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व्यवस्था से हारे किसानों ने चंदा कर बनाई अस्थायी गोशाला, फसलें भी बर्बाद होने से बचीं
वरुण त्रिवेदी, अमर उजाला, घाटमपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Sun, 17 Jan 2021 10:29 PM IST
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ग्रामीणों द्वारा बनाई गई अस्थायी गोशाला में मौजूद गोवंश
- फोटो : अमर उजाला
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फसल को अन्ना मवेशियों से बचाने के लिए जिम्मेदारों की चौखट पर गुहार लगाने वाले किसानों को आश्वासन के अलावा कहीं से जब राहत नहीं मिली तो उन्होंने खुद पहल की और चंदा एकत्रित कर अस्थायी गोशाला बना दी। वर्तमान में यहां आधा सैकड़ा से अधिक अन्ना मवेशी बंद हैं।
ग्रामीण खुद ही इनके चारा-पानी का इंतजाम कर रहे हैं। स्योंदी गांव के लोगों को रात-रातभर खेतों पर जागते हुए मवेशियों से अपनी फसल को बचाना पड़ता था। उसके बाद भी मवेशी किसानों के खेतों में घुसकर फसल को चरने के साथ नुकसान पहुंचाते थे। गांव निवासी किसान सर्वेश पाल, राम किशोर, विजय पाल ने बताया कि इस समस्या के निराकरण के लिए ग्रामीणों को जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से मांग करने पर सिर्फ आश्वासन मिला।
जिसके बाद उन्होंने खुद ही कुछ करने की ठानी। अन्य किसानों से बातचीत कर एक समिति बनाई और चंदा कर तकरीबन 25 हजार रुपये इकट्ठा किए। जिससे बल्ली और तार की व्यवस्था की और गांव के समीप ढाई बीघे के एक नीम के बाग के आधे हिस्से की तारबंदी कर अस्थायी गोशाला बना दी। यहां एक तालाबनुमा गड्ढा भी है।
इसे सबमर्सिबल से भरवा दिया गया है। इसके बाद क्षेत्र के अन्ना मवेशियों को ला-लाकर अस्थायी गोशाला में बंद किया गया। इन्हें चारा देने के लिए प्रतिदिन चार किसानों की ड्यूटी लगाई जाती है। किसानों का कहना है कि फसल की कटाई होने तक मवेशी गोशाला में बंद रहेंगे। वर्तमान में गोशाला में आधा सैकड़ा से अधिक गोवंश बंद हैं। जिसमे ंनंदी भी शामिल हैं। ग्रामीणों को अभी भी प्रशासनिक मदद की आस है।
अन्ना मवेशियों को खदेड़ने पर होता था विवाद
किसानों की पहल से अस्थायी गोशाला निर्माण के बाद गुजेला, कुरसेड़ा, नारायणपुर, जैतीपुर, ललईपुर गांवों के किसानों को राहत पहुंची है। वहीं आसपास खेतों में खड़ी सैकड़ों बीघा फसल अन्ना मवेशियों से सुरक्षित है। ग्रामीणों ने बताया कि अन्ना मवेशी विवाद का भी कारण बन रहे थे। खेतों से खदेड़नेे पर मवेशियों का झुंड दूसरे गांव के खेतों में घुस जाता था। जिससे ग्रामीणों के बीच विवाद के बाद मारपीट तक हो जाती थी।
मवेशियों के चारा-पानी व दवा का चंदे से प्रबंध
ग्रामीण राम किशोर ने बताया कि गोशाला की व्यवस्था के लिए सभी ग्रामवासी स्वैच्छिक सहयोग दे रहे हैं। सहयोग राशि से गोशाला की व्यवस्थाओं को और बेहतरीन बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं ग्रामीणों द्वारा गोशाला की रखरखाव के लिए समिति भी बनाई है। वहीं बारी-बारी से ग्रामीण गोशाला में गोवंश के लिए चारा-पानी व साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठा रहे हैं।
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ग्रामीण खुद ही इनके चारा-पानी का इंतजाम कर रहे हैं। स्योंदी गांव के लोगों को रात-रातभर खेतों पर जागते हुए मवेशियों से अपनी फसल को बचाना पड़ता था। उसके बाद भी मवेशी किसानों के खेतों में घुसकर फसल को चरने के साथ नुकसान पहुंचाते थे। गांव निवासी किसान सर्वेश पाल, राम किशोर, विजय पाल ने बताया कि इस समस्या के निराकरण के लिए ग्रामीणों को जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से मांग करने पर सिर्फ आश्वासन मिला।
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जिसके बाद उन्होंने खुद ही कुछ करने की ठानी। अन्य किसानों से बातचीत कर एक समिति बनाई और चंदा कर तकरीबन 25 हजार रुपये इकट्ठा किए। जिससे बल्ली और तार की व्यवस्था की और गांव के समीप ढाई बीघे के एक नीम के बाग के आधे हिस्से की तारबंदी कर अस्थायी गोशाला बना दी। यहां एक तालाबनुमा गड्ढा भी है।
इसे सबमर्सिबल से भरवा दिया गया है। इसके बाद क्षेत्र के अन्ना मवेशियों को ला-लाकर अस्थायी गोशाला में बंद किया गया। इन्हें चारा देने के लिए प्रतिदिन चार किसानों की ड्यूटी लगाई जाती है। किसानों का कहना है कि फसल की कटाई होने तक मवेशी गोशाला में बंद रहेंगे। वर्तमान में गोशाला में आधा सैकड़ा से अधिक गोवंश बंद हैं। जिसमे ंनंदी भी शामिल हैं। ग्रामीणों को अभी भी प्रशासनिक मदद की आस है।
अन्ना मवेशियों को खदेड़ने पर होता था विवाद
किसानों की पहल से अस्थायी गोशाला निर्माण के बाद गुजेला, कुरसेड़ा, नारायणपुर, जैतीपुर, ललईपुर गांवों के किसानों को राहत पहुंची है। वहीं आसपास खेतों में खड़ी सैकड़ों बीघा फसल अन्ना मवेशियों से सुरक्षित है। ग्रामीणों ने बताया कि अन्ना मवेशी विवाद का भी कारण बन रहे थे। खेतों से खदेड़नेे पर मवेशियों का झुंड दूसरे गांव के खेतों में घुस जाता था। जिससे ग्रामीणों के बीच विवाद के बाद मारपीट तक हो जाती थी।
मवेशियों के चारा-पानी व दवा का चंदे से प्रबंध
ग्रामीण राम किशोर ने बताया कि गोशाला की व्यवस्था के लिए सभी ग्रामवासी स्वैच्छिक सहयोग दे रहे हैं। सहयोग राशि से गोशाला की व्यवस्थाओं को और बेहतरीन बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं ग्रामीणों द्वारा गोशाला की रखरखाव के लिए समिति भी बनाई है। वहीं बारी-बारी से ग्रामीण गोशाला में गोवंश के लिए चारा-पानी व साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठा रहे हैं।
किसानों द्वारा अस्थायी गोशाला बनाए जानेे की जानकारी नहीं है। शासन स्तर से जो भी मदद संभव होगी वह की जाएगी। - अरुण कुमार, एसडीएम घाटमपुर
स्योंदी गांव में किसानों द्वारा अस्थायी गोशाला बनाने की जानकारी है। प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है, जल्द उनकी मदद की जाएगी। - उदयवीर, एडीओ
