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UP: चार साल बाद हटाई गई डॉ. शाहीन की नेम प्लेट, एनजीओ से जुड़े लोगों के आधा दर्जन बैंक खाते फर्जी; मिले सबूत
अमर उजाला नेटवर्क, कानपुर
Published by: शाहरुख खान
Updated Tue, 25 Nov 2025 01:59 PM IST
सार
डॉक्टर शाहीन से संबंधित एनजीओ से जुड़े लोगों के आधा दर्जन बैंक खाते फर्जी मिले हैं। खातों की पड़ताल में जांच एजेंसियों को साक्ष्य मिले हैं। खाते पश्चिमी यूपी के कई जिलों में हैं।
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डॉक्टर शाहीन।
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
दिल्ली धमाके के बाद शहर में संदिग्धों और डॉ. शाहीन से संबंध रखने वालों की जांच जारी है। जांच में डाॅ. शाहीन से संबंधित एनजीओ से जुड़े लोगों के आधा दर्जन बैंक खाते (फर्जी) म्यूल मिले हैं। आशंका है कि इनका इस्तेमाल रकम को चोरी छिपे खपाने में इस्तेमाल किया जा रहा था।
एजेंसियों को डॉ. शाहीन और एनजीओ के खातों की जांच के दौरान कुछ खास बैंक खातों से लेनदेन होने का पता चला था। इन खातों की जांच शुरू हुई तो इनमें से कुछ खाते यूपी, फरीदाबाद आदि की किशोरियों और दिहाड़ी मजदूरों के निकले।
खाताधारकों तक पहुंची जांच टीमों ने जब उनसे पूछताछ की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। खाताधारकों ने बताया कि उन्हें हर माह एक तय रकम देने की बात कहकर खाते खुलवाए गए थे। इन खातों में कब और कितनी धनराशि आई।
उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि इन लोगों ने रुपये मिलने की बात स्वीकारी है। ऐसे में जांच एजेंसियों को अंदेशा है कि बाहर से आए रुपयों को ऐसे खातों के माध्यम से निकालकर इस्तेमाल किया गया है। इन खातों में आईं धनराशि के श्रोतों का भी पता लगाया जा रहा है।
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एजेंसियों को डॉ. शाहीन और एनजीओ के खातों की जांच के दौरान कुछ खास बैंक खातों से लेनदेन होने का पता चला था। इन खातों की जांच शुरू हुई तो इनमें से कुछ खाते यूपी, फरीदाबाद आदि की किशोरियों और दिहाड़ी मजदूरों के निकले।
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खाताधारकों तक पहुंची जांच टीमों ने जब उनसे पूछताछ की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। खाताधारकों ने बताया कि उन्हें हर माह एक तय रकम देने की बात कहकर खाते खुलवाए गए थे। इन खातों में कब और कितनी धनराशि आई।
उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि इन लोगों ने रुपये मिलने की बात स्वीकारी है। ऐसे में जांच एजेंसियों को अंदेशा है कि बाहर से आए रुपयों को ऐसे खातों के माध्यम से निकालकर इस्तेमाल किया गया है। इन खातों में आईं धनराशि के श्रोतों का भी पता लगाया जा रहा है।
गम्मू खां हाते के आसपास संदिग्धों से की पूछताछ
जांच एजेंसियों ने रविवार को गम्मू खां हाते के आसपास इलाके में पूछताछ की। इस इलाके में कई कश्मीरी रह रहे हैं। जो मेवा, गर्म कपड़े आदि बेचने के सिलसिले में शहर आए हैं। इन कश्मीरी मूल के लोगों से उनकी पहचान के दस्तावेज लेकर उनका सत्यापन कराया जा रहा है।
जांच एजेंसियों ने रविवार को गम्मू खां हाते के आसपास इलाके में पूछताछ की। इस इलाके में कई कश्मीरी रह रहे हैं। जो मेवा, गर्म कपड़े आदि बेचने के सिलसिले में शहर आए हैं। इन कश्मीरी मूल के लोगों से उनकी पहचान के दस्तावेज लेकर उनका सत्यापन कराया जा रहा है।
सोमवार को दो संदिग्ध मिले हैं, इनसे पूछताछ की गई है। कई लोगों ने रुपये के लालच में बिना सत्यापन किरायेदार रख लिए थे जो अब कहीं चले गए हैं। उनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
चार साल बाद हटाई गई डॉ. शाहीन की नेम प्लेट
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग के कक्ष से डॉ. शाहीन सईद की नेम प्लेट बर्खास्तगी के चार साल बाद सोमवार को हटाई गई। वर्ष 2006 में डॉ. शाहीन के जाॅइन करने के बाद उनके कक्ष पर नेम प्लेट टांगी गई थी।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग के कक्ष से डॉ. शाहीन सईद की नेम प्लेट बर्खास्तगी के चार साल बाद सोमवार को हटाई गई। वर्ष 2006 में डॉ. शाहीन के जाॅइन करने के बाद उनके कक्ष पर नेम प्लेट टांगी गई थी।
इसके बाद कन्नौज मेडिकल कॉलेज में छह महीने के लिए तबादला किया गया तो भी नेम प्लेट कक्ष से नहीं हटाई गई। वर्ष 2013 में वह किसी को सूचना दिए बिना गायब हो गई। वर्ष 2020 में डॉ. शाहीन ने आवेदन भेजकर दोबारा जॉइन करने की इच्छा जताई थी लेकिन बर्खास्तगी की प्रक्रिया महानिदेशालय ने लगभग पूरी कर ली थी इससे जॉइन नहीं कराया गया और 2021 में बर्खास्त भी कर दिया गया था।
इसके बाद भी कक्ष में नेम प्लेट टंगी रही। डॉ. शाहीन का नाम विभागाध्यक्षों की सूची में भी शामिल था। जांच एजेंसियों की कार्रवाई के बाद अब सोमवार को नेम प्लेट हटा दी गई है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला का कहना है कि बर्खास्तगी के तुरंत बाद नेम प्लेट हटा दी जानी चाहिए थी। विभागाध्यक्ष से नेम प्लेट न हटाए जाने के संबंध में पूछताछ की जाएगी।