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बच्चों की सेहत पर शीत लहर की मार
Lalitpur
Updated Thu, 24 Jan 2013 05:31 AM IST
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ललितपुर। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के बीच लगातार चल रही शीतलहर की मार बच्चों की सेहत पर पड़ रही है। सरकारी अस्पताल की जनरल ओपीडी में रोजाना तीन दर्जन से अधिक बच्चे खांसी, जुकाम, बुखार व निमोनिया से ग्रसित आ रहे हैं, वहीं नवजात शिशुओं की जीवनदायिनी यूनिट में उपचार कराने वालों में दस फीसदी बच्चे हाईपोथर्मिया से ग्रसित हैं।
शीतलहर चलने के कारण अस्पतालों के ओपीडी में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। सर्दी के प्रकोप का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ रहा है। छह माह से कम आयु के बच्चों में हाइपोथर्मिया की शिकायत बढ़ रही है। नवजात शिशुओं की जीवनदायिनी यूनिट के प्रभारी व नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डा. राजनारायण का कहना है कि यूनिट में दस फीसदी बच्चे हाइपोथर्मिया की शिकायत के चलते भर्ती किए जा रहे हैं। यह वे बच्चे हैं जो हाइपोथर्मिया के कारण गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं, मसलन मां का दूध छोड़ने, सांस अनियमित हो जाने पर उनको यूनिट में भर्ती करके उपचार किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ठंड से प्रभावित अन्य बच्चों को कंगारू मदर केयर पद्धति अपनाने की सलाह दी जा रही है। कंगारू मदर केयर पद्धति में नवजात शिशुओं को उसके मां के सीने पर लिटाने की सलाह दी जाती है, जिससे उसका तापमान सामान्य हो जाता है। नवजात शिशुओं का तापमान नियंत्रित करने का यह सबसे कारगर उपाय है। वरिष्ठ बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ व जिला महिला चिकित्सालय के सीएमएस डा. हरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि सर्दी के सीजन में एक्यूट ब्रोंकोलाइटस (सांस संबंधी बीमारी) बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। इसमें सांस की नली में सूजन आ जाने के कारण पीड़ित बच्चा सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता और उसकी हालत निमोनिया की तरह हो जाती है। इसी तरह बड़े बच्चों में सर्दी बढ़ने से जुकाम, खांसी और बुखार की शिकायत हो जाती है।
बचाव
- बच्चों को पूरी तरह ढंक कर रखे
- तापमान के हिसाब से कपड़े पहनाए
- बच्चों के पैरों में मोजे पहनाकर रखें
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शीतलहर चलने के कारण अस्पतालों के ओपीडी में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। सर्दी के प्रकोप का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ रहा है। छह माह से कम आयु के बच्चों में हाइपोथर्मिया की शिकायत बढ़ रही है। नवजात शिशुओं की जीवनदायिनी यूनिट के प्रभारी व नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ डा. राजनारायण का कहना है कि यूनिट में दस फीसदी बच्चे हाइपोथर्मिया की शिकायत के चलते भर्ती किए जा रहे हैं। यह वे बच्चे हैं जो हाइपोथर्मिया के कारण गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं, मसलन मां का दूध छोड़ने, सांस अनियमित हो जाने पर उनको यूनिट में भर्ती करके उपचार किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ठंड से प्रभावित अन्य बच्चों को कंगारू मदर केयर पद्धति अपनाने की सलाह दी जा रही है। कंगारू मदर केयर पद्धति में नवजात शिशुओं को उसके मां के सीने पर लिटाने की सलाह दी जाती है, जिससे उसका तापमान सामान्य हो जाता है। नवजात शिशुओं का तापमान नियंत्रित करने का यह सबसे कारगर उपाय है। वरिष्ठ बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ व जिला महिला चिकित्सालय के सीएमएस डा. हरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि सर्दी के सीजन में एक्यूट ब्रोंकोलाइटस (सांस संबंधी बीमारी) बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। इसमें सांस की नली में सूजन आ जाने के कारण पीड़ित बच्चा सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता और उसकी हालत निमोनिया की तरह हो जाती है। इसी तरह बड़े बच्चों में सर्दी बढ़ने से जुकाम, खांसी और बुखार की शिकायत हो जाती है।
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बचाव
- बच्चों को पूरी तरह ढंक कर रखे
- तापमान के हिसाब से कपड़े पहनाए
- बच्चों के पैरों में मोजे पहनाकर रखें