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Mirzapur News: 1.5 करोड़ से बनेगा अर्ली इंटरवेंशन सेंटर, एक ही छत के नीचे होगा जन्म से दिव्यांग बच्चों का इलाज
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100 बेड युक्त मातृ व शिशु विंग । यहां बनेगा अर्ली इंटरवेंशन सेंटर। स्रोत- संवाद
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मिर्जापुर। जन्म से हाथ-पैर टेढ़, बोलने, सुनने व देखने व अन्य दिव्यांग बच्चों का इलाज कराने के लिए परिजनों को अब भटकना नहीं पड़ेगा। एक ही छत के नीचे उनको विशेषज्ञ डॉक्टर मिलेंगे। ऐसे बच्चों के इलाज के लिए अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र) का निर्माण 100 बेड मातृ व शिशु स्वास्थ्य विंग के पांचवें तल पर किया जाएगा। 15 दिसंबर से यहां डॉक्टर बैठेंगे। सेंटर बनाने में 1.5 करोड़ रुपये खर्च होगा। बच्चों के इलाज के लिए सेंटर में न्यूरो स्पीच, न्यूरो साइकेट्रिक व फिजियोथेरेपी, बाल रोग विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ आदि डॉक्टर रहेंगे।
आरबीएसके के प्रबंधक डॉ. राकेश तिवारी ने बताया कि जिले में अभी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत आंगनबाड़ी और स्कूलों में जन्म से हाथ पैर टेढ़े, सुन न पाने, बोल न पाने, देखने में समस्या, संवाद स्थापित करने में समस्या आने वाले बच्चाें की पहचान कर उसका इलाज कराया जाता है। हाथ-पैर टेढ़े बच्चों का इलाज तो जिला अस्पताल में होता है, अन्य समस्या के लिए बच्चों को प्रयागराज और वाराणसी जाना पड़ता है। इस साल जिले में टेड़े मेड़े पैर वाले 46 बच्चों को ठीक किया गया है। हार्ट की समस्या वाले बच्चों को सरकारी खर्च से अलीगढ़ के अस्पताल ले जाया जाता है। होंठ कटे बच्चों को वाराणसी के हेरिटेज अस्पताल ले जाया जाता है। गूंगे-बहरे बच्चों को कानपुर लखनऊ ले जाया जाता है। जिले में शुन्य से छह वर्ष तक के इस तरह की समस्या से ग्रसित 500 बच्चे हैं। पूर्वांचल के जिलों में प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र का संचालन नहीं हो रहा है। मिर्जापुर जिले में पूर्वांचल का पहला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र स्थापित होने जा रहा है। अर्ली इंटरवेंशन सेंटर पहले सिविल लाइन स्थित भैरो प्रसाद चिकित्सालय के प्रथम तल पर शुरू होना था। अब यह 100 बेड मातृ व शिशु स्वास्थ्य विंग के पांचवें तल पर बनाया जाएगा। सेंटर में 18 लोगों की टीम रहेगी। इसमें चार डॉक्टर रहेंगे। फिजियोथेरेपिस्ट, बाल रोग विशेषज्ञ, आंख व स्पीच थेरेपी विशेषज्ञ आदि के विशेषज्ञ की टीम रहेगी। 15 दिसंबर से अर्ली इंटरवेंशन सेंटर का संचालन शुरू हो जाएगा।
वर्जन
डेढ़ करोड़ की लागत से अर्ली इंटरवेंशन सेंटर अब 100 बेड मातृ व शिशु स्वास्थ्य विंग के पांचवे तल पर बनाया जा रहा है। अर्ली इंटरवेंशन सेंटर स्थापित होने से जन्म से दिव्यांग बच्चाें के इलाज की बेहतर सुविधा मिलेगी। उनको बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
डा. सीएम वर्मा, सीएमओ
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आरबीएसके के प्रबंधक डॉ. राकेश तिवारी ने बताया कि जिले में अभी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत आंगनबाड़ी और स्कूलों में जन्म से हाथ पैर टेढ़े, सुन न पाने, बोल न पाने, देखने में समस्या, संवाद स्थापित करने में समस्या आने वाले बच्चाें की पहचान कर उसका इलाज कराया जाता है। हाथ-पैर टेढ़े बच्चों का इलाज तो जिला अस्पताल में होता है, अन्य समस्या के लिए बच्चों को प्रयागराज और वाराणसी जाना पड़ता है। इस साल जिले में टेड़े मेड़े पैर वाले 46 बच्चों को ठीक किया गया है। हार्ट की समस्या वाले बच्चों को सरकारी खर्च से अलीगढ़ के अस्पताल ले जाया जाता है। होंठ कटे बच्चों को वाराणसी के हेरिटेज अस्पताल ले जाया जाता है। गूंगे-बहरे बच्चों को कानपुर लखनऊ ले जाया जाता है। जिले में शुन्य से छह वर्ष तक के इस तरह की समस्या से ग्रसित 500 बच्चे हैं। पूर्वांचल के जिलों में प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र का संचालन नहीं हो रहा है। मिर्जापुर जिले में पूर्वांचल का पहला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र स्थापित होने जा रहा है। अर्ली इंटरवेंशन सेंटर पहले सिविल लाइन स्थित भैरो प्रसाद चिकित्सालय के प्रथम तल पर शुरू होना था। अब यह 100 बेड मातृ व शिशु स्वास्थ्य विंग के पांचवें तल पर बनाया जाएगा। सेंटर में 18 लोगों की टीम रहेगी। इसमें चार डॉक्टर रहेंगे। फिजियोथेरेपिस्ट, बाल रोग विशेषज्ञ, आंख व स्पीच थेरेपी विशेषज्ञ आदि के विशेषज्ञ की टीम रहेगी। 15 दिसंबर से अर्ली इंटरवेंशन सेंटर का संचालन शुरू हो जाएगा।
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डेढ़ करोड़ की लागत से अर्ली इंटरवेंशन सेंटर अब 100 बेड मातृ व शिशु स्वास्थ्य विंग के पांचवे तल पर बनाया जा रहा है। अर्ली इंटरवेंशन सेंटर स्थापित होने से जन्म से दिव्यांग बच्चाें के इलाज की बेहतर सुविधा मिलेगी। उनको बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
डा. सीएम वर्मा, सीएमओ