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Lalitpur News: गेहूं की जगह किसानों को मिला था मटर के नुकसान का फसल बीमा

Jhansi Bureau झांसी ब्यूरो
Updated Fri, 19 Dec 2025 12:21 AM IST
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Instead of compensation for wheat, farmers received crop insurance for losses to their pea crop.
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- किसानों ने जिले में आए जलशक्ति मंत्री से की थी शिकायत
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संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। जनपद में एक वर्ष पहले रबी के सीजन में गेहूं की फसलों को नुकसान होने के बाद भी कई किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल सका था। इसके चलते कई गांव के ग्रामीणों ने जनपद आए जलशक्ति मंत्री को शिकायती पत्र देकर गेहूं के स्थान पर मटर नष्ट होने का गलत बीमा दिए जाने के आरोप लगाए थे। इससे कई गांव में सैकड़ों किसानों को गेहूं की फसल नष्ट होने के बाद भी फसल बीमा का लाभ नहीं मिल सका।
बीते साल रबी के सीजन में जब गेहूं, मटर आदि की फसलें पककर तैयार होने को थी, तभी अचानक बारिश होने से कई गांव में फसलों को भारी क्षति पहुंची थी। इस पर किसानों ने सड़कों पर उतरकर नष्ट फसलों का बीमा दिलाने की मांग की थी। कई बार किसानों ने जिलाधिकारी की चौखट पर भी पहुंचकर फसल बीमा दिलाने की मांग की थी। इस पर कृषि विभाग व बीमा कंपनियों ने सर्वेकर किसानों को फसल बीमा का मुआवजा भी दिया गया था। इसके तहत जनपद में 1,16,999 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए दावा किया था। इनमें 12,079 किसानों को 30 करोड़ 17 लाख रुपये की बीमा धनराशि दी गई थी, लेकिन कई गांव के किसान दिए गए बीमा से संतुष्ट नहीं थे। ग्राम टेनगा, ग्राम बजर्रा, खजुरिया और छिल्ला के दर्जनों किसानों ने आरोप लगाए थे कि उनकी गेहूं की फसल प्राकृतिक आपदा के चलते 70 से 90 फीसदी तक नष्ट हुई थी, जबकि उन्हें बीमा का लाभ नहीं दिया गया, बल्कि गेहूं की जगह मटर की फसल नष्ट होने का बीमा दिया गया।
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वहीं ग्राम बजर्रा और ग्राम टेनगा के ग्रामीणों ने जून माह में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के जनपद आने पर उनका घेराव करते हुए अपनी गेहूं की जगह मटर की फसल का बीमा देने के आरोप लगाए थे। ग्राम टेनगा के ग्रामीणों ने जलशक्ति मंत्री को ज्ञापन देकर बताया था कि उनके गांव के किसानों के द्वारा मात्र दो फीसदी मटर बोई थी और 98 फीसदी गेहूं की फसल बोई थी। प्राकृतिक आपदा में किसानों की गेहूं व मटर की फसलें नष्ट हो गई थी। फसल बीमा कंपनी के मध्यस्थ लोगों द्वारा गेहूं की फसल की जगह मटर की फसल दिखाकर कुछ किसानों के खातों में बीमा डाला गया, जो निराधार है। जबकि जिन किसानों को बीमा नहीं मिला, उन किसानों ने साहूकारों और बैंक से ऋण लेकर फसल बोई थी। किसानों को आश्वासन तो दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई और न ही उन्हें गेहूं की फसलें नष्ट होने का बीमा या आर्थिक सहायता ही दी गई। उप कृषि निदेशक यशराज सिंह ने बताया कि हमारे कार्यकाल का मामला नहीं है यदि कोई शिकायत मिलती है तो उसकी जांच कराई जाएगी।
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