UP: दो रुपये में एक किलो केला...आमदनी दूर, लागत भी नहीं निकल रही, भीतरगांव में 500 बीघे में फसल हो रही बर्बाद
Kanpur News: भीतरगांव ब्लॉक के बेहटाबुजुर्ग समेत चार गांवों में 500 बीघे में खड़ी पकी केले की फसल बाजार न मिलने के कारण खेतों में सड़ रही है। किसान दो रुपये प्रति किलो के भाव पर केला बेचने को मजबूर हैं, जिससे उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है।

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कानपुर के भीतरगांव में बाजार के धोखा देने के बाद ब्लाॅक क्षेत्र के बेहटा-बुजुर्ग, निबिया, हस्कर शंकरपुर गांवों में केला उत्पादक किसान परेशान हैं। रात दिन की मेहनत से तैयार फसल को खेतों के अंदर सड़ते देख रहे हैं। चार गांवों में तकरीबन 500 बीघे केले की पकी फसल तैयार है। बाहरी व्यापारियों के न आने से वजनदार केला की बड़ी-बड़ी घार पेड़ से गिरकर सड़ रही है।

कभी-कभार फेरी वाले दो रुपये प्रति किलो में केला खरीद लेते हैं जिससे आमदनी तो दूर की बात लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसान बताते हैं बाजार में कच्चे और पके केले का कोई भाव नहीं है। आसपास जिलों कानपुर देहात, जालौन, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, फतेहपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, लखनऊ के साथ आगरा और सतना जिले केथोक व्यापारी भी नहीं आ रहे हैं।

केले की एक बीघे के उत्पादन की लागत
- सिंचाई- 4000 रुपये
- खाद- 20,000 रुपये
- दवा- 7000 रुपये
- निंकाई- 5000 रुपये
- मिट्टी चढ़ाई- 5000 रुपये
- जोताई- 2000 रुपये
- किल्ले पत्ते की सफाई- 7000 रुपये
- रस्सी बांधना- 2000 रुपये
- लट्टा लगाना- 5500 रुपये
नोट: किसानों के अनुसार प्रति बीघे की लागत है।

खरीदार नहीं, किसे बेंचे
युवा किसान आयुष सिंह ने बताया कि 10 बीघे में केला का बढ़िया उत्पादन किया है। कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। किसको जाकर बेंचे। पंजाब, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में आई बाढ़ के साथ सतना व आगरा के व्यापारी भी नहीं आए। पांच लाख रुपये की लागत मिट्टी में मिल गई।

खेत में ही सड़ रही फसल
किसान आयुष कुशवाहा ने बताया कि उनके 10 बीघे खेत में केला की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन खरीदार न मिलने से सब खेतों में ही सब सड़ रहा है। आमदनी व लागत की बात छोड़िए, गेहूं बुवाई के लिए खेत खाली कराने में मजदूरी घर से देनी पड़ रही है।

केले ने बनाया कर्जदार
किसान लालबहादुर ने बताया कि कर्ज लेकर डेढ़ बीघे में केला लगाया। खरीदार न आने से केले सड़ रहे हैं। बताया कि केला बेंचकर पत्नी विमला के इलाज के लिए रुपऐ जुटाना था लेकिन उम्मीदें टूट गईं। करीब पौने दो लाख का नुकसान हो गया।

गेहूं बोने के लिए लेना पड़ रहा कर्ज
किसान फूल सिंह ने बताया कि ढाई बीघे में फसल थी। उम्मीद थी कि बिक्री बढ़िया होने पर बिटिया को एसएससी की कोचिंग कराने में धन की कमी नहीं होगी। करीब साढ़े तीन लाख का घाटा हुआ। गेहूं की जुताई-बुआई, खाद-पानी के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है।