सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Meerut News ›   Meerut: Fake Landowner Used to Claim Compensation; FIR Filed After 44 Years on Court Order

Meerut: फर्जी जमीन मालिक बनाकर लिया था मुआवजा, 44 साल बाद कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ केस

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मेरठ Published by: डिंपल सिरोही Updated Mon, 24 Nov 2025 11:39 AM IST
सार

मेरठ में 1981-83 के बीच लेफ्टिनेंट कर्नल रोशन लाल शाही की भूमि को लेकर हुए कथित मुआवजा घोटाले में अब बड़ा मोड़ आया है। लगभग 44 साल बाद स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ने आदेश जारी कर तत्कालीन ADM LA पुष्पति सक्सेना, लेखपाल, डिलिंग बाबू सहित चार लोगों पर मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए।

विज्ञापन
Meerut: Fake Landowner Used to Claim Compensation; FIR Filed After 44 Years on Court Order
- फोटो : Adobe Stock
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

मेरठ के कंकरखेड़ा के सरधना रोड स्थित लेफ्टिनेंट कर्नल की जमीन के फर्जी कागज तैयार कर एक व्यक्ति को मुआवजा दिलाने के मामले में 44 साल बाद कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन एडीएम एलए पुष्पति सक्सेना, लेखपाल, डिलिंग बाबू समेत चार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई। लेफ्टिनेंट कर्नल की ओर से दाखिल परिवाद पर सुनवाई के बाद स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ने प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए। इस मामले की जांच सीओ को सौंपी गई है। 

Trending Videos


वादी के अधिवक्ता राजा सिंह एडवोकेट ने बताया खसरा संख्या- 195 की भूमि साकेत निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल रोशन लाल शाही की थी। 13 जनवरी 1981 को इस जमीन को विमला देवी के नाम बेचा गई मा। विमला ने इस रकबा की भूमि पर भवन बनवा लिया। इस बीच लेफ्टिनेंट कर्नल परिजनों के साथ कनाडा चले गए।
विज्ञापन
विज्ञापन


यह भी पढ़ें: Meerut: 98 लाख का सोना लेकर कारीगर फरार, रातों-रात परिवार को लेकर हो गया गायब, सराफा व्यापारियों का हंगामा

दो सितंबर 1983 को उनकी मौत कनाड़ा में हो गई। इधर, विमला देवी इस जमीन पर काबिज रहीं। आरोप है कि लेफ्टिनेंट कर्नल के कनाडा जाने के बाद साजिश के तहत तत्कालीन एडीएम भूमि अध्यापति  अधिकारी पुष्पति, डिलिंग बाबू राजेंद्र शर्मा व हल्का लेखपाल कृष्णपाल निवासी कंकरखेड़ा ने सांठगांठ कर असल लेफ्टिनेंट कर्नल रोशनाल के स्थान पर किसी और व्यक्ति को खड़ा करके फर्जी व्यक्ति का फार्म-सी 11 बनवा लिया और फोटो चस्पा कर लिए।

लेफ्टिनेंट कर्नल रोशनाल के फर्जी हस्ताक्षर कर मुआवजा भी ले लिया। आरोप है कि मुआवजे की धनराशि को आरोपियों ने आपस में बांट लिया। वर्ष 1990 में मुआवजा लेने का नोटिस जारी होने पर वर्ष1991 में मुआवजा जारी नहीं करने का पत्र एडीएम को  दिया गया था। बावजूद इसके संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों ने मुआवजा जारी कर दिया गया।

 

आरोप है कि सिविल लाइन थाना, एसएसपी, सीएम पोर्टल, मंडलायुक्त व डीएम को शिकायती पत्र दिया गया, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस मामले में जांच करने के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज सिविल लाइन थाने में किया गया है। अभी इस मामले की जांच शुरु नहीं हो सकी है। जल्द ही सभी को नोटिस देकर पहले कार्यालय में  बयान लिए जाएंगे। इस आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। मामला पुराना है। ऐसे में आरोपी कहां-कहां है, उनकी क्या भूमिका रही है। इसकी जांच भी की जाएगी। -अभिषेक तिवारी, विवेचक, सीओ सिविल लाइन।  

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed