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लेटलतीफी : भूमि पूजन के 21 माह बीत गए, बन पाए सिर्फ 12 पिलर
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तहसील मुख्यालय से सटे दक्षिण स्थित ऐतिहासिक प्राचीन सीताकुंड पोखरा जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के चलते दिनोंदिन बदहाल होता जा रहा है। सीताकुंड का सुंदरीकरण कराने के लिए पर्यटन विभाग से सवा दो करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया।
दो मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने भूमि पूजन भी किया परंतु 21माह बाद बीत जाने के बाद भी कार्यदायी संस्था ने मात्र 12 पिलर ही बनाए हैं।
मान्यता है कि भगवान श्री राम के मिथिला से माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या आते समय इस सीताकुंड पोखरे पर रुक कर विश्राम था। मां सीता ने इसमें स्नान किया था लेकिन अब विभागीय और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से प्राचीन और पौराणिक पोखरे में लोग स्नान करने से कतराते हैं। प्रत्येक रविवार एवं मंगलवार को इस पोखरे में स्नान करने आते हैं। जिससे लोगों के दाद, खाज एवं खुजली जैसी चर्म रोग की बीमारी समाप्त हो जाती है।
मान्यता है कि इस पोखरे में स्नान करने से चर्म रोग दूर होता है। स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रत्येक वर्ष साफ सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च किया जाता है। इसके बाद भी सीताकुंड गंदे पानी एवं जलकुंभी से पूरा भरा रहता है।
इस पोखरे की सुंदरीकरण के लिए तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राज्यपाल फागू चौहान ने 2010-11 में पर्यटन स्थल के रूप में लाखों रुपये धन मुहैया कराया था। उस वक्त लोगों के अंदर सीताकुंड के साफ सफाई की उम्मीद जगी थी लेकिन थोड़ी सी साफ सफाई करने के बाद उसी हालत में छोड़ दी गई। इसके साथ ही 15 वर्ष पूर्व नगर पंचायत द्वारा नाले का निर्माण कराया गया। जिसके माध्यम से नागरिकों के घरों के गंदे पानी आकर गिरता है।
कभी-कभी पानी गिरते समय झाग बनने लगता है। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने दो मार्च 2024 को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 2.21 करोड़ रुपये आवंटित कराए लेकिन नामित कार्यदायी संस्था ने 12 पिलर ही बनाकर छोड़ दिए।
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दो मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने भूमि पूजन भी किया परंतु 21माह बाद बीत जाने के बाद भी कार्यदायी संस्था ने मात्र 12 पिलर ही बनाए हैं।
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मान्यता है कि भगवान श्री राम के मिथिला से माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या आते समय इस सीताकुंड पोखरे पर रुक कर विश्राम था। मां सीता ने इसमें स्नान किया था लेकिन अब विभागीय और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से प्राचीन और पौराणिक पोखरे में लोग स्नान करने से कतराते हैं। प्रत्येक रविवार एवं मंगलवार को इस पोखरे में स्नान करने आते हैं। जिससे लोगों के दाद, खाज एवं खुजली जैसी चर्म रोग की बीमारी समाप्त हो जाती है।
मान्यता है कि इस पोखरे में स्नान करने से चर्म रोग दूर होता है। स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रत्येक वर्ष साफ सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च किया जाता है। इसके बाद भी सीताकुंड गंदे पानी एवं जलकुंभी से पूरा भरा रहता है।
इस पोखरे की सुंदरीकरण के लिए तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राज्यपाल फागू चौहान ने 2010-11 में पर्यटन स्थल के रूप में लाखों रुपये धन मुहैया कराया था। उस वक्त लोगों के अंदर सीताकुंड के साफ सफाई की उम्मीद जगी थी लेकिन थोड़ी सी साफ सफाई करने के बाद उसी हालत में छोड़ दी गई। इसके साथ ही 15 वर्ष पूर्व नगर पंचायत द्वारा नाले का निर्माण कराया गया। जिसके माध्यम से नागरिकों के घरों के गंदे पानी आकर गिरता है।
कभी-कभी पानी गिरते समय झाग बनने लगता है। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने दो मार्च 2024 को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 2.21 करोड़ रुपये आवंटित कराए लेकिन नामित कार्यदायी संस्था ने 12 पिलर ही बनाकर छोड़ दिए।