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लापरवाही : टेंडर होने के 12 वर्ष बाद भी माइनर पक्की नहीं

Jhansi Bureau झांसी ब्यूरो
Updated Wed, 17 Dec 2025 12:23 AM IST
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Negligence: Minor not paved even after 12 years of tender
मुड़िया माइनर में भरी गंदगी। - फोटो : पुलिस लाइन में परेड की सलामी लेते एएसपी।
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महरौनी में जामनी नहर से निकली है मुड़िया माइनर
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दुर्गंध के कारण आसपास के लोगों का रहना हुआ मुश्किल, ग्रामीमों ने की मुख्यमंत्री से जांच कराने की मांग
संवाद न्यूज एजेंसी
सिलावन-महरौनी। कस्बा महरौनी में जामनी नहर से निकली मुड़िया माइनर के पक्कीकरण के लिए 12 वर्ष पूर्व टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई थी लेकिन आज तक यह कार्य नहीं हो सका। हैरत की बात यह है कि नवंबर 2013 में तत्कालीन अधिशासी अभियंता ने ग्रामीणों को माइनर के पक्का कराने का आश्वासन दिया लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया। अब ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मामले की जांच कराने के साथ ही माइनर को पक्का कराने की मांग की है।
जामनी बांध से निकली मुड़िया माइनर महरौनी नगर के मड़ावरा रोड से होते हुए मंडी रोड तक पहुंचती है। माइनर के किनारे-किनारे बड़ी संख्या में आबादी भी बस गई है। वहीं, माइनर की पट्टी पर बने रास्ते से होकर नगरवासी मंदिर, अस्पताल, विद्यालय आदि स्थानों पर पहुंचते हैं। लोगों का कहना है कि माइनर के कच्चा होने के चलते यह गंदगी से पटी रहती है। इसके चलते उसमें से उठ रही दुर्गंध से रहना मुश्किल हो रहा है। वहीं, आए दिन वाहन चालक और पशु गिरकर चोटिल हो रहे हैं।
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ग्रामीणों का कहना है कि एक अक्तूबर 2013 को सिंचाई विभाग के अधिकारियों को इस परेशानी से अवगत कराया गया था। इस पर 24 अक्तूबर 2013 को विभाग ने पत्र जारी कर बताया था कि उक्त कार्य की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर मुड़िया माइनर के पक्कीकरण कार्य के लिए सम्मिलित कर लिया गया और नवंबर से माइनर के पक्कीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसके बावजूद, अभी तक निर्माण कार्य नहीं शुरू हुआ।

मानवाधिकार आयोग ने भी लिया था संज्ञान
स्थानीय लोगों ने बताया कि माइनर में फैली गंदगी और उससे लोगों पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को लेकर मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया था। आयोग ने जिलाधिकारी को तत्काल कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए थे। इसकी भी अनदेखी करने का आरोप स्थानीय लोग लगा रहे हैं।


वर्जन
टेंडर होने के बाद भी माइनर को पक्का न कराने का मामला काफी पुराना है। इसकी जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। - भूपेश सुहेरा, अधिशासी अभियंता
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