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कोरोना लॉकडाउन के बाद कम उम्र के हृदयरोगी बढ़े: कॉर्डियोलॉजी में 30 से 45 आयु वर्ग के एक चौथाई रोगी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Sun, 19 Dec 2021 03:52 PM IST
सार
एक नए अध्ययन में सामने आया है कि छोटी आयु वर्ग के रोगियों के हृदय की रक्त नलिकाओं में ब्लॉकेज मिल रहा है। साथ ही हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन में लोगों ने एक ही जगह बैठे रहकर लगातार काम किया।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : amar ujala
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विस्तार
कोरोना लॉकडाउन के बाद कम उम्र के हृदयरोगी बढ़ गए हैं। लॉकडाउन के दौरान घर में बैठकर काम करने और तनाव बढ़ने से युवाओं का दिल मुसीबत में आ गया है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब तक सबसे कम उम्र 24 साल का हृदयरोगी आया है। वहीं 30 से 45 साल आयु वर्ग के रोगियों की संख्या एक चौथाई हो गई है।
कॉर्डियोलॉजी संस्थान ने तीन महीने में आए हृदय रोगियों का आंकड़ा एकत्र कर अध्ययन शुरू कर दिया है। छोटी आयु वर्ग के रोगियों के हृदय की रक्त नलिकाओं में ब्लॉकेज मिल रहा है। साथ ही हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन में लोगों ने एक ही जगह बैठे रहकर लगातार काम किया।
इसके अलावा खानपान अनियमित और बिगड़ा रहा। इसी वजह से लोग कम उम्र में दिल की बीमारी की गिरफ्त में आ गए। कॉर्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट की कॉर्डियक मेडिसिन की ओपीडी में औसत छह सौ रोगी रोज आते हैं। इनमें डेढ़ सौ से दो सौ नए रोगी होते हैं। बाकी फॉलोअप में आते हैं। इस तरह 35 से 50 रोगी 30 से 45 वर्ष आयु वर्ग के होते हैं। कुछ रोगी गंभीर हालत में आते हैं।
बिगड़ी आदत और दिनचर्या पड़ी भारी
कॉर्डियोलॉजी संस्थान में इस सीजन में अभी सबसे कम उम्र का रोगी 24 वर्ष का आया है। सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. उमेश्वर पांडेय ने बताया कि इस रोगी को स्ट्रेस के साथ सिगरेट पीने की लत थी। इससे हृदय की स्थिति जल्दी बिगड़ गई। उन्होंने बताया कि कोरोना लॉकडाउन के बाद कम आयु वर्ग के रोगियों की संख्या अधिक बढ़ी है। स्ट्रेस और बिगड़ा खानपान इसका मुख्य कारण है। ऐसे रोगियों की स्थिति का और बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है।
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कॉर्डियोलॉजी संस्थान ने तीन महीने में आए हृदय रोगियों का आंकड़ा एकत्र कर अध्ययन शुरू कर दिया है। छोटी आयु वर्ग के रोगियों के हृदय की रक्त नलिकाओं में ब्लॉकेज मिल रहा है। साथ ही हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन में लोगों ने एक ही जगह बैठे रहकर लगातार काम किया।
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इसके अलावा खानपान अनियमित और बिगड़ा रहा। इसी वजह से लोग कम उम्र में दिल की बीमारी की गिरफ्त में आ गए। कॉर्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट की कॉर्डियक मेडिसिन की ओपीडी में औसत छह सौ रोगी रोज आते हैं। इनमें डेढ़ सौ से दो सौ नए रोगी होते हैं। बाकी फॉलोअप में आते हैं। इस तरह 35 से 50 रोगी 30 से 45 वर्ष आयु वर्ग के होते हैं। कुछ रोगी गंभीर हालत में आते हैं।
बिगड़ी आदत और दिनचर्या पड़ी भारी
कॉर्डियोलॉजी संस्थान में इस सीजन में अभी सबसे कम उम्र का रोगी 24 वर्ष का आया है। सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. उमेश्वर पांडेय ने बताया कि इस रोगी को स्ट्रेस के साथ सिगरेट पीने की लत थी। इससे हृदय की स्थिति जल्दी बिगड़ गई। उन्होंने बताया कि कोरोना लॉकडाउन के बाद कम आयु वर्ग के रोगियों की संख्या अधिक बढ़ी है। स्ट्रेस और बिगड़ा खानपान इसका मुख्य कारण है। ऐसे रोगियों की स्थिति का और बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है।