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PHOTOS:यहां से धुअां नहीं जहर निकलता है, शायद इन खतरों से बेखबर है शहर

टीम डिजिटल, अमर उजाला, कानपुर Updated Thu, 23 Nov 2017 12:44 PM IST
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poison fog in air of kanpur at panki a to z plant
डेमो पिक
जलते कूड़े से निकलता धुआं, चारों तरफ दूषित हवा का प्रकोप, घर के अंदर हो या बाहर हर जगह बेचैनी, हर बुजुर्ग को सांस की बीमारी, बस यही इंतजार की इससे कब निजात मिलेगी। ये धुअां नहीं जहर है। कुछ एेसे ही हालात हैं पनकी स्थित बदुआपुर गांव में। कुछ द‌िन पहले तक पूरी दिल्ली के यही हालात थे। गैस के चेंबर में बदल गई थी दिल्ली।

 



 

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पनकी में जलता कूड़ा - फोटो : अमर उजाला
पनकी में बदुअांपुर गांव ‌ के पास 2009 में इस  प्लांट की शुरुअात हुई थी। इसके बाद से यहां के हालत द‌िन पर द‌िन बदतर हाेते चले गए।  कूड़ाघर निस्तारण प्लांट में सरकारी तंत्र का गैरजिम्मेदार रवैया और अनदेखी गांव वालों के लिए नासूर बन गया है।


कूड़े का निस्तारण तो नहीं हुआ लेकिन आसपास के गांव बदुआंपुर, भऊसिंह जमुई के लोग बीमार हो रहे हैं। इस प्लांट से न‌िकलने वाला धुअां कई क‌िलाेमीटर तक अासमान में एक परत बना लेता है। इससे लाेगाें काे सांस लेने में भी दिक्कत शुरु हाे जाती है।  


 
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यहां अासपास कई गांव हैं जहां  दमा, खांसी, बुखार, आंख, चर्म रोग से पीड‌ि़त लाेगाें की संख्या ‌द‌िन पर द‌िन बढ़ती जा रही है। बुजुर्गों का दम घुट रहा है। एक साल के अंदर तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है। हाल यह है कि  थूक, बलगम में भी कूड़े के कण निकल रहे हैं। तीनों गांव में चार हजार से अधिक आबादी है।


कूड़ाघर में पहाड़ों की तरह इकट्ठा कूड़े की दुर्गंध गांव वालों के लिए पहले ही मुसीबत था लेकिन अब रोजाना आग लगने से निकल रहा धुआं बीमारी बांट रहा है। वातावरण में खतरनाक गैसों का मिश्रण हो गया है। इसकी वजह से लोगों ने घरों के बाहर उठना-बैठना बंद कर दिया है।



 
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सिर्फ आवश्यक कार्य के लिए ही बाहर निकलते हैं। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी बीमारियों की चपेट में हैं। किसी को सांस की बीमारी है तो किसी की आंखों में जलन हो रही है, कोई खांस रहा है तो किसी के शरीर पर चकत्ते पड़ गए हैं। 


प्रदूषित हो चुके वायुमंडल में ऑक्सीजन के साथ सल्फर डाई ऑक्साइड की पर्याप्त मात्रा में मौजूदगी हो चुकी है। एसओ-2 श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। साथ ही पानी के साथ मिलने से सल्फ्यूरिक एसिड बनाकर श्वांस नली में मौजूद सीलिया को प्रभावित करता है। 


नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड हवा के साथ फेफड़े में जाकर उसकी कार्य क्षमता को प्रभावित करता है। वातावरण में इसकी मौजूदगी सांस व दिल के रोगियों की बीमारी को बढ़ाते हैं। आग लगने से सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड आदि गैसें निकलती हैं
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