Meerut: फर्जी जमीन मालिक बनाकर लिया था मुआवजा, 44 साल बाद कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ केस
मेरठ में 1981-83 के बीच लेफ्टिनेंट कर्नल रोशन लाल शाही की भूमि को लेकर हुए कथित मुआवजा घोटाले में अब बड़ा मोड़ आया है। लगभग 44 साल बाद स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ने आदेश जारी कर तत्कालीन ADM LA पुष्पति सक्सेना, लेखपाल, डिलिंग बाबू सहित चार लोगों पर मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए।
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मेरठ के कंकरखेड़ा के सरधना रोड स्थित लेफ्टिनेंट कर्नल की जमीन के फर्जी कागज तैयार कर एक व्यक्ति को मुआवजा दिलाने के मामले में 44 साल बाद कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन एडीएम एलए पुष्पति सक्सेना, लेखपाल, डिलिंग बाबू समेत चार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई। लेफ्टिनेंट कर्नल की ओर से दाखिल परिवाद पर सुनवाई के बाद स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ने प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए। इस मामले की जांच सीओ को सौंपी गई है।
वादी के अधिवक्ता राजा सिंह एडवोकेट ने बताया खसरा संख्या- 195 की भूमि साकेत निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल रोशन लाल शाही की थी। 13 जनवरी 1981 को इस जमीन को विमला देवी के नाम बेचा गई मा। विमला ने इस रकबा की भूमि पर भवन बनवा लिया। इस बीच लेफ्टिनेंट कर्नल परिजनों के साथ कनाडा चले गए।
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लेफ्टिनेंट कर्नल रोशनाल के फर्जी हस्ताक्षर कर मुआवजा भी ले लिया। आरोप है कि मुआवजे की धनराशि को आरोपियों ने आपस में बांट लिया। वर्ष 1990 में मुआवजा लेने का नोटिस जारी होने पर वर्ष1991 में मुआवजा जारी नहीं करने का पत्र एडीएम को दिया गया था। बावजूद इसके संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों ने मुआवजा जारी कर दिया गया।
आरोप है कि सिविल लाइन थाना, एसएसपी, सीएम पोर्टल, मंडलायुक्त व डीएम को शिकायती पत्र दिया गया, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस मामले में जांच करने के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज सिविल लाइन थाने में किया गया है। अभी इस मामले की जांच शुरु नहीं हो सकी है। जल्द ही सभी को नोटिस देकर पहले कार्यालय में बयान लिए जाएंगे। इस आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। मामला पुराना है। ऐसे में आरोपी कहां-कहां है, उनकी क्या भूमिका रही है। इसकी जांच भी की जाएगी। -अभिषेक तिवारी, विवेचक, सीओ सिविल लाइन।