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Mahoba News: पिता की मौत के बाद नाना-नानी करेंगे तीनों मासूम बच्चों की परवरिश
संवाद न्यूज एजेंसी, महोबा
Updated Thu, 27 Nov 2025 12:16 AM IST
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फोटो 26 एमएएचपी 21 परिचय-नाना-नानी के साथ घर के दरवाजे पर खड़े मृतक धीरज के बच्चे। संवाद
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महोबा। थाना श्रीनगर के अतरारमाफ गांव निवासी धीरज अहिरवार की सड़क हादसे में मौत के बाद अब उसके बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उसके ससुरालीजन निभाएंगे। पिता का साया उठने से परेशान तीन मासूमों को उनके नाना-नानी ने परवरिश की जिम्मेदारी ली है।
अतरारमाफ निवासी धीरज अहिरवार सोमवार की रात हाईवे पर उर्मिल मुख्य नहर के पास एक सड़क हादसे में घायल हो गया था। जिला अस्पताल से रेफर किए जाने के बाद उसके परिजनों ने एंबुलेंस के लिए 40 बार कॉल की लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। करीब छह घंटे इंतजार के बाद भी एंबुलेंस न मिलने पर धीरज ने दम तोड़ दिया था। इस घटना के बाद से धीरज की पत्नी फूलवती और तीन बच्चों महेंद्र (09), छोटू (07) व राधिका (05) वर्ष का रो-रोकर बुरा हाल है। धीरज के माता-पिता की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। वह अपने घर का इकलौता कमाने वाला था। एक बहन ममता की शादी हो चुकी है। ऐसे में धीरज के बच्चों के पालन-पोषण की समस्या खड़ी हो गई। धीरज के अंतिम संस्कार के बाद गांव में समाज के लोग और रिश्तेदार एकत्र हुए। इन बच्चों के भविष्य को लेकर विचार-विमर्श चल रहा था। इसी बीच बच्चों की नानी सुनीता ने इन तीनों बच्चों को अपने पास रखने की इच्छा जताई। नाना मुंडेलाल निवासी चितईयन और मामा धर्मेंद्र ने भी इसके लिए हामी भर दी तो समाज के लोगों ने नानी-नाना को इन बच्चों की परवरिश का जिम्मा सौंप दिया। अब इन बच्चों को अपनी नानी की गोद और पिता के रूप नाना और मामा का प्रेम मिलेगा।
एंबुलेंस न मिलने के मामले की सीएमओ ने शुरू कराई जांच
महोबा। जिला अस्पताल में रेफर के बाद घायल धीरज को एंबुलेंस न मिलने के मामले की जांच शुरू हो गई है। मृतक के भांजे भोला का आरोप था कि उसने एंबुलेंस को 40 बार कॉल की लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। छह घंटे तक घायल अस्पताल में ही तड़पता रहा और जान चली गई। इस संवेदनशील मामले में सीएमओ डॉ. आशाराम ने जांच शुरू करा दी है। 108 नंबर एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम मैनेजर से जवाब मांगा गया है। सीएमओ का कहना है कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा। उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
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अतरारमाफ निवासी धीरज अहिरवार सोमवार की रात हाईवे पर उर्मिल मुख्य नहर के पास एक सड़क हादसे में घायल हो गया था। जिला अस्पताल से रेफर किए जाने के बाद उसके परिजनों ने एंबुलेंस के लिए 40 बार कॉल की लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। करीब छह घंटे इंतजार के बाद भी एंबुलेंस न मिलने पर धीरज ने दम तोड़ दिया था। इस घटना के बाद से धीरज की पत्नी फूलवती और तीन बच्चों महेंद्र (09), छोटू (07) व राधिका (05) वर्ष का रो-रोकर बुरा हाल है। धीरज के माता-पिता की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। वह अपने घर का इकलौता कमाने वाला था। एक बहन ममता की शादी हो चुकी है। ऐसे में धीरज के बच्चों के पालन-पोषण की समस्या खड़ी हो गई। धीरज के अंतिम संस्कार के बाद गांव में समाज के लोग और रिश्तेदार एकत्र हुए। इन बच्चों के भविष्य को लेकर विचार-विमर्श चल रहा था। इसी बीच बच्चों की नानी सुनीता ने इन तीनों बच्चों को अपने पास रखने की इच्छा जताई। नाना मुंडेलाल निवासी चितईयन और मामा धर्मेंद्र ने भी इसके लिए हामी भर दी तो समाज के लोगों ने नानी-नाना को इन बच्चों की परवरिश का जिम्मा सौंप दिया। अब इन बच्चों को अपनी नानी की गोद और पिता के रूप नाना और मामा का प्रेम मिलेगा।
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एंबुलेंस न मिलने के मामले की सीएमओ ने शुरू कराई जांच
महोबा। जिला अस्पताल में रेफर के बाद घायल धीरज को एंबुलेंस न मिलने के मामले की जांच शुरू हो गई है। मृतक के भांजे भोला का आरोप था कि उसने एंबुलेंस को 40 बार कॉल की लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। छह घंटे तक घायल अस्पताल में ही तड़पता रहा और जान चली गई। इस संवेदनशील मामले में सीएमओ डॉ. आशाराम ने जांच शुरू करा दी है। 108 नंबर एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम मैनेजर से जवाब मांगा गया है। सीएमओ का कहना है कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा। उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।