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UP: जयगुरुदेव आश्रम में वार्षिक सत्संग मेला...श्रद्धालुओं का उमड़ा हुजूम, मानवीय गुणों को अपनाने का आह्वान
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Sun, 30 Nov 2025 04:51 PM IST
सार
मथुरा के जयगुरुदेव आश्रम में पांच दिवसीय वार्षिक भंडारा-सत्संग मेला का आयोजन किया गया है। रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आश्रम में पहुंचे। इस दाैरान पंकज महाराज ने श्रद्धालुओं को मानव धर्म का संदेश दिया।
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जयगुरुदेव आश्रम में सत्संग मेला।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी।
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विस्तार
मथुरा के जयगुरुदेव आश्रम में चल रहे पांच दिवसीय वार्षिक भंडारा-सत्संग मेले में रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। भंडारे के दिन आश्रम के उत्तराधिकारी पंकज महाराज ने मानव तन की महिमा, सुरत-शब्द योग, शाकाहार, नशामुक्त जीवन और मानवीय गुणों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने समाज में बढ़ रहे अत्याचार और महिलाओं पर हो रहे व्यभिचार को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
महाराज ने कहा कि जैसे द्वापर युग में एक द्रोपदी के चीरहरण से महाभारत हो गया था, वैसे ही आज मद्यपान के कारण अनगिनत अत्याचार सामने आ रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि आगे का समय भयावह है और बमभोले का महाविनाशकारी तांडव निकट प्रतीत होता है, इससे बचने का एकमात्र मार्ग महात्माओं की शरण और सत्संग है।
मंगल भवन अमंगलहारी की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि मानव तन जीवात्मा के कल्याण का माध्यम है और उसे नर्क-चौरासी से बचाता है। दसवें द्वार पर स्थित जीवात्मा सुरत-शब्द विज्ञान के माध्यम से प्रभु में विलीन हो सकती है, जिसका ज्ञान केवल संत सत्संगों में मिलता है।
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महाराज ने कहा कि जैसे द्वापर युग में एक द्रोपदी के चीरहरण से महाभारत हो गया था, वैसे ही आज मद्यपान के कारण अनगिनत अत्याचार सामने आ रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि आगे का समय भयावह है और बमभोले का महाविनाशकारी तांडव निकट प्रतीत होता है, इससे बचने का एकमात्र मार्ग महात्माओं की शरण और सत्संग है।
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मंगल भवन अमंगलहारी की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि मानव तन जीवात्मा के कल्याण का माध्यम है और उसे नर्क-चौरासी से बचाता है। दसवें द्वार पर स्थित जीवात्मा सुरत-शब्द विज्ञान के माध्यम से प्रभु में विलीन हो सकती है, जिसका ज्ञान केवल संत सत्संगों में मिलता है।