UP: क्लासिक होटल विवाद…कर्मचारी नेता भूपेश अवस्थी-बेटे रोहित के खिलाफ NBW, अग्रिम विवेचना में सामने आया है नाम
Kanpur News: कानपुर में अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम की अदालत ने क्लासिक होटल की मालकिन प्रज्ञा त्रिवेदी द्वारा दर्ज कराए गए डकैती और बलवा से जुड़े मुकदमे की अग्रिम विवेचना में नाम सामने आने के बाद, कर्मचारी नेता भूपेश अवस्थी और उनके अधिवक्ता पुत्र रोहित अवस्थी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है।
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कानपुर में अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम की अदालत से कर्मचारी नेता भूपेश अवस्थी और उसके अधिवक्ता पुत्र रोहित के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया है। क्लासिक होटल की मालकिन रहीं प्रज्ञा त्रिवेदी की ओर से जूही थाने में दर्ज कराए गए डकैती, बलवा, मारपीट आदि से संबंधित मुकदमे में यह वारंट जारी हुआ है। बारादेवी स्थित क्लासिक कांटीनेंटल में रहने वाली प्रज्ञा त्रिवेदी ने कोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी 2011 को जूही थाने में जूही लाल कालोनी निवासी अजय निगम और चार अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इसमें कहा था कि प्रज्ञा आवास विकास हंसपुरम निवासी ओम जायसवाल की फर्म क्लासिक कॉन्टीनेंटल में 10 प्रतिशत की साझीदार हैं। ओम जायसवाल व अजय निगम में आए दिन विवाद होता रहता है। फर्म में साझीदार होने के कारण अजय ने प्रज्ञा पर दबाव बनाने की कोशिश की और दो लाख रुपये रंगदारी मांगी। रुपये न देने पर अजय ने अपनी पत्रिका में उनके खिलाफ अश्लील भाषा में प्रकाशन किया। धमकाने के लिए अपने अधिवक्ता मित्र राकेश कुमार गुप्ता से एक स्पीड पोस्ट लिफाफा भेजा जिसे खोलने पर उसमें सादे कागज निकले।
सिर्फ पांच घंटे में विवेचना पूरी करके एफआर लगा दी
अजय और राकेश के खिलाफ जूही थाने में प्रज्ञा ने 6 दिसंबर 2010 को एनसीआर दर्ज कराई। छह दिसंबर को जब प्रज्ञा क्लासिक कांटीनेंटल में थीं, तभी अजय अपने चार मित्रों के साथ आया और गाली-गलौज करते हुए रंगदारी मांगी। शोर मचाने पर गले में पड़ी सोने की जंजीर तोड़ ली और जानमाल की धमकी देते हुए सभी भाग निकले। आरोप है कि अखिलेश दुबे के दबाव में तत्कालीन विवेचक विवेचक राजेश कुमार तिवारी ने मुकदमे में सिर्फ पांच घंटे में विवेचना पूरी करके एफआर लगा दी थी।
पुलिस की पकड़ में नहीं आ रहे थे भूपेश और रोहित
अखिलेश के जेल जाने के बाद प्रज्ञा की ओर से मुकदमे में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की गई जिस पर कोर्ट ने अग्रिम विवेचना के आदेश कर दिए थे। इसी विवेचना के दौरान अखिलेश दुबे के साथ-साथ कर्मचारी नेता भूपेश अवस्थी और उनके अधिवक्ता पुत्र रोहित अवस्थी का नाम भी सामने आया था। पुलिस ने अखिलेश की तो मुकदमे में न्यायिक हिरासत ले ली थी, लेकिन भूपेश और रोहित पुलिस की पकड़ में नहीं आ रहे थे। इस पर विवेचक ने कोर्ट में अर्जी दी थी जिस पर कोर्ट ने दोनों का गैर जमानती वारंट जारी कर दिया।
रोहित की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई कल
मुकदमे में गिरफ्तारी से बचने के लिए अधिवक्ता रोहित अवस्थी की ओर से जिला जज की अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की गई है। इस पर अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी। अर्जी में रोहित की ओर से तर्क रखा गया कि घटना की तारीख व समय पर वह कानपुर में नहीं गुरुग्राम में था। कहा कि बीटेक करने के बाद वह वर्ष 2007 से 2009 तक चेन्नई और फिर वर्ष 2009 से 2011 तक गुरुग्राम में कार्यरत रहा। प्रोटेस्ट पिटीशन में भी उनका नाम वादिनी ने नहीं लिखा था। वादिनी लोगों के बहकावे में आकर झूठा फंसाने की कोशिश कर रही है। झूठे मुकदमे में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा तो उसे समाज में बेइज्जत होना पड़ेगा। इसी मुकदमे के मुख्य आरोपी अखिलेश दुबे की जमानत अर्जी पर सुनवाई 10 नवंबर को होनी है।