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पुष्टाहार भी नहीं सुधार पा रहा बच्चों की सेहत
Mainpuri
Updated Tue, 11 Nov 2014 05:30 AM IST
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मैनपुरी। पुष्टाहार खाने के बाद भी जिले में बच्चों की सेहत नहीं सुधर पा रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर बाल विकास पुष्टाहार विभाग की ओर से अक्तूबर माह में किए गए बच्चों के वजन से यह बात साबित हो रही है। इसके अनुसार जिले में बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषित और अति कुपोषित की श्रेणी में पाए गए हैं।
जिले भर में 1788 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 243013 बच्चों पंजीकृत हैं। केंद्रों पर सभी बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है। इनमें अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति सही नहीं है। बाल विकास पुष्टाहार विभाग ने कुपोषण की आशंका पर पंजीकृत बच्चों में से 131449 अक्तूबर माह में वजन कराया तो बच्चों के स्वास्थ्य की सच्चाई सामने आ गई। इनमें से 31046 बच्चे कुपोषित और 209 बच्चे अति कुपोषित पाए गए। आंकड़ों के अनुसार सर्वाधिक 5894 कुपोषित बच्चे मैनपुरी विकास खंड में और सबसे कम 768 बच्चे करहल विकास खंड में हैं। जबकि अति कुपोषित में सबसे अधिक 56 बच्चे करहल विकास खंड में हैं।
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अति कुपोषित को 200 ग्राम है एनर्जी फूड
सामान्य और कुपोषित बच्चों को जहां 125 ग्राम एनर्जी फूड प्रतिदिन के हिसाब से शनिवार को सप्ताह भर का एक साथ दिया जाता है। वहीं अति कुपोषित बच्चों के लिए प्रतिदिन 200 ग्राम एनर्जी फूड के हिसाब से दिया जाता है।
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अति कुपोषित बच्चों के लिए विभाग ने एनर्जी फूड की मात्रा बढ़ा दी है। बच्चों को क्षेत्रीय एएनएम के माध्यम से संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भेजकर उपचार दिलाया जा रहा है।
- साहब यादव, डीपीओ मैनपुरी
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कुपोषण दो प्रकार का होता है। एक क्वाशियर और दूसरे को मैरेसमस कहते हैं। क्वाशियर कुपोषण में बच्चों में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन दोनों की कमी होती है। यह बच्चे काफी कमजोर होते हैं। मैरेसमस में बच्चों में प्रोटीन की कमी होती है। यह बच्चे फूले हुए होते हैं।
- डाक्टर पीके गुप्ता, बालरोग विशेष जिला अस्पताल
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अति कुपोषित को 200 ग्राम है एनर्जी फूड
सामान्य और कुपोषित बच्चों को जहां 125 ग्राम एनर्जी फूड प्रतिदिन के हिसाब से शनिवार को सप्ताह भर का एक साथ दिया जाता है। वहीं अति कुपोषित बच्चों के लिए प्रतिदिन 200 ग्राम एनर्जी फूड के हिसाब से दिया जाता है।
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अति कुपोषित बच्चों के लिए विभाग ने एनर्जी फूड की मात्रा बढ़ा दी है। बच्चों को क्षेत्रीय एएनएम के माध्यम से संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भेजकर उपचार दिलाया जा रहा है।
- साहब यादव, डीपीओ मैनपुरी
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कुपोषण दो प्रकार का होता है। एक क्वाशियर और दूसरे को मैरेसमस कहते हैं। क्वाशियर कुपोषण में बच्चों में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन दोनों की कमी होती है। यह बच्चे काफी कमजोर होते हैं। मैरेसमस में बच्चों में प्रोटीन की कमी होती है। यह बच्चे फूले हुए होते हैं।
- डाक्टर पीके गुप्ता, बालरोग विशेष जिला अस्पताल