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Lalitpur News: दो बालिकाओं से दुष्कर्म के आरोपी शिक्षक को बीस वर्ष का कारावास
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- पीड़िताएं सगी बहनें हैं, धमकाने से कई दिनों तक दहशत में रहीं
- न्यायालय ने 58 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया, प्रतिकर अदा होने पर अस्सी फीसदी पीड़िताओं को देने के आदेश
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। अपर सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) नवनीत कुमार भारती की अदालत ने डेढ़ वर्ष पूर्व दो बालिकाओं के साथ दुष्कर्म करने वाले ट्यूशन टीचर को बीस वर्ष का कारावास और 58 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
कोतवाली क्षेत्र के एक मोहल्ला निवासी महिला ने डेढ़ वर्ष पहले तीन मई 2024 को कोतवाली में तहरीर देकर बताया था कि उसकी पांच वर्षीय व 11 वर्षीय बेटी युवक के पास लगातार दो वर्ष से ट्यूशन पढ़ती चली आ रही हैं। 15 दिन पहले उक्त व्यक्ति ने उसकी दोनों बेटियाें को बातों में बहला-फुसलाकर अश्लील हरकतें कीं और दुष्कर्म किया। उक्त व्यक्ति ने उसकी दोनों बेटियों को डराया धमकाया, जिससे उसकी बेटी उस समय डर के कारण उसे नहीं बता सकीं। इसके बाद 24 अप्रैल 2024 को शाम तीन बजे बड़ी बेटी ने घटना के बारे में उसे बताया। जब उसने विरोध किया तो उक्त व्यक्ति ने धमकी दी कि अगर उसने किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई की तो वह आत्महत्या कर लेगा और उसे फंसा देंगे। इससे वह मानसिक रूप से परेशान चल रही है। कोतवाली पुलिस ने उक्त मामले में आरोपी ट्यूशन शिक्षक अनिल राठौर पर छेड़छाड़, दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट व जान से मारने की धमकी की धाराओं में मुकदमा दर्जकर न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिए थे। तब से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन चल रहा था। अब न्यायाधीश ने इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पेश की गई दलीलों, साक्ष्यों व गवाहों के आधार पर सुनवाई करते हुए अभियुक्त को उक्त मामले में दोषी पाते हुए बीस वर्ष के कठोर कारावास एवं 58 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भी भुगतना होगा। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि अभियुक्त द्वारा अर्थदंड की राशि अदा होने की स्थिति में उक्त धनराशि की अस्सी फीसदी धनराशि पीड़िताओं को देने के आदेश भी दिए।
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विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र सिंह गौर ने बताया कि उक्त मामले में विवेचना उपरांत आरोप पत्र न्यायालय में पेश किए जाने के बाद न्यायालय द्वारा सात जून 2024 को विधि अनुसार संज्ञान लिया गया। न्यायालय ने एक शिक्षक द्वारा अपनी ही बेटियों के समान नासमझ बालिकाओं के साथ यह घटना कारित करना गंभीर अपराध माना। जिसके चलते न्यायालय ने विधि संगत यह निर्णय सुनाया है। वहीं, इस मामले में अधिवक्ता आनंद चतुर्वेदी ने भी पाीड़ित पक्ष की ओर से ठोस साक्ष्य व गवाह पेश कराके आरोपी को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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- न्यायालय ने 58 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया, प्रतिकर अदा होने पर अस्सी फीसदी पीड़िताओं को देने के आदेश
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। अपर सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) नवनीत कुमार भारती की अदालत ने डेढ़ वर्ष पूर्व दो बालिकाओं के साथ दुष्कर्म करने वाले ट्यूशन टीचर को बीस वर्ष का कारावास और 58 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
कोतवाली क्षेत्र के एक मोहल्ला निवासी महिला ने डेढ़ वर्ष पहले तीन मई 2024 को कोतवाली में तहरीर देकर बताया था कि उसकी पांच वर्षीय व 11 वर्षीय बेटी युवक के पास लगातार दो वर्ष से ट्यूशन पढ़ती चली आ रही हैं। 15 दिन पहले उक्त व्यक्ति ने उसकी दोनों बेटियाें को बातों में बहला-फुसलाकर अश्लील हरकतें कीं और दुष्कर्म किया। उक्त व्यक्ति ने उसकी दोनों बेटियों को डराया धमकाया, जिससे उसकी बेटी उस समय डर के कारण उसे नहीं बता सकीं। इसके बाद 24 अप्रैल 2024 को शाम तीन बजे बड़ी बेटी ने घटना के बारे में उसे बताया। जब उसने विरोध किया तो उक्त व्यक्ति ने धमकी दी कि अगर उसने किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई की तो वह आत्महत्या कर लेगा और उसे फंसा देंगे। इससे वह मानसिक रूप से परेशान चल रही है। कोतवाली पुलिस ने उक्त मामले में आरोपी ट्यूशन शिक्षक अनिल राठौर पर छेड़छाड़, दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट व जान से मारने की धमकी की धाराओं में मुकदमा दर्जकर न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिए थे। तब से यह मामला न्यायालय में विचाराधीन चल रहा था। अब न्यायाधीश ने इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पेश की गई दलीलों, साक्ष्यों व गवाहों के आधार पर सुनवाई करते हुए अभियुक्त को उक्त मामले में दोषी पाते हुए बीस वर्ष के कठोर कारावास एवं 58 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भी भुगतना होगा। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि अभियुक्त द्वारा अर्थदंड की राशि अदा होने की स्थिति में उक्त धनराशि की अस्सी फीसदी धनराशि पीड़िताओं को देने के आदेश भी दिए।
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विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र सिंह गौर ने बताया कि उक्त मामले में विवेचना उपरांत आरोप पत्र न्यायालय में पेश किए जाने के बाद न्यायालय द्वारा सात जून 2024 को विधि अनुसार संज्ञान लिया गया। न्यायालय ने एक शिक्षक द्वारा अपनी ही बेटियों के समान नासमझ बालिकाओं के साथ यह घटना कारित करना गंभीर अपराध माना। जिसके चलते न्यायालय ने विधि संगत यह निर्णय सुनाया है। वहीं, इस मामले में अधिवक्ता आनंद चतुर्वेदी ने भी पाीड़ित पक्ष की ओर से ठोस साक्ष्य व गवाह पेश कराके आरोपी को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।