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Pilibhit News: पीटीआर में एक साथ होगी बाघ और तृणभोजी वन्यजीवों की गणना

संवाद न्यूज एजेंसी, पीलीभीत Updated Fri, 21 Nov 2025 12:07 AM IST
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पीलीभीत। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में राष्ट्रीय बाघ गणना–2026 की तैयारियां तेज हो गई हैं। उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व में टीमों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इस बार फरवरी माह से शुरू होने वाली गणना के दौरान बाघों के साथ तृणभोजी वन्यजीवों की गणना की जाएगी। इसके परिणाम विश्व बाघ दिवस 2026 पर जारी किए जा सकते हैं।
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पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में राष्ट्रीय बाघ गणना–2026 की तैयारी अब औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। देशभर में बाघों की सटीक संख्या जानने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) हर चार वर्ष में टाइगर एस्टीमेशन कराता है। वर्ष 2022 में हुए पिछली गणना के दौरान पीटीआर में 72 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई थी। आगामी गणना के लिए एनटीसीए ने कार्यक्रम की रूपरेखा जारी कर दी है। प्रथम चरण के तहत फील्ड टीमों को प्रशिक्षण भी दे दिया है। इसी क्रम में पीलीभीत जिले से सामाजिक वानिकी के डीएफओ भरत कुमार डीके, रेंजर सहेंद्र यादव, डिप्टी रेंजर शेर सिंह सहित वन विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रशिक्षण ले चुके हैं।
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टीम शुक्रवार को लौट रही है जिसके बाद फरवरी 2026 से बाघ गणना का कार्य शुरू होगा। डीएफओ भरत कुमार डीके का कहना है कि प्रशिक्षण पूरा हो गया है। सभी तैयारियां निर्धारित समय पर पूरी कर ली जाएंगी। फरवरी 2026 से गणना की प्रक्रिया शुरू होगी।
गणना की प्रक्रिया
राष्ट्रीय बाघ गणना के दौरान पहले चरण में साइन सर्वे के दौरान बाघों और तेंदुओं की मौजूदगी की पुष्टि उनके पैरों के निशान, साइटिंग, मूवमेंट और अन्य संकेतों से की जाती है। इससे जंगल में उनकी घनत्व, व्यवहार और आवागमन का प्राथमिक अनुमान जुटाया जाता है। इस दौरान शाकाहारी पशुओं-हिरण, सांभर, चीतल जैसे तृणभोजी प्रजातियों की संख्या और घनत्व का भी आकलन होगा ताकि बाघों के भोजन चक्र की स्थिति समझी जा सके।
दूसरे चरण में रिमोट सेंसिंग और हैबिटेट अध्ययन के दौरान जंगल के रास्तों, जलस्रोतों, पौधों की उपलब्धता, रोशनी, आग के खतरे और बायोटेक इंटरफेरेंस की जांच की जाती है। जंगल के स्वास्थ्य और बाघों के अनुकूल वातावरण का विश्लेषण इसी चरण में किया जाता है। तीसरे चरण में कैमरा ट्रैपिंग के जरिए सबसे पूरे रिजर्व को छोटे-छोटे ग्रिड में बांटकर प्रत्येक ग्रिड में कैमरा ट्रैप लगाए जाते हैं। बाघों की पहचान उनके यूनिक स्ट्राइप पैटर्न से की जाती है। प्रत्येक बाघ की धारियों का पैटर्न फिंगरप्रिंट की तरह अलग होता है जिससे सटीक गिनती संभव होती है।
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