक आशुतोष सिंंह कहते है कि कोड बदलना सिर्फ एक प्रतीकात्मक कदम नहीं होता। इससे टिकटिंग सिस्टम, मालगाड़ी रजिस्टर, आरक्षण डेटा, रूट डायग्राम, लाखों ऐतिहासिक रिकॉर्ड और अंतरराष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स में व्यापक बदलाव करना पड़ता है। यही वजह है कि भारतीय रेलवे कोड को बदलने से आमतौर पर बचती है। हालांकि नाम बदले जा सकते है, जिसका निर्णय रेलवे बोर्ड करता है।

कानपुर रेलवे स्टेशन का इतिहास

  • 1859 में कानपुर में रेलवे लाइन बिछाई गई। उस समय क्षेत्र का नाम कॉनपोर लिखा जाता था। 1900 से 1925 के बीच यह क्षेत्र ब्रिटिश आर्मी कैंप और बैरक क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। रेलवे का महत्वपूर्ण स्थान बैरक क्षेत्र था, जिसे कॉनपोर नार्थ बैरक कहा जाता था।
  • 1928 में नया टर्मिनल स्टेशन बनना शुरू हुआ।
  • 1930 में रेलवे स्टेशन जनता के लिए खोला गया।
  • देश आजाद होने के बाद कॉनपोर स्टेशन का नाम बदलकर कानपुर कर दिया गया।
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