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Lakhimpur Kheri News: जागरूकता से घट रहे एड्स के मरीज, 36 फ़ीसदी आई कमी
संवाद न्यूज एजेंसी, लखीमपुर खीरी
Updated Sun, 30 Nov 2025 11:10 PM IST
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लखीमपुर खीरी। एचआईवी एड्स के प्रति चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों का असर देखने को मिला है। यह मरीजों के घटते आंकड़े दर्शा रहे हैं। चार सालों में 36 फीसदी मरीजों में कमी आई है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, वर्ष 2021 में एड्स के 14 मरीज मिले थे। इसके बाद वर्ष 2022 में काफी इजाफा हुआ, जो नए मरीज मिले उनकी संख्या 64 हो गई। हालांकि, इसके बाद से जो नए मरीज मिल रहे हैं, उनकी संख्या लगातार कम आ रही है।
आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2023 में 57, 2024 में 55 और 2025 में अब तक 35 मरीज जिले में एचआईवी एड्स के सामने आए हैं। इस हिसाब से नए मरीजों की संख्या में तकरीबन 36 फ़ीसदी की कमी आई है। चिकित्सकों का कहना है कि किसी को बुखार, सूखी खांसी, थकान के साथ वजन कम होना, त्वचा, मुंह, आंख या नाक के पास धब्बे पड़ना और शरीर में दर्द की शिकायत हो, तो यह एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम) के लक्षण हो सकते हैं।
बीमारी से ग्रसित मरीज शर्म और झिझक के चलते इलाज करने की बजाय बीमारी को छिपाते हैं, इससे उसकी मौत भी हो जाती है। एड्स रोगी के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कमजोर करता है। हालांकि, अब जागरूकता के चलते इसमें सुधार हो रहा है। मरीज को इलाज दिए जाने के साथ ही उनकी काउंसलिंग भी की जाती है। नोडल डॉ. प्रमोद रावत ने बताया कि एड्स के रोकथाम को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का असर दिख रहा है।
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स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, वर्ष 2021 में एड्स के 14 मरीज मिले थे। इसके बाद वर्ष 2022 में काफी इजाफा हुआ, जो नए मरीज मिले उनकी संख्या 64 हो गई। हालांकि, इसके बाद से जो नए मरीज मिल रहे हैं, उनकी संख्या लगातार कम आ रही है।
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आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2023 में 57, 2024 में 55 और 2025 में अब तक 35 मरीज जिले में एचआईवी एड्स के सामने आए हैं। इस हिसाब से नए मरीजों की संख्या में तकरीबन 36 फ़ीसदी की कमी आई है। चिकित्सकों का कहना है कि किसी को बुखार, सूखी खांसी, थकान के साथ वजन कम होना, त्वचा, मुंह, आंख या नाक के पास धब्बे पड़ना और शरीर में दर्द की शिकायत हो, तो यह एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम) के लक्षण हो सकते हैं।
बीमारी से ग्रसित मरीज शर्म और झिझक के चलते इलाज करने की बजाय बीमारी को छिपाते हैं, इससे उसकी मौत भी हो जाती है। एड्स रोगी के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कमजोर करता है। हालांकि, अब जागरूकता के चलते इसमें सुधार हो रहा है। मरीज को इलाज दिए जाने के साथ ही उनकी काउंसलिंग भी की जाती है। नोडल डॉ. प्रमोद रावत ने बताया कि एड्स के रोकथाम को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का असर दिख रहा है।