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Lalitpur News: मेडिकल कॉलेज में तैनात चिकित्सक निकला इंजीनियर
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डॉ राजीव गुप्ता (अभिनव सिंह)
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आईआईटी रुड़की से की थी पढ़ाई, 2013 में अभिनव सिंह ने राजीव गुप्ता के नाम से बनवाया था अपना आधार कार्ड
बहन सोनिया के बयान दर्ज, पुलिस ने फर्जी चिकित्सक के खिलाफ दर्ज की प्राथमिकी, होगी वेतन की वसूली
मथुरा के केडी मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में किया था कार्य, 2019 में किया गया था गिरफ्तार
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। मेडिकल कॉलेज में जीजा डॉ. राजीव गुप्ता की डिग्री पर तैनात कार्डियोलॉजिस्ट अभिनव सिंह स्वास्थ्य विभाग की जांच में इंजीनियर निकला। स्वास्थ्य विभाग ने फर्जी चिकित्सक पर वेतन वसूली समेत अन्य विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। कोतवाली सदर पुलिस ने इस मामले में उप मुख्य चिकित्साधिकारी रामनरेश सोनी की तहरीर पर अभिनव सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
उसने 2017 से 2019 तक मथुरा के केडी मेडिकल कॉलेज डॉ. राजीव गुप्ता की डिग्री पर ही एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया था। कस्टम विभाग में भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने उसे मार्च 2019 में मथुरा से गिरफ्तार किया था।
जिलाधिकारी सत्यप्रकाश के निर्देश पर सीएमओ डाॅ. इम्तियाज अहमद ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। इसमें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र सिंह, सीएमएस डॉ. गजेंद्र सिंह, प्रशासनिक अधिकारी हेमंत कुमार शामिल रहे। बृहस्पतिवार को जांच कमेटी शिकायतकर्ता डॉ. सोनाली सिंह के डेमरोड स्थित आवास पर पहुंची, जहां उनके बयान दर्ज किए गए।
जांच कमेटी ने पाया कि डॉ. राजीव गुप्ता अमेरिका के एक अस्पताल में कार्यरत हैं। इन्हीं की डिग्री लगाकर ललितपुर मेडिकल काॅलेज में कार्डियो एवं जनरल मेडिसिन के पद पर अभिनव सिंह ने नौकरी पाई। अभिनव ने आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। वर्ष 2013 में उसने आधार कार्ड और पैनकार्ड राजीव गुप्ता के नाम से बनवाया था। बैंक में खाता खुलवाकर वेतन भी लेने लगा।
बर्खास्तगी की तैयारी शुरू
जीजा की डिग्री लगाकर चिकित्सक बने अभिनव सिंह को उसके फर्जीवाड़ा की पोल खुलने की भनक लग गई थी। इस पर उसने मेडिकल काॅलेज प्रशासन को इस्तीफा भेज दिया था। मामले का खुलासा होने पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस्तीफा को अस्वीकार करते हुए उसकी बर्खास्तगी की तैयारी शुरू कर दी है।
मां की मौत का झूठा हवाला देकर दिया त्यागपत्र
फर्जी चिकित्सक अभिनव सिंह ने शिकायत होने के एक दिन पहले ही अपनी मां की मौत का हवाला लेकर त्यागपत्र दे दिया था। त्यागपत्र के अगले दिन शिकायत करने पहुंची बहन डॉ. सोनाली सिंह से जब प्रधानाचार्य ने मां की मौत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मां पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
वर्जन
मेडिकल कॉलेज में तीन वर्ष से कार्यरत डॉ. राजीव गुप्ता का असली नाम अभिनव सिंह हैं, जो रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह पूर्व में कस्टम अधिकारी था। दूसरे की डिग्री लगाकर नौकरी पाई है। मामले में जांच की जा रही है। एनएचएम को सूचना दी गई है। मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी। - डाॅ. मयंक कुमार शुक्ला, प्रधानाचार्य, मेडिकल कॉलेज
जांच टीम ने चिकित्सक बने व्यक्ति का असली नाम अभिनव सिंह होने की जानकारी दी है। टीम मामले में गहनता से जांच कर रही है। जल्द ही एफआईआर और वेतन रिकवरी की कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. इम्तियाज अहमद, सीएमओ, ललितपुर
पहले कस्टम अधिकारी, फिर बना कार्डियोलॉजिस्ट
ललितपुर। शहर में गोविंद डैम कॉलोनी निवासी अभिनव सिंह इंजीनियरिंग करने के बाद कस्टम अधिकारी बना। यहां धोखाधड़ी के मामले में नौकरी से बर्खास्त किया गया और जेल गया। इसके बाद डॉ. राजीव गुप्ता ने नाम पर आधार कार्ड व पैनकार्ड बनवाकर मेडिकल कॉलेज में नौकरी पा ली। जमीन विवाद के बाद बहन डॉ. सोनाली सिंह की शिकायत के बाद मामला खुला तो मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया।
चिकित्सक बने अभिनव सिंह की फर्जीवाड़ा की कहानी नई नहीं है। इससे पहले, रुड़की से इंजीनियर की पढ़ाई के बाद वह चेन्नई में कस्टम अधिकारी के पद पर तैनात हुआ था। यहां पर भी धोखाधड़ी की। उस पर वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोप लगे थे।
इसके बाद अभिनव सिंह ने अपने कार्डियोलॉजिस्ट जीजा की एमबीबीएस व एमडी की डिग्री लेकर मेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में पंजीकरण करा लिया। 2022 में स्वास्थ्य विभाग की ओर से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्डियो एवं जनरल मेडिसिन के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ। इसमें अपने जीजा की डिग्री लगाई और मेडिकल कॉलेज में हृदय रोग विशेषज्ञ बन गया। यह जानकारी जांच टीम के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दी है।
ये है डॉ. राजीव गुप्ता की असली कहानी
डॉ. राजीव गुप्ता मूल रूप से कलकत्ता के 113 ए मनोहरदास चौक द्वितीय तल के निवासी हैं। इनके पिता का नाम तिलकराज गुप्ता व मां का नाम शकुंतला है। राजीव गुप्ता ने 1993 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी। इसके बाद एमडी की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से वर्ष 1996 में पूरी की। यहीं पर चिकित्सा की पढ़ाई कर रहीं ललितपुर की डॉ. सोनाली सिंह की मुलाकात डॉ. राजीव से हुई। बाद में दोनों ने शादी कर लीं। वर्ष 1998 में डॉ. अमेरिका में शिफ्ट हो गए। यहां पर टेक्सास शहर के एक अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट के पद सेवा दे रहे हैं। यह जानकारी उनकी पत्नी और अभिनव सिंह की बहन डॉ. सोनाली सिंह ने दी है।
तीन वर्ष तक हृदय रोगियों का इलाज करता रहा इंजीनियर
मेडिकल कॉलेज में उपचार के नाम पर हृदय रोगियों के साथ खिलवाड़ होता रहा। फर्जी दस्तावेज के सहारे चिकित्सक बना इंजीनियर अभिनव तीन साल तक हृदय रोग विशेषज्ञ के पद पर बना रहा लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। अभिनव सिंह के पिता का नाम चंद्रपाल सिंह हैं, जो सिंचाई विभाग ललितपुर में अधिशासी अभियंता के पद पर तैनात थे। इनकी मां हर्ष जैन हैं।
पहचान बदलकर मथुरा में नौकरी की, सीबीआई ने किया था गिरफ्तार
जानकारी के मुताबिक, अभिनव सिंह सीमा शुल्क विभाग में मूल्यांकन अधिकारी के पद पर तैनात था। तब उस पर फर्जी निर्यात दस्तावेजों को स्वीकार करने, शिपिंग बिलों में हेरफेर और 5 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। सीबीआई ने इस मामले में सितंबर 1999 में प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में आरोपी अभिनव सिंह लगभग दो दशकों तक लापता रहा। मार्च 2019 में आरोपी को अकबरपुर, छाता, मथुरा स्थित केडी मेडिकल कॉलेज परिसर से गिरफ्तार किया गया, जहां वह डॉ. राजीव गुप्ता नाम से जनरल मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहा था। गिरफ्तारी के बाद उसके दस्तावेज और मेडिकल कॉलेज का पहचान पत्र भी जब्त किया गया, जिससे उसकी बदली हुई पहचान की पुष्टि हुई।
मेडिकल कॉलेज के सभी चिकित्सकों का होगा सत्यापन, नई नियुक्ति पर एलआईयू की भी जांच
ललितपुर। मेडिकल कॉलेज में एक चिकित्सक के फर्जी होने से महकमे में हड़कंप मच गया है। अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सभी चिकित्सकों के दस्तावेज और चरित्र सत्यापन कराने का निर्णय लिया है।
मामले का खुलासा होने के बाद मेडिकल कॉ़लेज में बृहस्पतिवार को चिकित्सकों के बीच विभिन्न प्रकार की चर्चाएं हो रही थीं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। अब कॉलेज में कार्यरत सभी चिकित्सकों के दस्तावेज की जांच कराई जाएगी। इसके साथ ही एक शपथ पत्र भी लिया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मयंक शुक्ला ने बताया कि इस तरह का फर्जीवाड़ा गंभीर मामला है। भविष्य में किसी तरह का फर्जीवाड़ा न हो, इसके लिए नई नियुक्ति होने पर दस्तावेज का सत्यापन कराने के साथ ही एलआईयू से भी जांच कराई जाएगी।
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बहन सोनिया के बयान दर्ज, पुलिस ने फर्जी चिकित्सक के खिलाफ दर्ज की प्राथमिकी, होगी वेतन की वसूली
मथुरा के केडी मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में किया था कार्य, 2019 में किया गया था गिरफ्तार
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। मेडिकल कॉलेज में जीजा डॉ. राजीव गुप्ता की डिग्री पर तैनात कार्डियोलॉजिस्ट अभिनव सिंह स्वास्थ्य विभाग की जांच में इंजीनियर निकला। स्वास्थ्य विभाग ने फर्जी चिकित्सक पर वेतन वसूली समेत अन्य विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। कोतवाली सदर पुलिस ने इस मामले में उप मुख्य चिकित्साधिकारी रामनरेश सोनी की तहरीर पर अभिनव सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
उसने 2017 से 2019 तक मथुरा के केडी मेडिकल कॉलेज डॉ. राजीव गुप्ता की डिग्री पर ही एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया था। कस्टम विभाग में भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने उसे मार्च 2019 में मथुरा से गिरफ्तार किया था।
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जिलाधिकारी सत्यप्रकाश के निर्देश पर सीएमओ डाॅ. इम्तियाज अहमद ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। इसमें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र सिंह, सीएमएस डॉ. गजेंद्र सिंह, प्रशासनिक अधिकारी हेमंत कुमार शामिल रहे। बृहस्पतिवार को जांच कमेटी शिकायतकर्ता डॉ. सोनाली सिंह के डेमरोड स्थित आवास पर पहुंची, जहां उनके बयान दर्ज किए गए।
जांच कमेटी ने पाया कि डॉ. राजीव गुप्ता अमेरिका के एक अस्पताल में कार्यरत हैं। इन्हीं की डिग्री लगाकर ललितपुर मेडिकल काॅलेज में कार्डियो एवं जनरल मेडिसिन के पद पर अभिनव सिंह ने नौकरी पाई। अभिनव ने आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। वर्ष 2013 में उसने आधार कार्ड और पैनकार्ड राजीव गुप्ता के नाम से बनवाया था। बैंक में खाता खुलवाकर वेतन भी लेने लगा।
बर्खास्तगी की तैयारी शुरू
जीजा की डिग्री लगाकर चिकित्सक बने अभिनव सिंह को उसके फर्जीवाड़ा की पोल खुलने की भनक लग गई थी। इस पर उसने मेडिकल काॅलेज प्रशासन को इस्तीफा भेज दिया था। मामले का खुलासा होने पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस्तीफा को अस्वीकार करते हुए उसकी बर्खास्तगी की तैयारी शुरू कर दी है।
मां की मौत का झूठा हवाला देकर दिया त्यागपत्र
फर्जी चिकित्सक अभिनव सिंह ने शिकायत होने के एक दिन पहले ही अपनी मां की मौत का हवाला लेकर त्यागपत्र दे दिया था। त्यागपत्र के अगले दिन शिकायत करने पहुंची बहन डॉ. सोनाली सिंह से जब प्रधानाचार्य ने मां की मौत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मां पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
वर्जन
मेडिकल कॉलेज में तीन वर्ष से कार्यरत डॉ. राजीव गुप्ता का असली नाम अभिनव सिंह हैं, जो रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वह पूर्व में कस्टम अधिकारी था। दूसरे की डिग्री लगाकर नौकरी पाई है। मामले में जांच की जा रही है। एनएचएम को सूचना दी गई है। मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी। - डाॅ. मयंक कुमार शुक्ला, प्रधानाचार्य, मेडिकल कॉलेज
जांच टीम ने चिकित्सक बने व्यक्ति का असली नाम अभिनव सिंह होने की जानकारी दी है। टीम मामले में गहनता से जांच कर रही है। जल्द ही एफआईआर और वेतन रिकवरी की कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. इम्तियाज अहमद, सीएमओ, ललितपुर
पहले कस्टम अधिकारी, फिर बना कार्डियोलॉजिस्ट
ललितपुर। शहर में गोविंद डैम कॉलोनी निवासी अभिनव सिंह इंजीनियरिंग करने के बाद कस्टम अधिकारी बना। यहां धोखाधड़ी के मामले में नौकरी से बर्खास्त किया गया और जेल गया। इसके बाद डॉ. राजीव गुप्ता ने नाम पर आधार कार्ड व पैनकार्ड बनवाकर मेडिकल कॉलेज में नौकरी पा ली। जमीन विवाद के बाद बहन डॉ. सोनाली सिंह की शिकायत के बाद मामला खुला तो मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया।
चिकित्सक बने अभिनव सिंह की फर्जीवाड़ा की कहानी नई नहीं है। इससे पहले, रुड़की से इंजीनियर की पढ़ाई के बाद वह चेन्नई में कस्टम अधिकारी के पद पर तैनात हुआ था। यहां पर भी धोखाधड़ी की। उस पर वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोप लगे थे।
इसके बाद अभिनव सिंह ने अपने कार्डियोलॉजिस्ट जीजा की एमबीबीएस व एमडी की डिग्री लेकर मेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में पंजीकरण करा लिया। 2022 में स्वास्थ्य विभाग की ओर से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्डियो एवं जनरल मेडिसिन के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ। इसमें अपने जीजा की डिग्री लगाई और मेडिकल कॉलेज में हृदय रोग विशेषज्ञ बन गया। यह जानकारी जांच टीम के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दी है।
ये है डॉ. राजीव गुप्ता की असली कहानी
डॉ. राजीव गुप्ता मूल रूप से कलकत्ता के 113 ए मनोहरदास चौक द्वितीय तल के निवासी हैं। इनके पिता का नाम तिलकराज गुप्ता व मां का नाम शकुंतला है। राजीव गुप्ता ने 1993 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी। इसके बाद एमडी की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से वर्ष 1996 में पूरी की। यहीं पर चिकित्सा की पढ़ाई कर रहीं ललितपुर की डॉ. सोनाली सिंह की मुलाकात डॉ. राजीव से हुई। बाद में दोनों ने शादी कर लीं। वर्ष 1998 में डॉ. अमेरिका में शिफ्ट हो गए। यहां पर टेक्सास शहर के एक अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट के पद सेवा दे रहे हैं। यह जानकारी उनकी पत्नी और अभिनव सिंह की बहन डॉ. सोनाली सिंह ने दी है।
तीन वर्ष तक हृदय रोगियों का इलाज करता रहा इंजीनियर
मेडिकल कॉलेज में उपचार के नाम पर हृदय रोगियों के साथ खिलवाड़ होता रहा। फर्जी दस्तावेज के सहारे चिकित्सक बना इंजीनियर अभिनव तीन साल तक हृदय रोग विशेषज्ञ के पद पर बना रहा लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। अभिनव सिंह के पिता का नाम चंद्रपाल सिंह हैं, जो सिंचाई विभाग ललितपुर में अधिशासी अभियंता के पद पर तैनात थे। इनकी मां हर्ष जैन हैं।
पहचान बदलकर मथुरा में नौकरी की, सीबीआई ने किया था गिरफ्तार
जानकारी के मुताबिक, अभिनव सिंह सीमा शुल्क विभाग में मूल्यांकन अधिकारी के पद पर तैनात था। तब उस पर फर्जी निर्यात दस्तावेजों को स्वीकार करने, शिपिंग बिलों में हेरफेर और 5 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। सीबीआई ने इस मामले में सितंबर 1999 में प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में आरोपी अभिनव सिंह लगभग दो दशकों तक लापता रहा। मार्च 2019 में आरोपी को अकबरपुर, छाता, मथुरा स्थित केडी मेडिकल कॉलेज परिसर से गिरफ्तार किया गया, जहां वह डॉ. राजीव गुप्ता नाम से जनरल मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहा था। गिरफ्तारी के बाद उसके दस्तावेज और मेडिकल कॉलेज का पहचान पत्र भी जब्त किया गया, जिससे उसकी बदली हुई पहचान की पुष्टि हुई।
मेडिकल कॉलेज के सभी चिकित्सकों का होगा सत्यापन, नई नियुक्ति पर एलआईयू की भी जांच
ललितपुर। मेडिकल कॉलेज में एक चिकित्सक के फर्जी होने से महकमे में हड़कंप मच गया है। अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सभी चिकित्सकों के दस्तावेज और चरित्र सत्यापन कराने का निर्णय लिया है।
मामले का खुलासा होने के बाद मेडिकल कॉ़लेज में बृहस्पतिवार को चिकित्सकों के बीच विभिन्न प्रकार की चर्चाएं हो रही थीं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। अब कॉलेज में कार्यरत सभी चिकित्सकों के दस्तावेज की जांच कराई जाएगी। इसके साथ ही एक शपथ पत्र भी लिया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मयंक शुक्ला ने बताया कि इस तरह का फर्जीवाड़ा गंभीर मामला है। भविष्य में किसी तरह का फर्जीवाड़ा न हो, इसके लिए नई नियुक्ति होने पर दस्तावेज का सत्यापन कराने के साथ ही एलआईयू से भी जांच कराई जाएगी।
