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Mau News: एक घंटे में दो मरीजों की मौत के बाद अस्पताल को नोटिस, दो सदस्यीय टीम करेगी जांच
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संवाद न्यूज एजेंसी
मऊ। शहर के एक निजी अस्पताल में एक घंटे में दो मरीजों की मौत के लिए स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित अस्पताल को नोटिस जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग कई बिंदुओं पर जांच करेगा। ऐसे निजी अस्पताल जहां कई मौतें हो चुकीं हैं, उसकी भी विस्तार से जांच की जाएगी। सितंबर माह के बाद स्वस्थ्य विभाग की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले सितंबर में बिना पंजीयन के तीन अस्पतालों में महिलाओं की मौत के मामले के तूल पकड़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चलाकर कई अस्पतालों को सीज करने की कार्रवाई की थी।
बताते चलें कि शुक्रवार को नगर के एक बड़े अस्पताल में दो मरीजों की मौत हो गई थी। इसमें एक महिला गाजीपुर के जखनियां निवासी श्वेता भर्ती थी। प्रसव के अगले दिन महिला की मौत के बाद परिजनों ने गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। इसके बाद सीओ सिटी कृष राजपूत, शहर कोतवाल अनिल सिंह और सरायलखंसी थाना प्रभारी संजय सिंह पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचे थे, जहां काफी प्रयास के बाद आक्रोशित परिजन शांत हुए थे। एक अन्य अस्पताल में 75 वर्षीय मरीज रामचंद्र यादव की भी मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया था कि डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ ने लापरवाही की थी। नगर के बड़े अस्पताल में दो मौत में लापरवाही के मामले में सीएमओ डॉ संजय गुप्ता ने बताया कि मामले में जांच की जा रही है। दो सदस्यीय टीम जांच में जुटी है। टीम मौत के कारणों का भी पता लगाएगी। फिलहाल नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
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सीएमओ ने कहा - अन्य अस्पतालों में भी लापरवाही की मिली हैं शिकायतें
सीएमओ डॉ संजय गुप्ता ने बताया कि इस अस्पताल के अलावा दूसरे निजी अस्पताल में भी इलाज में लापरवाही की शिकायतें आई हैं। इसमें कई शिकायत मौखिक हैं, इसके चलते विभाग अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सका था, लेकिन जिनकी शिकायत लिखित में मिली हैं, उसकी भी जांच गोपनीय तरीके से विभाग कर रहा है। दोषी मिलने पर संबधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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एक सप्ताह में तीन मौत के बाद चेता था विभाग
जिले में अगस्त के 31 दिन में बिना पंजीयन के संचालित अस्पताल में चार महिलाओं की मौत के बाद अमर उजाला ने लगातार मामले को उठाया। मामला में तूल बढ़ने के बाद चेते स्वास्थ्य विभाग ने कई दिन तक अभियान चलाकर 40 अस्पतालों को सीज किया था।
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80 फीसदी मामलों का दबा दिया जाता है
सितंबर के बाद अब तक बिना पंजीयन के संचालित अस्पतालों पर कोई कारवाई नहीं हुई है। जबकि सीज अस्पताल या तो नए जगह पर खुल गए हैं या अस्पतालों ने नाम बदल दिया है। अगर बिना पंजीयन के अस्पतालों में फिर से मौत के आंकड़ों को देखें तो यह संख्या तो ज्यादा मिलेगी। नाम न छापने की शर्त पर विभागीय जानकार बता रहे हैं 80 फीसदी मामलों को दबा दिया जाता है।
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मऊ। शहर के एक निजी अस्पताल में एक घंटे में दो मरीजों की मौत के लिए स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित अस्पताल को नोटिस जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग कई बिंदुओं पर जांच करेगा। ऐसे निजी अस्पताल जहां कई मौतें हो चुकीं हैं, उसकी भी विस्तार से जांच की जाएगी। सितंबर माह के बाद स्वस्थ्य विभाग की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले सितंबर में बिना पंजीयन के तीन अस्पतालों में महिलाओं की मौत के मामले के तूल पकड़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चलाकर कई अस्पतालों को सीज करने की कार्रवाई की थी।
बताते चलें कि शुक्रवार को नगर के एक बड़े अस्पताल में दो मरीजों की मौत हो गई थी। इसमें एक महिला गाजीपुर के जखनियां निवासी श्वेता भर्ती थी। प्रसव के अगले दिन महिला की मौत के बाद परिजनों ने गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। इसके बाद सीओ सिटी कृष राजपूत, शहर कोतवाल अनिल सिंह और सरायलखंसी थाना प्रभारी संजय सिंह पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचे थे, जहां काफी प्रयास के बाद आक्रोशित परिजन शांत हुए थे। एक अन्य अस्पताल में 75 वर्षीय मरीज रामचंद्र यादव की भी मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया था कि डॉक्टर और अस्पताल स्टाफ ने लापरवाही की थी। नगर के बड़े अस्पताल में दो मौत में लापरवाही के मामले में सीएमओ डॉ संजय गुप्ता ने बताया कि मामले में जांच की जा रही है। दो सदस्यीय टीम जांच में जुटी है। टीम मौत के कारणों का भी पता लगाएगी। फिलहाल नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
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सीएमओ ने कहा - अन्य अस्पतालों में भी लापरवाही की मिली हैं शिकायतें
सीएमओ डॉ संजय गुप्ता ने बताया कि इस अस्पताल के अलावा दूसरे निजी अस्पताल में भी इलाज में लापरवाही की शिकायतें आई हैं। इसमें कई शिकायत मौखिक हैं, इसके चलते विभाग अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर सका था, लेकिन जिनकी शिकायत लिखित में मिली हैं, उसकी भी जांच गोपनीय तरीके से विभाग कर रहा है। दोषी मिलने पर संबधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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एक सप्ताह में तीन मौत के बाद चेता था विभाग
जिले में अगस्त के 31 दिन में बिना पंजीयन के संचालित अस्पताल में चार महिलाओं की मौत के बाद अमर उजाला ने लगातार मामले को उठाया। मामला में तूल बढ़ने के बाद चेते स्वास्थ्य विभाग ने कई दिन तक अभियान चलाकर 40 अस्पतालों को सीज किया था।
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80 फीसदी मामलों का दबा दिया जाता है
सितंबर के बाद अब तक बिना पंजीयन के संचालित अस्पतालों पर कोई कारवाई नहीं हुई है। जबकि सीज अस्पताल या तो नए जगह पर खुल गए हैं या अस्पतालों ने नाम बदल दिया है। अगर बिना पंजीयन के अस्पतालों में फिर से मौत के आंकड़ों को देखें तो यह संख्या तो ज्यादा मिलेगी। नाम न छापने की शर्त पर विभागीय जानकार बता रहे हैं 80 फीसदी मामलों को दबा दिया जाता है।
