अंशू…रजाई जल गई है: रात को फोन-सुबह मौत की खबर, मेरठ में आग से जले हेड कांस्टेबल विभोर की दर्दनाक कहानी
मेरठ के शर्मा नगर में तैनात हेड कांस्टेबल विभोर की संदिग्ध परिस्थितियों में आग से मौत हो गई। हादसे से कुछ देर पहले उन्होंने पत्नी को फोन कर बताया था कि रजाई में आग लग गई है और वह ठीक हैं। पोस्टमार्टम के बाद शव गांव भेजा गया, जहां गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार हुआ।
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अंशू, मेरी रजाई में किसी कारणवश आग लग गई है। रजाई पूरी तरह से जल गई है, कल रजाई भिजवा देना। मैं बिल्कुल ठीक हूं। यह बातें मंगलवार की रात मेरठ के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के शर्मा नगर में रह रहे हेड कांस्टेबल विभोर कुमार ने अपनी पत्नी अंशू से रात लगभग नौ बजे फोन पर कही थी। उन्होंने कहा था कि जितनी जल्दी हो सके, कल रजाई भिजवा देना। उक्त बातों को याद कर उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य बार-बार रो रहे थे।
चचेरे भाई विशाल ने बताया कि विभोर वर्ष 2011 में यूपी पुलिस में भर्ती हुए थे और वर्तमान में मेरठ में तैनात थे। मंगलवार की रात करीब नौ बजे उन्होंने पत्नी अंशू को कॉल कर आग लगने की जानकारी दी थी, लेकिन आग कैसे लगी, यह नहीं बताया।
गुरुवार शाम पोस्टमार्टम के बाद विभोर का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव नाला लाया गया। गांव में गमगीन माहौल के बीच शामली और मेरठ पुलिस ने संयुक्त रूप से गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद शमशान घाट पर उनके छह वर्षीय पुत्र शिवांश ने नम आंखों से पिता को मुखाग्नि दी। पीड़ित परिवार को हर कोई सांत्वना दे रहा था।
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मृतक के पिता जयकुमार सिंह ने बताया कि विभोर की मेरठ साकेत निवासी पहली पत्नी की एक साल पूर्व मौत हो गई थी। इसके बाद विभोर की शादी दिल्ली की धौलाकुआं की रहने वाली अंशू से हुई थी। पहली पत्नी से विभोर को दो बच्चे हैं। छह साल का बेटा शिवांश और आठ साल की बेटी वर्णिठा। उनके दो छोटे भाई निखिल और आशीष भारतीय सेना में सिपाही के पद पर तैनात हैं। परिजन और ग्रामीणों ने सरकार से मृतक आश्रितों को उचित मुआवजा और नौकरी देने की मांग की है। पुलिस अधीक्षक शामली एनपी सिंह ने शोक संतप्त परिवार को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
हर सप्ताह घर आता था विभोर
पिता ने बताया कि हर सप्ताह विभोर शनिवार को घर आता था और रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को ड्यूटी पर चला जाता था। 15 नवंबर को वह घर पर आया था और 17 नवंबर को फिर ड्यूटी के लिए चला गया।
हर किसी को ईमानदारी का पाठ पढ़ाता था
ग्रामीणों का कहना है कि विभोर जब भी गांव में आता था, ग्रामीणों और आसपास के लोगों को सदा ईमानदारी और मदद करने का पाठ पढ़ाता था। पढ़ाई में होशियार होने के कारण वह पूर्व में कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहा था।
फोरेंसिक टीम ने जुटाए साक्ष्य
कमरे में आग लगने से हेड कांस्टेबल विभोर की मौत की सूचना पर फोरेंसिक टीम व आला अधिकारी मौके पर पहुंचे थे। फोरेंसिक टीम को हेड कांस्टेबल के फोल्डिंग के पास एक खाली पव्वा पड़ा मिला। पास में ही एक पानी की बोतल भी मिली।
अंतिम विदाई देकर शव परिजनों को सौंपा
हेड कांस्टेबल विभोर के पिता जयकुमार सिंह, भाई आशीष,मेरठ पहुंचे। पोस्टमार्टम के बाद हेड कांस्टेबल के शव को पुलिस लाइन मे अधिकारियों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी और शव परिजनों को सौंप दिया।