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Pilibhit News: जिला अस्पताल में शुरू हुई फेफड़ों की जांच, मिली पीएफटी मशीन
संवाद न्यूज एजेंसी, पीलीभीत
Updated Fri, 28 Nov 2025 12:00 AM IST
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पीलीभीत। जिले के मरीजों को अब श्वांस संबंधी बीमारियों की जांच के लिए निजी लैब के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। जिला अस्पताल में फेफड़ों की जांच (लंग फंक्शन टेस्ट) की सुविधा शुरू हो गई है। अस्पताल को नई पीएफटी (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट) मशीन मिल जाने से अस्थमा, सीओपीडी, एलर्जी व अन्य फेफड़ों की बीमारियों की जांच जिला अस्पताल में ही हो जाएगी।
पीएफटी मशीन के शुरू होने से रोजाना मेडिसिन विभाग में कई मरीजों को लाभ मिलेगा। यह मशीन फेफड़ों की कार्यक्षमता को मापने, सांस लेने की क्षमता, वायु प्रवाह की गति और फेफड़ों में हवा के संचार का परीक्षण करती है। जिला अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. पीयूष का कहना है कि अस्थमा और सांस संबंधी समस्याओं का सही निदान तभी संभव है जब मरीज का लंग फंक्शन टेस्ट सटीक तरीके से किया जाए। अब जिला अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध होने से मरीजों का इलाज और भी प्रभावी होगा। पीएफटी मशीन का संचालन प्रशिक्षित तकनीशियन की ओर से किया जाएगा। जांच के दौरान मरीज को एक विशेष पाइप में सांस छोड़नी व भरनी होती है, जिससे मशीन उसके फेफड़ों की क्षमता का डिजिटल डेटा तैयार करती है। इस डेटा का विश्लेषण कर चिकित्सक बीमारी की गंभीरता और उपचार की दिशा तय करते हैं। अस्पताल में विशेष कक्ष बनाकर मशीन को स्थापित किया है।
प्राचार्य. डॉ. संगीता अनेजा का कहना है कि पहले मरीजों को निजी लैब में 800 से 1200 रुपये तक पीएफटी के लिए खर्च करने पड़ते थे। अब जिला अस्पताल में जांच शुरू होने से मरीजों को कोई शुल्क नहीं देना होगा।
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पीएफटी मशीन के शुरू होने से रोजाना मेडिसिन विभाग में कई मरीजों को लाभ मिलेगा। यह मशीन फेफड़ों की कार्यक्षमता को मापने, सांस लेने की क्षमता, वायु प्रवाह की गति और फेफड़ों में हवा के संचार का परीक्षण करती है। जिला अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. पीयूष का कहना है कि अस्थमा और सांस संबंधी समस्याओं का सही निदान तभी संभव है जब मरीज का लंग फंक्शन टेस्ट सटीक तरीके से किया जाए। अब जिला अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध होने से मरीजों का इलाज और भी प्रभावी होगा। पीएफटी मशीन का संचालन प्रशिक्षित तकनीशियन की ओर से किया जाएगा। जांच के दौरान मरीज को एक विशेष पाइप में सांस छोड़नी व भरनी होती है, जिससे मशीन उसके फेफड़ों की क्षमता का डिजिटल डेटा तैयार करती है। इस डेटा का विश्लेषण कर चिकित्सक बीमारी की गंभीरता और उपचार की दिशा तय करते हैं। अस्पताल में विशेष कक्ष बनाकर मशीन को स्थापित किया है।
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प्राचार्य. डॉ. संगीता अनेजा का कहना है कि पहले मरीजों को निजी लैब में 800 से 1200 रुपये तक पीएफटी के लिए खर्च करने पड़ते थे। अब जिला अस्पताल में जांच शुरू होने से मरीजों को कोई शुल्क नहीं देना होगा।