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Lakhimpur Kheri News: साहित्य क्षेत्र में परचम लहरा रहीं शहर की महिलाएं

संवाद न्यूज एजेंसी, लखीमपुर खीरी Updated Tue, 25 Nov 2025 11:14 PM IST
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Women of the city are flying high in the literary field
शिवा अवस्थी
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लखीमपुर खीरी। शहर की महिलाओं ने साहित्य के क्षेत्र में अपना परचम लहरा कर एक नई पहचान बनाई है। हिंदी, उर्दू और संस्कृत भाषाओं में लिखी गई उनकी कविताएं, गजलें और आलेख न केवल साहित्य प्रेमियों को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि मंचों पर उनकी काव्य प्रस्तुतियां भी दर्शकों के बीच प्रशंसा का विषय बनी हैं।
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इन महिलाओं ने जिला स्तर से लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इनकी कई पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं, शहर की इन महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि सृजन और शब्दों की ताकत सीमाओं की मोहताज नहीं होती।
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हुमैरा फात्मा काव्यपाठ के लिए जानी जातीं
शहर की युवा साहित्यकार हुमैरा फात्मा साहित्य जगत में अपना परचम लहरा रही हैं। हिंदी परास्नातक में स्वर्णपदक प्राप्त हुमैरा नेट-जेआरएफ योग्य हैं और वर्तमान में शोधरत हैं। उनकी कविताएं, हाइकु, क्षणिकाएं व आलेख रंगमंच, काव्य किरण, टाइम टुडे, मुक्ति पत्रिका सहित कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें राजभाषा हिंदी द्वारा सम्मान, जिला न्यायालय से पुरस्कृत होने के साथ तुलसी साहित्य सम्मान में प्रथम स्थान भी प्राप्त है। विभिन्न संगोष्ठियों व काव्य समारोहों में वे प्रभावी संचालन और काव्यपाठ के लिए जानी जाती हैं। हुमैरा फात्मा ने बताया कि साहित्य मेरे लिए आत्म-अभिव्यक्ति का मार्ग है। समाज और पाठकों का स्नेह मुझे निरंतर नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।
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संस्कृत में लोकगीत, गीत और आशुकाव्य विशेष पहचान
शहर की युवा साहित्यकार मुदिता संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। संस्कृत विषय में शोधरत व नेट क्वालीफाइड मुदिता वर्तमान में प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं। वे संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में रचना करती हैं, परंतु संस्कृत में लोकगीत, गीत और आशुकाव्य उनकी विशेष पहचान है। लखीमपुर के दशहरा मेले के संस्कृत कवि सम्मेलन में उनकी सक्रिय भागीदारी रहती है। साहित्य विषय पर पीएचडी करते हुए कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय शोधपत्र प्रस्तुत किए हैं। संस्कृत संस्थान उत्तर प्रदेश की प्रतियोगिताओं में वे निर्णायक की भूमिका भी निभाती हैं। मुदिता अवस्थी ने बताया कि संस्कृत मेरी साधना है। यह केवल भाषा नहीं, बल्कि मेरी सांस्कृतिक पहचान है। साहित्यिक सृजन मुझे निरंतर सीखने और समाज से जुड़े रहने की ऊर्जा देता है।
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साहित्य मेरे जीवन का संबल : डॉ. मृदुला
फोटो- 08
शहर की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मृदुला शुक्ला ‘मृदु’ हिंदी, संस्कृत और उर्दू तीनों भाषाओं में चार दशक से अधिक समय से सक्रिय साहित्य-सृजन कर रही हैं। आकाशवाणी व दूरदर्शन लखनऊ से उनकी रचनाओं का निरंतर प्रसारण होता रहा है। अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता के साथ उनकी कविताएं, कहानियां व हाइकु विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और साझा संकलनों में प्रकाशित होती रहती हैं। मृदुलाञ्जलि, भक्त्याञ्जलि, शतदल, उम्मीदों की छांव में, सन्तू जाग गया और मधुवन में मधुमास उनकी प्रमुख कृतियां हैं। उन्हें हिंदी रत्न, नारी रत्न, साहित्य भूषण और भारत-नेपाल मैत्री सम्मान सहित अनेक सम्मान प्राप्त हैं। डॉ. मृदुला शुक्ला ने बताया कि साहित्य मेरे जीवन का संबल है। यदि मेरी रचनाएं पाठकों के हृदय तक पहुंचती हैं, तो यही मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
- डॉ. मृदुला शुक्ला
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छह काव्य-संग्रह प्रकाशित कर चुकी हैं शुभा
फोटो- 09
शहर की साहित्यकार शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’ साहित्य जगत में अपना परचम लहरा रही हैं। वह अब तक छह काव्य-संग्रह प्रकाशित कर चुकी हैं और उनकी रचनाएं रेख़्ता, कविताकोश सहित अनेक मंचों पर सराही जाती हैं। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत अधर को साहित्य भूषण सम्मान, काव्य सृजन सम्मान समेत कई सम्मान मिल चुके हैं। डीडी. उत्तर प्रदेश और रेडियो जंक्शन पर उनका काव्यपाठ भी प्रसारित हो चुका है। शुभा शुक्ला ने बताया कि साहित्य मेरा श्वास है। पाठकों का स्नेह ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है और यही मुझे निरंतर लिखने की प्रेरणा देता है।
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लेखन मेरी आत्मा की आवाज : शिवा
फोटो- 10
बेहजम ब्लॉक के खजुहा गांव की युवा रचनाकार शिवा अवस्थी साहित्य और कला जगत में अपना परचम लहरा रही हैं। शोधार्थी शिवा तूलिका से कलाकार और मन से कवयित्री हैं। वे अब तक 50 से अधिक गीत लिखकर गीतकार के रूप में निजी पहचान बना चुकी हैं। उनका काव्य संग्रह हरसिंगार 2018 में प्रकाशित हुआ, जबकि आधा दर्जन से अधिक साझा संकलनों में उनकी रचनाएं सम्मिलित हैं। अभिनव इमरोज़ सहित कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएं व स्केच प्रकाशित हुए हैं। शिवा को छह से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है और वे निरंतर सक्रिय हैं। शिवा अवस्थी ने बताया कि लेखन मेरी आत्मा की आवाज है। साहित्य और कला, दोनों ही मुझे समाज से जोड़ते हैं और सकारात्मक सृजन की प्रेरणा देते हैं।

शिवा अवस्थी

शिवा अवस्थी

शिवा अवस्थी

शिवा अवस्थी

शिवा अवस्थी

शिवा अवस्थी

शिवा अवस्थी

शिवा अवस्थी

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