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Meerut: शहर में डेढ़ लाख कुत्ते शिकार की तलाश में, नसबंदी में कर दिया घपला, गुपचुप एंट्री से 12 लाख का फटका

अमर उजाला नेटवर्क, मेरठ Published by: मोहम्मद मुस्तकीम Updated Thu, 18 Sep 2025 10:56 AM IST
सार

Sting Operation: मेरठ में रेबीज के कारण इस साल दर्जनों मौतें हो चुकी हैं। मगर कुत्तों की नसबंदी को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही है। परतापुर स्थित एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर पर कुत्तों की नसबंदी के रजिस्टर में खेल किया जा रहा है।

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Meerut: 1.5 lakh dogs in search of prey in the city, scammed in sterilization
परतापुर स्थित एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर। - फोटो : अमर उजाला
जनपद में लावारिस कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। हालत यह है कि शहर का कोई भी मोहल्ला इस समस्या से अछूता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में आदेश दे चुका है। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं हैं। कुत्तों की नसबंदी में भी निगम की घपलेबाजी चल रही है। परतापुर स्थित एबीसीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर) पर तीन-चार दिन तकरजिस्टर में कोई भी एंट्री नहीं की जाती। बाद में गुपचुप एंट्री कर निगम से हर महीने 10 से 12 लाख तक का भुगतान करा लिया जाता है।
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Meerut: 1.5 lakh dogs in search of prey in the city, scammed in sterilization
एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर का रजिस्टर। - फोटो : अमर उजाला
अमर उजाला की टीम ने चार दिन सेंटर पर जाकर स्टिंग ऑपरेशन किया। इसमें हकीकत सामने आई तो घपलेबाजी के साथ-साथ निगम की कार्यशैली की भी पोल खुल गई। एबीसीसी पर तैनात डॉक्टर का कहना कि शहर से कुत्तों को नहीं लाया जा रहा है। इसी कारण उनकी नसबंदी नहीं हो पा रही है। जिले की हर गली में कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही हैं, किसी कुत्ते पर नसबंदी और एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगाने का टैग तक नहीं दिखता। ऐसे में कैसे जिले में लोगों को निशाना बना रहे लावारिस कुत्तों पर लगाम लग पाएगी।

तीन दिन खाली रजिस्टर, चौथे दिन एंट्री पूरी
अमर उजाला की टीम ने एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर पर रविवार, सोमवार, मंगलवार और बुधवार को पहुंचकर पड़ताल की गई। कुत्तों की नसबंदी के रजिस्टर में एंट्री देखी तो उसमें तीन दिन रजिस्टर में कोई एंट्री नहीं थी। चौथे दिन बुधवार को 10-12 कुत्तों की एंट्री मिली।

पहला दिन: एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर पर दो कर्मचारी मिले। वहां पर कोई डॉक्टर नहीं था। गिनती में कुत्तों की संख्या 80 मिली। नसबंदी के रिकॉर्ड का रजिस्टर भी अधूरा मिला।
दूसरा दिन: कुत्तों की कोई नसबंदी के साक्ष्य नहीं मिले। नसबंदी कक्ष में ताला लगा हुआ था। कर्मचारियों ने वहां जवाब देना मुनासिब भी नहीं समझा।
तीसरा दिन: कुत्तों की नसबंदी करने वालों डॉ. पीयूष शर्मा मिले। बोले कि महानगर से कुत्ते पकड़ कर नहीं लाए जा रहे। इसके चलते नसबंदी नहीं हो पा रही। रिकॉर्ड भी अधूरा मिला।
चौथा दिन: डॉ. केशव कुमार और चार कर्मचारी मिले। वहां 15 कुत्तों की रोजाना नसबंदी का रिकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज मिला। डॉक्टर ने बताया कि रजिस्टर तीन-चार दिन में अपडेट किया जाता है। इसलिए रजिस्टर में कुत्तों का रिकॉर्ड नहीं लिखा हुआ था।
 
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Meerut: 1.5 lakh dogs in search of prey in the city, scammed in sterilization
एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर परतापुर। - फोटो : अमर उजाला
एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर पर भूखे-प्यासे रहते हैं कुत्ते
अमर उजाला की पड़ताल में सामने आया कि एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर पर रोजाना कुत्ते नहीं आते हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि निगम अभियान चलाकर सड़क पर घूमने वाले लावारिस कुत्तों को पकड़कर नसबंदी करें और फिर वापस वहीं पर उनको छोड़ दिया जाए। बताया गया कि नगर निगम महीने में तीन-चार दिन ही शहर से कुत्तों को पकड़कर सेंटर में लाते हैं और फिर उन्हें सेंटर पर छोड़कर निगम भूल जाता है। वहां पर न उनकी नसबंदी होती है न इंजेक्शन लगता है और न ही उन्हें वापस छोड़ा जाता है। कई बार ये कुत्ते सेंटर में भूखे–प्यासे पड़े रहते हैं।

पहला सेंटर ठीक से संचालित नहीं, दूसरे का टेंडर
निगम का दावा है कि कुत्तों की नसबंदी, एंटी रेबीज इंजेक्शन और खाने–पीने की व्यवस्था पर हर महीने करीब 10-12 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। वर्ष 2025-26 के निगम के मूल बजट पूरे साल का दो करोड़ रुपया रखा है। महानगर में डेढ़ लाख आवारा कुत्तों की संख्या बताकर निगम ने हापुड़ रोड स्थित तिरंगा गेट के पास दूसरा एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर संचालित करने की भी तैयारी शुरू कर दी है। परतापुर स्थित एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर ठीक से संचालित नहीं हो रहा है और दूसरा सेंटर बनाने की निगम ने पूरी योजना बना ली है। टेंडर की प्रक्रिया जारी है।
 
Meerut: 1.5 lakh dogs in search of prey in the city, scammed in sterilization
स्टिंग के दौरान कैमरे में कैद। - फोटो : अमर उजाला
150 लोग पहुंचते हैं जिला अस्पताल
शास्त्रीनगर, पांडवनगर, ब्रह्मपुरी, गंगानगर, टीपीनगर और माधवपुरम आदि में लोग आवारा कुत्तों के आतंक से त्रस्त हैं। कुत्तों के हमलों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता कि जिला अस्पताल में हर रोज 120 से 150 लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। मेरठ महानगर में करीब डेढ़ लाख आवारा कुत्ते हैं। इन कुत्तों के काटने से अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है।

ये बोले अधिकारी
एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर पर एक बार निरीक्षण किया था। वहां पर कई लापरवाही सामने आईं। डॉक्टर के वहां नहीं पहुंचने की भी शिकायत मिलीं। शहर में कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा है। इसको देखते दूसरा एबीसीसी सेंटर संचालित होगा। परतापुर में एबीसीसी सेंटर की जिम्मेदारी संभालने वाली कंपनी को नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. अमर सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

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