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आरआरसी भवन : संचालन से पहले ही दीवारों में आई दरार
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निचलौल। ब्लॉक क्षेत्र के गांवों में कूड़ा निस्तारण के लिए रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) भवन बनाए गए हैं। इन भवनों के निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और निर्माण स्थल चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं। संचालन शुरू होने से पहले ही अधिकांश भवनों की दीवारें और फर्श चटकने लगी हैं।
भवन के टैंक भी अधूरे छोड़ दिए गए हैं। पानी की पाइप लाइन और बिजली के कार्य भी अधूरे पड़े हैं। कई जगहों पर तो भवनों तक पहुंचने के लिए रास्ता ही नहीं है। 108 गांवों में से 104 में आरआरसी भवनों को बनाकर तैयार कर दिया गया है ग्रामीणों ने निर्मित आरआरसी भवनों में दोयम दर्जे की सामग्री लगाने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। सिधावे गांव में निचलौल चिउटहा मार्ग के किनारे बने आरआरसी भवन के पास मौजूद सरस्वती देवी ने बताया कि सेंटर का निर्माण करीब एक साल पहले हुआ था। निर्माण पूरा होने के बाद से ग्रामीणों को आस थी कि सेंटर का उद्घाटन होगा और वह इसका उपयोग कर सकेंगे।
लेकिन उद्घाटन से पहले ही भवन की दीवारें दरकने के साथ ही फर्श चटक गई है। इसी तरह विशुनपुरा गांव में बने आरआरसी भवन की रंगाई-पुताई कर चकाचौंध कर दिया गया है। जबकि इसके टैंक को अधूरा छोड़ दिया गया है। ऐसा ही कुछ नजारा गांव हरगांव में बने आरआरसी भवन का मिला। इसे भी जिम्मेदारों ने रंगाई-पुताई करने के बाद टैंक को अधूरा छोड़ दिया है। इतना ही अंदर परिसर में दीवार में कई जगहों पर दरार आ चुकी है। शौचालय सीट को भी अधूरा छोड़ दिया गया है।
सबसे दयनीय स्थिति तो गांव कटका में बने आरआरसी भवन की मिली। यहां पर तो जिम्मेदारों ने भवन निर्माण की महज खानापूर्ति की है।
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भवन के टैंक भी अधूरे छोड़ दिए गए हैं। पानी की पाइप लाइन और बिजली के कार्य भी अधूरे पड़े हैं। कई जगहों पर तो भवनों तक पहुंचने के लिए रास्ता ही नहीं है। 108 गांवों में से 104 में आरआरसी भवनों को बनाकर तैयार कर दिया गया है ग्रामीणों ने निर्मित आरआरसी भवनों में दोयम दर्जे की सामग्री लगाने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। सिधावे गांव में निचलौल चिउटहा मार्ग के किनारे बने आरआरसी भवन के पास मौजूद सरस्वती देवी ने बताया कि सेंटर का निर्माण करीब एक साल पहले हुआ था। निर्माण पूरा होने के बाद से ग्रामीणों को आस थी कि सेंटर का उद्घाटन होगा और वह इसका उपयोग कर सकेंगे।
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लेकिन उद्घाटन से पहले ही भवन की दीवारें दरकने के साथ ही फर्श चटक गई है। इसी तरह विशुनपुरा गांव में बने आरआरसी भवन की रंगाई-पुताई कर चकाचौंध कर दिया गया है। जबकि इसके टैंक को अधूरा छोड़ दिया गया है। ऐसा ही कुछ नजारा गांव हरगांव में बने आरआरसी भवन का मिला। इसे भी जिम्मेदारों ने रंगाई-पुताई करने के बाद टैंक को अधूरा छोड़ दिया है। इतना ही अंदर परिसर में दीवार में कई जगहों पर दरार आ चुकी है। शौचालय सीट को भी अधूरा छोड़ दिया गया है।
सबसे दयनीय स्थिति तो गांव कटका में बने आरआरसी भवन की मिली। यहां पर तो जिम्मेदारों ने भवन निर्माण की महज खानापूर्ति की है।
