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Mahoba News: उनके चेहरे को निगाहों में बसा रखा है...
संवाद न्यूज एजेंसी, महोबा
Updated Sat, 13 Sep 2025 11:58 PM IST
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फोटो 13 एमएएचपी 10 परिचय-कवि कामता माखन। संवाद
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कुलपहाड़ (महोबा)। मेला जल विहार महोत्सव में हवेली दरवाजा नाटक के मंचन व कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। विभिन्न शहरों से आए कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं पेशकर श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।
कानपुर की शिखा मिश्रा ने अपनी मां पर गीत मैंने गीता की तरह जिसे पूजा है शिखा, उनके चेहरे को निगाहों में बसा रखा है की प्रस्तुति दी। कवि सम्मेलन में राणा मुनि प्रताप हाथरस ने रचना जातियों को यदि हम बांट देंगे, फिर देश को जगाने कौन आएगा, नेताओं को भगवान मानने लगेंगे लोग, फिर इस देश को बचाने कौन आएगा... सुनाकर राजनीति पर कटाक्ष किया।
संजय जैन निबुआ बरेठी ने रचना कौन कहता है कि नेता अमोर्शन नहीं होता, बुराई वही करता है जिसका प्रमोशन नहीं होता... पेश की। अर्जुन सिंह चांद झांसी ने अपनी कविता सूरज की तपन तुमसे बर्दाश्त नहीं होती, एक मोम के पुतले का किरदार तुम्हारा है सुनाई।
नगर के नन्हें कवि हर्षित चौबे ने इलायची की महक ओढ़े अदरक की केतली पर कविता सुनाकर लोगों को तालियां बजाने को मजबूर कर दिया।
कामता माखन रीवा, विनय शुक्ला बाराबंकी, श्रीप्रकाश पटैरिया छतरपुर, राजकुमार भरत एटा, प्रदीप दिहुलिया चरखारी आदि ने भी हास्य कविता, व्यंग रस, श्रृंगार रस आदि की प्रस्तुति देकर दर्शकों को लोटपोट कर दिया। नगर पंचायत अध्यक्ष वैभव अरजरिया ने बूगी-बूगी में प्रतिभागी प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान पाने वाले बच्चे आस्तिक यादव, जानवी सक्सेना, सुरभि सोनी, मेघावी छात्र- छात्राओं व कवियों का स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। संचालन कवि देवेंद्र चतुर्वेदी ने किया। कार्यक्रम में हवेली दरवाजा नाटक का मंचन सराहनीय रहा। कलाकारों ने नाटक के माध्यम से लोगों मेंं देशभेक्ति का जोश भरा।

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कानपुर की शिखा मिश्रा ने अपनी मां पर गीत मैंने गीता की तरह जिसे पूजा है शिखा, उनके चेहरे को निगाहों में बसा रखा है की प्रस्तुति दी। कवि सम्मेलन में राणा मुनि प्रताप हाथरस ने रचना जातियों को यदि हम बांट देंगे, फिर देश को जगाने कौन आएगा, नेताओं को भगवान मानने लगेंगे लोग, फिर इस देश को बचाने कौन आएगा... सुनाकर राजनीति पर कटाक्ष किया।
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संजय जैन निबुआ बरेठी ने रचना कौन कहता है कि नेता अमोर्शन नहीं होता, बुराई वही करता है जिसका प्रमोशन नहीं होता... पेश की। अर्जुन सिंह चांद झांसी ने अपनी कविता सूरज की तपन तुमसे बर्दाश्त नहीं होती, एक मोम के पुतले का किरदार तुम्हारा है सुनाई।
नगर के नन्हें कवि हर्षित चौबे ने इलायची की महक ओढ़े अदरक की केतली पर कविता सुनाकर लोगों को तालियां बजाने को मजबूर कर दिया।
कामता माखन रीवा, विनय शुक्ला बाराबंकी, श्रीप्रकाश पटैरिया छतरपुर, राजकुमार भरत एटा, प्रदीप दिहुलिया चरखारी आदि ने भी हास्य कविता, व्यंग रस, श्रृंगार रस आदि की प्रस्तुति देकर दर्शकों को लोटपोट कर दिया। नगर पंचायत अध्यक्ष वैभव अरजरिया ने बूगी-बूगी में प्रतिभागी प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान पाने वाले बच्चे आस्तिक यादव, जानवी सक्सेना, सुरभि सोनी, मेघावी छात्र- छात्राओं व कवियों का स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। संचालन कवि देवेंद्र चतुर्वेदी ने किया। कार्यक्रम में हवेली दरवाजा नाटक का मंचन सराहनीय रहा। कलाकारों ने नाटक के माध्यम से लोगों मेंं देशभेक्ति का जोश भरा।
फोटो 13 एमएएचपी 10 परिचय-कवि कामता माखन। संवाद
फोटो 13 एमएएचपी 10 परिचय-कवि कामता माखन। संवाद
फोटो 13 एमएएचपी 10 परिचय-कवि कामता माखन। संवाद
फोटो 13 एमएएचपी 10 परिचय-कवि कामता माखन। संवाद