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एसआईआर: मायके का डाटा लाने में भाषा बनी बाधा
संवाद न्यूज एजेंसी, महोबा
Updated Thu, 27 Nov 2025 12:25 AM IST
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महोबा। जिले में चल रहे मतदाता सूचियों के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में दिनों-दिन नई परेशानियां सामने आ रही हैं। जिले में उड़ीसा समेत अन्य राज्यों से ब्याह कर लाई गई दुल्हनों का डाटा प्राप्त करने में बीएलओ काफी परेशान हैं।
एसआईआर कार्य में लगे बीएलओ और सहायक बीएलओ मतदाताओं को गणना फार्म बांट रहे हैं। इसके बाद इन फार्म को एकत्र करके ऑनलाइन फीड भी कर रहे हैं। इस कार्य में जिलाधिकारी गजल भारद्वाज ने गांवों के प्रधान, सचिव, कोटेदार और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई है तो वहीं शहर में बीएलओ की मदद के लिए सफाईनायकों को लगाया गया है। कार्य की अधिकता के बीच चार दिसंबर तक यह कार्य पूरा किया जाना है। ऐसे में बीएलओ दिन में फार्म एकत्र करते हैं और रात में इन्हें ऑनलाइन फीड करके डिजिटलाइज कर रहे हैं। बीएलओ के सहयोग में लगे लोग जब फार्म जमा न करने वाले ग्रामीणों के घरों में जा रहे हैं तो उन्हें नए-नए बहाने सुनने को मिल रहे हैं। कई लोग घर में फोटो न होने, आधार कार्ड न होने, घर में किसी समझदार व्यक्ति के न होने का बहाना बना रहे हैं तो कई लोग ऐसे भी हैं, जिनको उनकी बहुओं के मायके का डाटा नहीं मिल रहा है। इनमें उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों से ब्याहकर लाई गई दुल्हनों की संख्या अधिक है।
चरखारी क्षेत्र के बीएलओ रामसजीवन बताते हैं कि उनके क्षेत्र के छह परिवारों की महिला मतदाताओं के फार्म जमा नहीं हुए जबकि उनके पुरुषों के फार्म आ गए थे। जब इन फार्म को मंगाने के लिए सहायक बीएलओ को परिवारों से संपर्क करने भेजा तो नया मामला सामने आया। इन परिवारों में छह बहुएं उड़ीसा से ब्याहकर लाई गई हैं। उनके मायके पक्ष को फोन करके वर्ष 2003 की मतदाता सूची से विवरण, भाग संख्या, विधानसभा संख्या आदि पता करने का प्रयास किया गया लेकिन उड़ीसा में उनके मायके के आसपास हिंदी समझने वाला कोई नहीं हैं। यहां पर बहुएं भी पढ़ी-लिखी नहीं हैं, इससे वे हिंदी की बात को अंग्रेजी में बोलकर जानकारी मंगा लें। ऐसे में बीएलओ की परेशानी बढ़ गई है। उड़ीसा में एसआईआर भी नहीं चल रही इसलिए अधिकांश परिवारों को बीएलओ आदि के बारे में भी जानकारी नहीं है। जिले के कई अन्य गांवों में भी इसी तरह उड़ीसा और झारखंड की बहुओं के मायके का डाटा न मिलने से एसआईआर के कार्य में दिक्कत आ रही है।
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एसआईआर कार्य में लगे बीएलओ और सहायक बीएलओ मतदाताओं को गणना फार्म बांट रहे हैं। इसके बाद इन फार्म को एकत्र करके ऑनलाइन फीड भी कर रहे हैं। इस कार्य में जिलाधिकारी गजल भारद्वाज ने गांवों के प्रधान, सचिव, कोटेदार और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई है तो वहीं शहर में बीएलओ की मदद के लिए सफाईनायकों को लगाया गया है। कार्य की अधिकता के बीच चार दिसंबर तक यह कार्य पूरा किया जाना है। ऐसे में बीएलओ दिन में फार्म एकत्र करते हैं और रात में इन्हें ऑनलाइन फीड करके डिजिटलाइज कर रहे हैं। बीएलओ के सहयोग में लगे लोग जब फार्म जमा न करने वाले ग्रामीणों के घरों में जा रहे हैं तो उन्हें नए-नए बहाने सुनने को मिल रहे हैं। कई लोग घर में फोटो न होने, आधार कार्ड न होने, घर में किसी समझदार व्यक्ति के न होने का बहाना बना रहे हैं तो कई लोग ऐसे भी हैं, जिनको उनकी बहुओं के मायके का डाटा नहीं मिल रहा है। इनमें उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों से ब्याहकर लाई गई दुल्हनों की संख्या अधिक है।
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चरखारी क्षेत्र के बीएलओ रामसजीवन बताते हैं कि उनके क्षेत्र के छह परिवारों की महिला मतदाताओं के फार्म जमा नहीं हुए जबकि उनके पुरुषों के फार्म आ गए थे। जब इन फार्म को मंगाने के लिए सहायक बीएलओ को परिवारों से संपर्क करने भेजा तो नया मामला सामने आया। इन परिवारों में छह बहुएं उड़ीसा से ब्याहकर लाई गई हैं। उनके मायके पक्ष को फोन करके वर्ष 2003 की मतदाता सूची से विवरण, भाग संख्या, विधानसभा संख्या आदि पता करने का प्रयास किया गया लेकिन उड़ीसा में उनके मायके के आसपास हिंदी समझने वाला कोई नहीं हैं। यहां पर बहुएं भी पढ़ी-लिखी नहीं हैं, इससे वे हिंदी की बात को अंग्रेजी में बोलकर जानकारी मंगा लें। ऐसे में बीएलओ की परेशानी बढ़ गई है। उड़ीसा में एसआईआर भी नहीं चल रही इसलिए अधिकांश परिवारों को बीएलओ आदि के बारे में भी जानकारी नहीं है। जिले के कई अन्य गांवों में भी इसी तरह उड़ीसा और झारखंड की बहुओं के मायके का डाटा न मिलने से एसआईआर के कार्य में दिक्कत आ रही है।