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Mainpuri News: डिप्टी सीएम बताएं कब खुलेगा कैंसर यूनिट का ताला
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फोटो 31 जिला अस्पताल में स्थापित कैंसर यूनिट। संवाद
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मैनपुरी। जनपद में बंद पड़ी कैंसर यूनिट का मुद्दा विधानसभा में उठने के बाद भी कैंसर यूनिट का ताला नहीं खुल सका है। ऐसा तब है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में जिले में सर्वाधिक कैंसर के मरीज बताए गए हैं। कैंसर पीड़ितों को जांच से लेकर इलाज तक के लिए महानगरों की दौड़ लगानी पड़ती है। आज शहर में पहुंचने वाले डिप्टी सीएम बृजेश पाठक जो स्वास्थ्य विभाग के मंत्री भी हैं, उनसे जनता का यही सवाल है। जिले में कैंसर के मरीजों की संख्या छह सौ के करीब है। सबसे ज्यादा पीड़ित मरीज मुंह के कैंसर के हैं। कैंसर पीड़ितों के उपचार के लिए जिला अस्पताल परिसर में 14 करोड़ रुपये खर्च करके कैंसर यूनिट की स्थापना की गई, लेकिन आज तक इस यूनिट का ताला नहीं खुला। खास बात तो यह रही कि स्थापना के 20 वर्ष बाद भी यूनिट स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित तक नहीं हो सकी। पूर्व एमएलसी अरविंद प्रताप यादव ने अपने कार्यकाल के समय में नियम 115 के तहत विधान परिषद सदन में बंद पड़ी कैंसर यूनिट को शीघ्र चालू करने की मांग की थी। उन्होंने सदन में जनपद में करोड़ों रुपये से निर्मित बंद पड़ी कैंसर यूनिट को जनहित में शीघ्र चालू कराने मांग की। लेकिन इसके बाद भी कैंसर यूनिट का ताला नहीं खुल सका।
वर्ष 2005 में हुई थी यूनिट की स्थापना
जिले में कैंसर के मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए वर्ष 2005 में कैंसर यूनिट के लिए सात करोड़ की धनराशि जारी की गई थी। वर्ष 2010 में 6.50 करोड़ रुपये की लागत से यहां मशीनों की स्थापना कराई गई थी। 2015 में मशीनों को सही कराने के लिए एक करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। जिले में कैंसर यूनिट होने के बाद भी कैंसर पीड़ित मरीजों को दिल्ली व ग्वालियर में उपचार कराना पड़ रहा है।
2019 में कराया गया था सर्वे
मुख्यमंत्री के निर्देश पर 27 जून 2019 को जिले में पहुंची डॉक्टरों और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने यूनिट की जांच की थी। कार्यदायी संस्था सीमेंस के सीनियर मैनेजर डॉ. अशोक चौधरी, स्वास्थ्य विभाग की तरफ से फिरोजाबाद के आरएसओ डॉ. नसीम अहमद, लखनऊ से अभिषेक गहलोत आदि की टीम ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी थी। टीम ने कई महत्वपूर्ण मशीनें खराब होने के साथ ही लगभग दो करोड़ का खर्च आने की बात कही थी। जिसका प्रस्ताव सीएमएस ने शासन को भेजा था और शासन ने इतनी धनराशि देने से मना कर दिया।
हाईलाइर्ट्स
2005 में कैंसर यूनिट के लिए धनराशि स्वीकृत
7 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य हुआ
2008 में कैंसर यूनिट का निर्माण कार्य हुआ पूरा
2010 में 6.5 करोड़ रुपये से लगाई गई मशीनें
40 लाख रुपये का बिजली बिल जनवरी 2019 में किया गया भुगतान
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वर्ष 2005 में हुई थी यूनिट की स्थापना
जिले में कैंसर के मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए वर्ष 2005 में कैंसर यूनिट के लिए सात करोड़ की धनराशि जारी की गई थी। वर्ष 2010 में 6.50 करोड़ रुपये की लागत से यहां मशीनों की स्थापना कराई गई थी। 2015 में मशीनों को सही कराने के लिए एक करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। जिले में कैंसर यूनिट होने के बाद भी कैंसर पीड़ित मरीजों को दिल्ली व ग्वालियर में उपचार कराना पड़ रहा है।
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2019 में कराया गया था सर्वे
मुख्यमंत्री के निर्देश पर 27 जून 2019 को जिले में पहुंची डॉक्टरों और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने यूनिट की जांच की थी। कार्यदायी संस्था सीमेंस के सीनियर मैनेजर डॉ. अशोक चौधरी, स्वास्थ्य विभाग की तरफ से फिरोजाबाद के आरएसओ डॉ. नसीम अहमद, लखनऊ से अभिषेक गहलोत आदि की टीम ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी थी। टीम ने कई महत्वपूर्ण मशीनें खराब होने के साथ ही लगभग दो करोड़ का खर्च आने की बात कही थी। जिसका प्रस्ताव सीएमएस ने शासन को भेजा था और शासन ने इतनी धनराशि देने से मना कर दिया।
हाईलाइर्ट्स
2005 में कैंसर यूनिट के लिए धनराशि स्वीकृत
7 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य हुआ
2008 में कैंसर यूनिट का निर्माण कार्य हुआ पूरा
2010 में 6.5 करोड़ रुपये से लगाई गई मशीनें
40 लाख रुपये का बिजली बिल जनवरी 2019 में किया गया भुगतान