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Kanpur: ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों से न्यूरो-मेडिसिन के ICU फुल, हार्ट अटैक के रोगी भी 20% बढ़ें, ऐसे करें बचाव

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Wed, 26 Nov 2025 09:50 AM IST
सार

Kanpur News: कानपुर में ठंड बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों की संख्या औसतन दो गुना हो गई है, जिससे हैलट अस्पताल के न्यूरो और मेडिसिन आईसीयू के बेड भर गए हैं। विशेषज्ञ ब्लड प्रेशर की दवा छोड़ने और खुराक में लापरवाही को इसका मुख्य कारण बता रहे हैं।

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Kanpur Neuro medicine ICUs full with brain stroke patients heart attack patients also increased by 20 percent
हैलट ओपीडी में दवा लेते लोग। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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कानपुर में मौसम के उतार-चढ़ाव और ठंड बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। हालत यह है कि मेडिसिन और न्यूरो के आईसीयू के बेड ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों से भर गए हैं। आईसीयू में बेड के लिए रोगी के परिजन जनप्रतिनिधियों से सिफारिश लगवा रहे हैं। हैलट इमरजेंसी आने वाले रोगियों में 50 फीसदी रोगी नर्सिंगहोम से रेफर होकर आ रहे। नर्सिंगहोम ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों को पांच-छह दिन रखने के बाद हैलट भेज देते हैं। हैलट इमरजेंसी में सितंबर-अक्तूबर में ब्रेन अटैक के औसत चार-पांच रोगी आते थे, लेकिन ठंड बढ़ने से औसत संख्या आठ से 10 हो गई है।

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इसके साथ ही ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों की मस्तिष्क की नस फटने के मामले बढ़े हैं। न्यूरो साइंसेस विभाग के प्रमुख प्रोफेसर मनीष सिंह ने बताया कि विभाग के आईसीयू के 80 फीसदी बेड पर ब्रेन स्ट्रोक के रोगी हैं। इसके अलावा ब्रेन इंजरी के रोगी भर्ती हैं। मेडिसिन के आईसीयू में ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों को भर्ती किया जा रहा है। जीएसवीएम के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। स्ट्रोक के रोगियों को हेमरेज भी हो जा रहा है।

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ठंडक बढ़ने पर ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों में इजाफा
विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में ब्लड प्रेशर की दवा बीच में छोड़ देने या गर्मी में निश्चित की गई दवा की खुराक जाड़े में लेते रहने से ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाता है। इससे ब्रेन स्ट्रोक की नौबत आ जाती है। डायबिटीज रोगियों को खतरा अधिक रहता है। उनकी नसें पतली होने और अंदरूनी पर्त खुरदुरी होने से हाई ब्लड प्रेशर होने पर खून का थक्का जम जाता है। इससे ब्रेन स्ट्रोक होता है। न्यूरो साइंस प्रमुख प्रोफेसर सिंह का कहना है कि अब वर्ष भर इक्का-दुक्का रोगी आते रहते हैं, लेकिन ठंडक बढ़ने पर इनकी संख्या में इजाफा हो जाता है।

बीपी से गुर्दा रोगियों को भी रहता खतरा
नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. युवराज गुलाटी के मुताबिक हैलट इमरजेंसी में गुर्दा फेल के औसत तीन-चार रोगी प्रतिदिन आ रहे हैं। इनमें क्रोनिक किडनी डिजीज के रोगी अधिक होते हैं। बीपी हाई रहने पर गुर्दा खराब होता है। रोगियों को डायबिटीज और बीपी नियंत्रित रखना चाहिए।

बीपी ने हार्ट अटैक के रोगी भी बढ़ाए
एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उमेश्वर पांडेय ने बताया कि हाई बीपी से ब्रेन स्ट्रोक के साथ ही हार्ट अटैक के रोगी भी बढ़ गए हैं। हार्ट अटैक के लक्षण लेकर इमरजेंसी में आने वाले रोगियों की संख्या 20 फीसदी बढ़ी है। ठंडक आने पर रोगी बीपी की दवा की खुराक दुरुस्त नहीं कराते।

ऐसे करें बचाव

  • ब्लड प्रेशर की जांच नियमित कराते रहें।
  • ठंड बढ़ने पर डॉक्टर से दवा की खुराक दुरुस्त करा लें।
  • दवा से बीपी नियंत्रित न होने पर विशेषज्ञ से संपर्क करें।
  • नियमित व्यायाम करते रहें।
  • अधिक ठंड, धुंध होने पर तड़के न टहलें।
  • कोहरा हो तो घर के अंदर योग-प्राणायाम कर लें।
  • जंक-फूड, तला-भुना और गरिष्ठ भोजन न करें।
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