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Kushinagar News: बांसी नदी की नहीं बदली सूरत, जांच में मिलीं खामियां
संवाद न्यूज एजेंसी, कुशीनगर
Updated Mon, 22 Dec 2025 01:38 AM IST
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मंसाछापर। विशुनपुरा ब्लॉक के बांसी नदी के जल स्रोतों को लेकर कराई गई तकनीकी जांच में कई गंभीर खामियां सामने आई हैं। बीडीओ की जांच में अधिकतर माइनर अतिक्रमण, अधूरी खुदाई और अवशेष दूरी के कारण बांसी नदी तक पर्याप्त जल प्रवाह नहीं पहुंचा पा रहे हैं। इससे नदी के अस्तित्व और सिंचाई व्यवस्था पर संकट गहराता जा रहा है।
जांच के दौरान विकास खंड की तकनीकी टीम ने विभिन्न गांवों में जाकर स्थलीय सत्यापन किया, जिसमें पांच प्रमुख माइनरों की स्थिति का आकलन किया गया। चैती राजवाहा में मढिया शाखा पंडरी के पखवाड़ों से निकलने वाला चैती राजवाहा जामुही तक सिल्ट सफाई के बाद भी पूरी तरह क्रियाशील नहीं हो सका है। नक्से में प्रदर्शित अवशेष हिस्से पर अतिक्रमण के कारण खुदाई नहीं हो पाई है। जामुही से जुड़वनिया नाला तक लगभग 1.30 किमी की दूरी में खुदाई कराना आवश्यक बताया गया है, ताकि बांसी नदी से इसका जुड़ाव सुनिश्चित हो सके। मनिकौरा माइनर में अब तक नहीं हुआ कोई कार्य मनिकौरा माइनर में सिंचाई विभाग द्वारा आज तक कोई कार्य नहीं कराया गया है। रिपोर्ट के अनुसार मढिया शाखा से करीब 70 मीटर निजी भूमि पर अतिक्रमण हटाकर खुदाई कराई जाए तो यह माइनर खड्डा नाला होते हुए जुड़वनिया नाला के माध्यम से बांसी नदी से जुड़ सकता है।
किन्नर पट्टी माइनर की करीब 2.00 किमी अवशेष दूरी पूरी तरह अतिक्रमित पाई गई है। वर्तमान में यहां कोई कार्य नहीं हुआ है। यह माइनर कुंडवा के पास जुड़वनिया नाले में गिरता है, लेकिन पर्याप्त जल उपलब्ध न होने के कारण बांसी नदी तक जल प्रवाह संभव नहीं हो पा रहा है। डुमरा माइनर में सिंचाई विभाग द्वारा सिल्ट सफाई कराई गई है, लेकिन करीब 0.300 किमी अवशेष भाग छोड़ा गया है।
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जांच के दौरान विकास खंड की तकनीकी टीम ने विभिन्न गांवों में जाकर स्थलीय सत्यापन किया, जिसमें पांच प्रमुख माइनरों की स्थिति का आकलन किया गया। चैती राजवाहा में मढिया शाखा पंडरी के पखवाड़ों से निकलने वाला चैती राजवाहा जामुही तक सिल्ट सफाई के बाद भी पूरी तरह क्रियाशील नहीं हो सका है। नक्से में प्रदर्शित अवशेष हिस्से पर अतिक्रमण के कारण खुदाई नहीं हो पाई है। जामुही से जुड़वनिया नाला तक लगभग 1.30 किमी की दूरी में खुदाई कराना आवश्यक बताया गया है, ताकि बांसी नदी से इसका जुड़ाव सुनिश्चित हो सके। मनिकौरा माइनर में अब तक नहीं हुआ कोई कार्य मनिकौरा माइनर में सिंचाई विभाग द्वारा आज तक कोई कार्य नहीं कराया गया है। रिपोर्ट के अनुसार मढिया शाखा से करीब 70 मीटर निजी भूमि पर अतिक्रमण हटाकर खुदाई कराई जाए तो यह माइनर खड्डा नाला होते हुए जुड़वनिया नाला के माध्यम से बांसी नदी से जुड़ सकता है।
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किन्नर पट्टी माइनर की करीब 2.00 किमी अवशेष दूरी पूरी तरह अतिक्रमित पाई गई है। वर्तमान में यहां कोई कार्य नहीं हुआ है। यह माइनर कुंडवा के पास जुड़वनिया नाले में गिरता है, लेकिन पर्याप्त जल उपलब्ध न होने के कारण बांसी नदी तक जल प्रवाह संभव नहीं हो पा रहा है। डुमरा माइनर में सिंचाई विभाग द्वारा सिल्ट सफाई कराई गई है, लेकिन करीब 0.300 किमी अवशेष भाग छोड़ा गया है।
