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UP: 'तुम कल आना... पुरुष नहीं हैं घर में', महिलाएं नहीं खोलतीं दरवाजा; SIR प्रक्रिया में लगे बीएलओ परेशान
अमर उजाला नेटवर्क, कानपुर
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 26 Nov 2025 03:29 PM IST
सार
यूपी में बीएलओ सुबह से शाम तक घर-घर जाकर प्रपत्र भरवाने में लगे हैं। इसके बावजूद फार्म भरने में विफल हो रहे है। शिक्षकों का कहना है कि मतदाता के दरवाजे पर दस्तक देने पर कई बार वह जानकारी देने से ही इन्कार कर देते हैं। दिन में पुरुषों के दफ्तर जाने और घर पर महिलाओं के मिलने से वह दरवाजा खोलने से ही इन्कार कर देती हैं।
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स्कूल में वोटर लिस्ट की जानकारी लेते लोग
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
कानपुर के परिषदीय विद्यालयों के अधिकांश शिक्षकों की बीएलओ ड्यूटी लगने से जहां स्कूलों की नियमित पढ़ाई लड़खड़ा गई है वहीं शिक्षकों को मतदाता प्रपत्र भरवाने में पसीने छूट रहे हैं। बीएलओ सुबह से शाम तक घर-घर जाकर प्रपत्र भरवाने में लगे हैं। इसके बावजूद फार्म भरने में विफल हो रहे है।
शिक्षकों का कहना है कि मतदाता के दरवाजे पर दस्तक देने पर कई बार वह जानकारी देने से ही इन्कार कर देते हैं। दिन में पुरुषों के दफ्तर जाने और घर पर महिलाओं के मिलने से वह दरवाजा खोलने से ही इन्कार कर देती हैं।
कई बार समझाने पर आधी अधूरी जानकारी दी जाती है और अधिक जानकारी देने के लिए दूसरे दिन बुलाया जाता है। इससे समय अधिक लग रहा है। शिक्षकों के अनुसार यदि मतदाता जागरूक हो तो यह मुश्किलें कम हो सकतीं हैं।
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शिक्षकों का कहना है कि मतदाता के दरवाजे पर दस्तक देने पर कई बार वह जानकारी देने से ही इन्कार कर देते हैं। दिन में पुरुषों के दफ्तर जाने और घर पर महिलाओं के मिलने से वह दरवाजा खोलने से ही इन्कार कर देती हैं।
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कई बार समझाने पर आधी अधूरी जानकारी दी जाती है और अधिक जानकारी देने के लिए दूसरे दिन बुलाया जाता है। इससे समय अधिक लग रहा है। शिक्षकों के अनुसार यदि मतदाता जागरूक हो तो यह मुश्किलें कम हो सकतीं हैं।
एक घर में लगाने पड़ते चार से पांच बार चक्कर
किदवईनगर स्थित कंपोजिट विद्यालय विनगमा की शिक्षिका एवं बीएलओ रश्मि त्रिपाठी के पास 1100 मतदाताओं की गणना लक्ष्य है। इसमें से वह अब तक करीब 400 फार्म भरवा चुकी हैं। रश्मि बताती हैं कि कई मोहल्लों में महिलाएं पुरुषों के नहीं होने की बात कहकर दरवाजा ही नहीं खोलती हैं।
किदवईनगर स्थित कंपोजिट विद्यालय विनगमा की शिक्षिका एवं बीएलओ रश्मि त्रिपाठी के पास 1100 मतदाताओं की गणना लक्ष्य है। इसमें से वह अब तक करीब 400 फार्म भरवा चुकी हैं। रश्मि बताती हैं कि कई मोहल्लों में महिलाएं पुरुषों के नहीं होने की बात कहकर दरवाजा ही नहीं खोलती हैं।
एक घर में चार–पांच बार जाना पड़ता है। कई लोग समझाने के बाद भी गलत विवरण दे देते हैं फिर शाम को फॉर्म दोबारा भरना पड़ता है। पूरी प्रक्रिया सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक चलती है।
अधिकांश मतदाता के पास नहीं 2003 का डेटा
प्राथमिक विद्यालय नौबस्ता के सहायक अध्यापक एवं बीएलओ जयंत गुप्ता बताते हैं कि उन्हें 1031 मतदाताओं की सूची पूरी करनी है। अब तक सिर्फ 430 प्रपत्र ही भर पाए हैं। अधिकतर लोगों के पास माता-पिता व दादा-दादी का 2003 का रिकॉर्ड नहीं है जिससे बीएलओ कार्य बेहद कठिन हो गया है।
प्राथमिक विद्यालय नौबस्ता के सहायक अध्यापक एवं बीएलओ जयंत गुप्ता बताते हैं कि उन्हें 1031 मतदाताओं की सूची पूरी करनी है। अब तक सिर्फ 430 प्रपत्र ही भर पाए हैं। अधिकतर लोगों के पास माता-पिता व दादा-दादी का 2003 का रिकॉर्ड नहीं है जिससे बीएलओ कार्य बेहद कठिन हो गया है।
समझाने पर भी मतदाता फॉर्म नहीं भर पाते। इतना ही नहीं कई घरों में लगातार चार–पांच दिनों तक जाना पड़ता है तब कहीं एक फॉर्म भरता है। अधिकांश लोगों को लगता है कि बीएलओ का घरों में चक्कर काटना ही है।
हाई सोसाइटी में लोग प्रपत्र भरने में नहीं दिखा रहे रुचि
कल्याणपुर स्थित कंपोजिट विद्यालय टिकरा की शिक्षिका एवं बीएलओ वंदना पुरवार के जिम्मे 930 मतदाताओं की सूची है। वह विकासनगर क्षेत्र में प्रपत्र भरवा रही हैं जहां हाई सोसाइटी उनकी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। यहां लोग प्रपत्र भरने में रुचि नहीं दिखाते।
कल्याणपुर स्थित कंपोजिट विद्यालय टिकरा की शिक्षिका एवं बीएलओ वंदना पुरवार के जिम्मे 930 मतदाताओं की सूची है। वह विकासनगर क्षेत्र में प्रपत्र भरवा रही हैं जहां हाई सोसाइटी उनकी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। यहां लोग प्रपत्र भरने में रुचि नहीं दिखाते।
वंदना बताती हैं कि अधिकतर मकान मालिक उच्च पदों पर रहते हुए बाहर रहते हैं। किराएदार उन्हें घर में घुसने ही नहीं देते। एक घर में काफी समझाने के दौरान प्रपत्र भरने को राजी हुए इस बीच उनकी गाड़ी का टायर पंचर कर दिया गया।