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निगोही ब्रांच नहर में मिले तीन चीतलों के शव
सार
लीडफोटो 1,2निगोही ब्रांच नहर में मिले तीन चीतलों के शव- पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगी मौत की वजह- गजरौला क्षेत्र के नदहा गांव के निकट है नहरसंवाद न्यूज एजेंसीपीलीभीत। एक नर चीतल की गर्दन पर खाद के कट्टे का पट्टा बंधा मिला, मगर शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं मिले। हालांकि वन विभाग जांच के बजाय स्वाभाविक मौत मानकर मामले को दबाता ही रहा है।शवों को देखकर ऐसा लग रहा है कि चीतलों की मौत स्वाभाविक हुई है।
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गजरौला क्षेत्र में निगोही ब्रांच नहर से चीतल के शवों को बाहर निकालते वनकर्मी व मौजूद ग्रामीण।
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विस्तार
पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगी मौत की वजह
गजरौला क्षेत्र के नदहा गांव के निकट है नहर
पीलीभीत। गजरौला में नदहा गांव के निकट निगोही ब्रांच नहर में शुक्रवार की सुबह दो नर और एक मादा चीतल के शव झाल में फंसे होने की सूचना से वन विभाग में खलबली मच गई। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने शवों को नहर से बाहर निकालकर जांच शुरू की। एक चीतल की गर्दन में खाद के कट्टे का पट्टा बंधा मिला, जबकि दो अन्य चीतलों के शरीर में कोई निशान नहीं मिले। तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। शव करीब दो दिन पुराने बताए जा रहे हैं।
माला रेंज से एक किलोमीटर बाहर नदहा गांव है। गांव की सीमा से ही निगोही ब्रांच नहर गुजरी है। शुक्रवार की सुबह नहर पटरी से गुजर रहे ग्रामीणों की नजर नहर की झाल पर पड़ी। यहां तीन चीतल के शव फंसे हुए थे। दो चीतल के शव नहर की झाल में फंसे थे, जबकि तीसरा उससे पांच सौ मीटर दूर फंसा था।
जानकारी पर सामाजिक वानिकी के वन दरोगा बाबूराम, मुश्ताक अहमद के अलावा टाइगर रिजर्व की गढ़ा बीट के वन दरोगा राम भरत और जितेंद्र भी मौके पर पहुंच गए। नहर से चीतलों के शवों को बाहर निकाला गया। प्रारंभिक जांच में शव दो नर और एक मादा चीतल के निकले। एक नर चीतल की गर्दन पर खाद के कट्टे का पट्टा बंधा मिला, मगर शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं मिले। करंट आदि की चपेट में आने के भी लक्षण नहीं मिले। ऐसे में माना जा रहा है कि शव दूर से बहकर नदहा गांव की सीमा तक पहुंच गए होंगे। वन विभाग की टीम जांच पड़ताल में जुटी है।
नहर बंद होने पर बरामद हुए शव
निगोही ब्रांच नहर माला रेंज के जंगल के बीच से होकर गुजरती है। एक दिन पूर्व नहर में पानी बंद कर दिया गया था। यही वजह रही कि चीतलों के शव झाल में फंसने के बाद बरामद हो गए। यहां बता दें कि नहरों में पहले भी चीतल समेत अन्य वन्यजीवों के शव बरामद होते रहे हैं। हालांकि वन विभाग जांच के बजाय स्वाभाविक मौत मानकर मामले को दबाता ही रहा है।
शवों को देखकर ऐसा लग रहा है कि चीतलों की मौत स्वाभाविक हुई है। पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। उसके बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
- संजीव कुमार, डीएफओ
पहले भी मिलते रहे हैं हिरन के शव
पीलीभीत। पीटीआर में हिरन की कई प्रजातियां हैं। इनकी संख्या में इजाफा भी हुआ है। सुरक्षा के अभाव में आए दिन हिरन की मौतों के मामले भी सामने आते रहते हैं।
अगस्त 2017 में जहानाबाद क्षेत्र के सरौरा गांव के निकट देवीपुरा गांव की सीमा में खेत में हिरन का शव बरामद हुआ था। 12 अप्रैल 2020 को माधोटांडा क्षेत्र के डगा गांव के निकट हरदोई ब्रांच नहर के झाल में फंसा हुआ चीतल का शव बरामद हुआ था।
16 दिसंबर 2019 में बराही रेंज के जंगल से बाहर सेल्हा गांव की सीमा में एक खेत से तीन चीतलों के शव बरामद हुए थे। मामले में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसके अलावा भी हिरन प्रजाति के वन्यजीव के शव बरामद होते रहे हैं। वन विभाग इनकी मौत से पर्दा नहीं हटा सका है। अधिकांश मामलों में स्वाभाविक मौत होना बता दिया जाता है। संवाद
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गजरौला क्षेत्र के नदहा गांव के निकट है नहर
पीलीभीत। गजरौला में नदहा गांव के निकट निगोही ब्रांच नहर में शुक्रवार की सुबह दो नर और एक मादा चीतल के शव झाल में फंसे होने की सूचना से वन विभाग में खलबली मच गई। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने शवों को नहर से बाहर निकालकर जांच शुरू की। एक चीतल की गर्दन में खाद के कट्टे का पट्टा बंधा मिला, जबकि दो अन्य चीतलों के शरीर में कोई निशान नहीं मिले। तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। शव करीब दो दिन पुराने बताए जा रहे हैं।
माला रेंज से एक किलोमीटर बाहर नदहा गांव है। गांव की सीमा से ही निगोही ब्रांच नहर गुजरी है। शुक्रवार की सुबह नहर पटरी से गुजर रहे ग्रामीणों की नजर नहर की झाल पर पड़ी। यहां तीन चीतल के शव फंसे हुए थे। दो चीतल के शव नहर की झाल में फंसे थे, जबकि तीसरा उससे पांच सौ मीटर दूर फंसा था।
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जानकारी पर सामाजिक वानिकी के वन दरोगा बाबूराम, मुश्ताक अहमद के अलावा टाइगर रिजर्व की गढ़ा बीट के वन दरोगा राम भरत और जितेंद्र भी मौके पर पहुंच गए। नहर से चीतलों के शवों को बाहर निकाला गया। प्रारंभिक जांच में शव दो नर और एक मादा चीतल के निकले। एक नर चीतल की गर्दन पर खाद के कट्टे का पट्टा बंधा मिला, मगर शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं मिले। करंट आदि की चपेट में आने के भी लक्षण नहीं मिले। ऐसे में माना जा रहा है कि शव दूर से बहकर नदहा गांव की सीमा तक पहुंच गए होंगे। वन विभाग की टीम जांच पड़ताल में जुटी है।
नहर बंद होने पर बरामद हुए शव
निगोही ब्रांच नहर माला रेंज के जंगल के बीच से होकर गुजरती है। एक दिन पूर्व नहर में पानी बंद कर दिया गया था। यही वजह रही कि चीतलों के शव झाल में फंसने के बाद बरामद हो गए। यहां बता दें कि नहरों में पहले भी चीतल समेत अन्य वन्यजीवों के शव बरामद होते रहे हैं। हालांकि वन विभाग जांच के बजाय स्वाभाविक मौत मानकर मामले को दबाता ही रहा है।
शवों को देखकर ऐसा लग रहा है कि चीतलों की मौत स्वाभाविक हुई है। पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। उसके बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
- संजीव कुमार, डीएफओ
पहले भी मिलते रहे हैं हिरन के शव
पीलीभीत। पीटीआर में हिरन की कई प्रजातियां हैं। इनकी संख्या में इजाफा भी हुआ है। सुरक्षा के अभाव में आए दिन हिरन की मौतों के मामले भी सामने आते रहते हैं।
अगस्त 2017 में जहानाबाद क्षेत्र के सरौरा गांव के निकट देवीपुरा गांव की सीमा में खेत में हिरन का शव बरामद हुआ था। 12 अप्रैल 2020 को माधोटांडा क्षेत्र के डगा गांव के निकट हरदोई ब्रांच नहर के झाल में फंसा हुआ चीतल का शव बरामद हुआ था।
16 दिसंबर 2019 में बराही रेंज के जंगल से बाहर सेल्हा गांव की सीमा में एक खेत से तीन चीतलों के शव बरामद हुए थे। मामले में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसके अलावा भी हिरन प्रजाति के वन्यजीव के शव बरामद होते रहे हैं। वन विभाग इनकी मौत से पर्दा नहीं हटा सका है। अधिकांश मामलों में स्वाभाविक मौत होना बता दिया जाता है। संवाद