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खास खबर: एंजियोप्लास्टी से नहीं बन रहा काम, आसानी से नहीं टूट रहे दिल के थक्के, विशेषज्ञ बोले- अब 40% हुए रोगी

रजा शास्त्री, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Fri, 04 Jul 2025 11:13 AM IST
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सार

Kanpur News: दिल की धमनी में सामान्य थक्का कोलेस्ट्राल और प्लेटलेट्स से मिलकर बनता है। कोलेस्ट्राल का लेवल खून में अधिक होने पर यह धीरे-धीरे धमनी में जमने लगता है। यह मुलायम होता है और इसमें स्टेंट आसानी से लग जाता है। जब इसमें कैल्शियम भी मिल जाता है, तो यह कड़ा हो जाता है।

Kanpur Angioplasty is not working heart clots are not breaking easily number of patients has increased to 40%
एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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दिल की धमनियों में खून के बहाव के रास्ते को अवरुद्ध करने वाले थक्के अब लंबे और सख्त भी बन रहे हैं। थक्कों में कैल्शियम अधिक होने की वजह से ये अधिक सख्त हो जाते हैं जिससे एंजियोप्लास्टी में मुश्किल पड़ती है। इन थक्कों को तोड़ने के लिए डायमंड कटर और शॉक वेव का इस्तेमाल करना पड़ता है। इन थक्कों में स्टेंट भी जल्दी खुल नहीं पाते। कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

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एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर अवधेश शर्मा ने बताया कि दिल की धमनी में कोलेस्ट्राल के जमाव से थक्का बनता है। इसमें कैल्शियम मिल जाने से यह कड़ा हो जाता है। जो रोगी आ रहे हैं, उनकी धमनियों में थक्के कैल्शियम की वजह से सख्त भी होते हैं और लंबे भी। इनमें स्टेंट डालने पर आसानी से खुल नहीं पाते। ऐसे मामलों को कॉम्प्लेक्स हाई रिस्क इंटरवेंशन प्रोसीजर (चिप) कहते हैं।

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पहले माइनर केस आते रहे अधिक
यह मेजर कार्डियक इंटरवेंशन श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि चिप के मामले चार साल में अधिक बढ़े हैं। पहले कुल रोगियों में 15 प्रतिशत चिप केस होते रहे और अब उनकी संख्या 40 प्रतिशत हो गई है। कार्डियोलॉजी में वर्ष 2024-25 में इस तरह के मेजर केस 8983 आए हैं। छोटे माइनर श्रेणी के 7482 मामले हैं। इस तरह मेजर केस 1501 अधिक हैं। निदेशक एवं प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार वर्मा का कहना है कि पहले माइनर केस अधिक आते रहे।

बाईपास सर्जरी होती है कारगर विकल्प
वहीं, अब मेजर केस अधिक आ रहे हैं। ब्लॉकेज (थक्के) की लंबाई भी अधिक होने लगी है। बड़ा थक्का होने पर दो स्टेंट लगाने पड़ते हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि बड़ा और सख्त थक्का होने पर पहले उसे डायमंड कटर तकनीक से काटते हैं। इसके अलावा शॉक वेव से थक्के को तोड़ा जाता है। इसके टूटने के बाद स्टेंट लगाया जाता है। ब्लॉकेज के बहुत अधिक लंबा होने और सख्त होने पर बाईपास सर्जरी कारगर विकल्प होती है।

ऐसे बनते हैं कैल्शियम वाले थक्के
दिल की धमनी में सामान्य थक्का कोलेस्ट्राल और प्लेटलेट्स से मिलकर बनता है। कोलेस्ट्राल का लेवल खून में अधिक होने पर यह धीरे-धीरे धमनी में जमने लगता है। यह मुलायम होता है और इसमें स्टेंट आसानी से लग जाता है। जब इसमें कैल्शियम भी मिल जाता है, तो यह कड़ा हो जाता है। इसमें कैल्शियम चर्बी से आता है। यह इतना सख्त हो जाता है। इसमें जाकर स्टेंट फूल नहीं पाता।

अधिक घी-तेल वाले खाद्य पदार्थ, जंक फूड, फास्ट फूड, सॉफ्ट ड्रिंक आदि के सेवन से शरीर में चर्बी अधिक बढ़ती है। व्यायाम या शारीरिक श्रम की कमी से चर्बी का जमाव बढ़ जाता है। इससे कोलेस्ट्राल, ट्राईग्लीसिराइड बढ़ती है। साथ ही धूम्रपान की लत समस्या को बढ़ाती है। इससे चिप के मामले बढ़ रहे हैं।  -डॉ. राकेश कुमार वर्मा, निदेशक, एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट

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