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UP: दिल में हो दर्द तो कान की भी जांच कराएं, जीएसवीएम के ईएनटी विभाग के शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

रजा शास्त्री, अमर उजाला, कानपुर Published by: शिखा पांडेय Updated Mon, 08 Sep 2025 12:39 PM IST
सार

हृदय रोगियों के कान की कॉक्लियर तंत्रिका खराब खराब होने लगी और रोगी को पता भी नहीं चलता।

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UP: If there is pain in heart, get your ears checked too, revealed in a research by GSVM ENT department
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अगर किसी को हृदय की समस्या है तो उसे एक बार अपने कान की भी जांच करा लेनी चाहिए। हृदय रोगियों के कान की कॉक्लियर तंत्रिका भी खराब होने लगती है। इससे धीरे-धीरे बहरापन आने लगता है। अगर समय से सुनने की शक्ति की जांच करा ली जाए तो समस्या से बचा जा सकता है। इस तथ्य का खुलासा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के ताजा शोध से हुआ है।

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हृदय रोग का कान की सेहत से जुड़ाव संबंधी यह शोध डॉ. पूजा द्विवेदी ने किया। शोध ईएनटी विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. एसके कनौजिया, कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अवधेश कुमार शर्मा और फिजियोलॉजी विभाग की डॉ. प्रीति कनौजिया की देखरेख में किया गया। इसमें 35 से 55 साल के 150 रोगियों को शामिल किया गया। इससे अधिक आयु के रोगियों को शोध में शामिल नहीं किया गया। इनमें 126 पुरुष और 24 महिलाएं थीं।
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डॉ. पूजा ने बताया कि 31 रोगियों ने ऊंचा सुनाई पड़ने के संबंध में कोई दिक्कत नहीं बताई लेकिन जब उनकी जांच की गई तो उनमें सुनने की समस्या निकली। हृदय रोग जितना गंभीर होता जाएगा व्यक्ति की कान की नर्व पर भी उतना बुरा असर पड़ेगा। शुरुआत में रोगियों को पता नहीं चलता। खासकर एक कान में दिक्कत आने पर लोग ध्यान नहीं देते लेकिन जब दोनों कानों में दिक्कत आती है तो उनका ध्यान जाता है। इसके अलावा लोग उनके ऊंचा सुनने पर टिप्पणी कर समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं तो वे जांच के लिए आते हैं।

शोध में ज्यादातर रोगियों के सुनने में माइल्ड और मॉडरेट श्रेणी की कमी पाई गई। उन्होंने बताया कि हृदय रोग होने पर रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है। इसका शरीर की तंत्रिकाओं पर असर आता है। हृदय रोग होने के बाद अगर व्यक्ति को सुनाई पड़ने में कोई दिक्कत महसूस होती है तो जांच करा ले। जिस रोगी को जितना सीवियर एंजाइना हुआ था उसकी जांच में उतना अधिक हियरिंग लॉस मिला है। सभी रोगी शहरी क्षेत्र के हैं। रोगी जल्दी इलाज शुरू करे तो दवाओं से हियरिंग लॉस की दिक्कत दूर हो जाती है।

ऐसे होती है समस्या
हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज होने पर शरीर के अन्य अंगों में रक्त प्रवाह बाधित होने लगता है। कान की अंदरूनी नस में भी रक्त की सप्लाई कम होेने लगती है। इसकी वजह से कान की कॉक्लियर तंत्रिका पर प्रभाव आता है। इससे सुनने की शक्ति क्षीण होने लगती है। धीरे-धीरे दिक्कत बढ़ती रहती है और बहरापन आ जाता है।

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