UP: मनोज हत्याकांड…हाईकोर्ट में भी पुलिस ने नहीं छोड़ा था प्रीति का पीछा, जबरन लिखाया- कोई कार्रवाई नहीं करोगे
Farrukhabad News: प्रीति यादव ने आरोप लगाया कि इस दौरान पुलिस कई कागजों पर जबरन दस्तखत भी कराए थे कि कोई कार्रवाई नहीं करोगे। मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस को याचिकाकर्ता को न धमकाने और न ही संपर्क करने की चेतावनी दी थी।

विस्तार
फर्रुखाबाद जिले मे दो लोगों को छह दिन तक अवैध हिरासत में रखने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को सख्त रुख दिखाया। दरअसल एडवोकेट संतोष पाण्डेय ने फतेहगढ़ निवासी प्रीति यादव की तरफ से एक हैवियस काॅर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण अवैध ढंग से हिरासत में रखना) याचिका दाखिल की थी। इसके बाद आठ सितंबर को कायमगंज थाने की पुलिस रात में प्रीति यादव के घर में घुस गई। पुलिस टीम में थाना प्रभारी अनुराग मिश्रा, सीओ समेत चार-पांच पुलिस वाले शामिल थे।

यह लोग लगातार जिले के एसपी से बात कर रहे थे। यहां से पुलिस ने प्रीति के परिवार के दो लोगों को हिरासत में ले लिया। इन दोनों को पुलिस ने करीब एक सप्ताह तक हिरासत में रखा। 14 सितंबर की रात पुलिस पुलिस ने इन्हें छोड़ दिया। दोनों को छोड़ने से पहले पुलिस ने दबाव बनाकर इनसे एक बयान लिखवा लिया। इसमें लिखा था कि हमने कोई मुकदमा नहीं किया। हमें कोई शिकायत नहीं है और न ही किसी तरह की शिकायत करेंगे। पुलिस ने यही जवाब हाईकोर्ट में लगाया, लेकिन कोर्ट ने पुलिस की बात नहीं मानी और पिटीशनर को बुला लिया।
सीसीटीवी तोड़कर डीवीआर भी उठा ले गए थे
कोर्ट ने प्रीति की पूरी बात सुनी। इसके बाद नाै अक्तूबर को एक आदेश जारी कर एसपी, सीओ कायमंगज और एसएचओ को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा। इसके बाद 11 अक्तूबर को साै पुलिस वाले फर्रुखाबाद में वकील अवधेश मिश्रा (प्रीति यादव के स्थानीय कोर्ट में वकील) के यहां पहुंच गए और तोड़फोड़ की। घर का सामान फेंक दिया। यही नहीं सीसीटीवी तोड़कर डीवीआर भी उठा ले गए। इसके बाद अवधेश मिश्रा की तरफ से हाईकोर्ट में एफीडेविट दाखिल किया गया। इस पर मंगलवार को जस्टिस मुनीर और संजीव कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की जिसके बाद पुलिस अधिकारियों को कल डीटेल जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया।
पुुलिस ने जबरन लिखवाया-कोई कार्रवाई नहीं करोगे
मामले में याचिकाकर्ता को धमकाने और परिजनों को एक सप्ताह तक हिरासत में रखने पर जब पीड़िता ने स्थानीय पुलिस और एसपी से शिकायत की तो उसे जिल्लत ही मिली। इसके बाद प्रीति यादव ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर मामले में न्याय की गुहार लगाई। याचिकाकर्ता ने बताया कि पुलिस ने उसके परिजनों को 8 सितंबर की रात करीब 9 बजे घर से उठा लिया।
कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया
काफी कहासुनी के बाद भी उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। एक सप्ताह बाद कोई कार्रवाई न करने की धमकी दे कर छोड़ दिया। प्रीति यादव ने आरोप लगाया कि इस दौरान पुलिस कई कागजों पर जबरन दस्तखत भी कराए थे कि कोई कार्रवाई नहीं करोगे। मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस को याचिकाकर्ता को न धमकाने और न ही संपर्क करने की चेतावनी दी थी। 14 अक्तूबर को हाईकोर्ट में पेशी के दौरान प्रीति यादव ने पुलिस पर धमकाने का आरोप लगाया। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया।
दो दिन पहले ही चौकी प्रभारी लाइन हाजिर
नई काॅलोनी रेलवे रोड निवासी मनोज पर हुए हमले के मामले में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद नगर चौकी प्रभारी नागेंद्र सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया। उधर, पूरा मामला तब उजागर हुआ जब प्रीति यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और आरोप लगाया। हाईकोर्ट ने इसे न्यायिक प्रक्रिया में अवैध हस्तक्षेप माना और पुलिस अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद एसपी आरती सिंह ने सबसे पहले चौकी प्रभारी नागेंद्र सिंह को दो दिन पहले ही चार्ज से हटाकर लाइन हाजिर कर दिया गया।
कोर्ट से हर बार मिली फटकार, फतेहगढ़ पुलिस कार्यशैली से लाचार
मित्र पुलिस का चेहरा रखने वाली फतेहगढ़ पुलिस हर बार कोर्ट के सामने फरियादियों की अनसुनी और मुकदमों में खेल करने में मुंह की खाती आई है। कभी लंबित मामलों में छेड़छाड़ तो कभी अवैध असलहा लगाकर लोगों को जेल भेजने के मामले में पुलिस की कोर्ट में किरकिरी हुई है। एक बार फिर याचिकाकर्ता को धमकाने के मामले में एसपी फतेहगढ़ आरती सिंह विवादित कार्यशैली को लेकर हाईकोर्ट कस्टडी में ले ली गईं। कोर्ट से माफी मांगकर हलफनामा प्रस्तुत करने के बाद एसपी आरती सिंह को छोड़ा गया।
केस-1
थाना मऊदरवाजा क्षेत्र निवासी एक ग्रामीण ने छह अक्टूबर 2024 को 14 वर्षीय पुत्री का अपहरण करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एक युवक पर पुत्री को बहलाकर ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने मुकदमे को तरमीम कर सामूहिक दुष्कर्म, पॉस्को एक्ट की धाराओं की बढ़ोतरी कर पीड़िता के बयान दर्ज कराए थे। मुकदमे की जानकारी होने पर आरोपी ने अंतरिम जमानत अर्जी दायर की। मऊदरवाजा थाना प्रभारी द्वारा सामूहिक दुष्कर्म की जगह छेड़छाड़ के अपराध में रिपोर्ट न्यायालय भेज दी गई। पुलिस की लापरवाही से आरोपी की अंतरिम जमानत मंजूर हो गई। मुकदमे की पैरवी के दौरान वादी पीड़िता के पिता की मौत हो गई।
पीड़िता की मां ने पति की हत्या करने का आरोप लगाते हुए थाना पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया था। पोस्टमार्टम में शरीर पर चोटों के निशान पाए गए। इसके बावजूद रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। आईजीआरएस पर की गई शिकायत को भी फर्जी रिपोर्ट लगाकर बंद कर दिया गया। मामले का संज्ञान लेकर पॉक्सो कोर्ट के न्यायाधीश राकेश कुमार ने तत्कालीन एसपी आलोक प्रियदर्शी, तत्कालीन थानाध्यक्ष मऊदरवाजा बलराज भाटी और एक अन्य निरीक्षक पर कार्रवाई के आदेश दिए थे।
केस-2
अगस्त 2024 में मोहम्मदाबाद कोतवाली पुलिस बाइक मिस्त्री नंदू को बाइक ठीक करवाने के बहाने दुकान से बुला ले गई। इसके बाद फर्जी तमंचा लगाकर उसे गिरफ्तार कर लिया। नंदू के भाई कृष्ण कुमार ने मामले की शिकायत एडीजी कानपुर से की थी। जांच में मामला सही पाए जाने पर दिसंबर 2024 में तत्कालीन कोतवाली प्रभारी मोहम्मदाबाद मनोज भाटी, दरोगा महेंद्र सिंह, कांस्टेबल अंशुमान, राजन पाल और यशवीर सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। आरोपियों को निलंबित भी कर दिया गया था। जांच सीओ मोहम्मदाबाद को सौंपी गई। निलंबित पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट की शरण ली। अपनों को बचाने के लिए पुलिस ने विवेचना में देरी की। जिसका लाभ दोषी पुलिसकर्मियों को कोर्ट में मिला और उन्हें जमानत मिल गई।
कायमगंज कोतवाली प्रभारी समेत कई पर लटकी तलवार
कायमगंज पुलिस के गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते एसपी आरती सिंह को हाईकोर्ट में पेश होना पड़ा। उनके साथ कायमगंज सीओ राजेश कुमार द्विवेदी, थानाध्यक्ष अनुराग मिश्रा भी रहे। निर्देशों की अवहेलना को लेकर कोर्ट खासा सख्त है। इससे अब कायमगंज सीओ, कोतवाली प्रभारी समेत कई पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। उनके खिलाफ बुधवार तक सख्त कदम उठाया जा सकता है।