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न लाइसेंस, न ट्रेेनिंग और बन गए ड्राइवर
अमर उजाला ब्यूरो प्रतापगढ़
Updated Tue, 22 Mar 2016 10:03 PM IST
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जिले के सभी रूटों पर डग्गामार वाहन से यात्रा करने वाले लोगों की जान सुरक्षित नहीं है। सवारियां ढोने वाले वाहनों के चालकों के हाथों में स्टेयरिंग कच्ची उमर में थमा दी जाती है। उनके पास न तो ड्राइविंग लाइसेंस है और न ही वाहन चलाने का प्रशिक्षण। ओवरलोड सवारियां होने के बाद भी ओवर स्पीड से चलने वाले इन ड्राइवरों पर पुलिस और आरटीओ विभाग की कृपा होती है।
वाहन सवारी ढोने के लिए फिट हैं कि नहीं, उसके पास टैक्सी का परमिट है कि नहीं, है तो कितने लोगों का है, यह सारी जांच करने का पुलिस और आरटीओ विभाग के पास समय नहीं है। महीने में एक बार उनके आदमी अड्डे पर पहुंचेगा, सारे प्रमाण पत्रों का शुल्क जमा होगा। जिसने दिया ठीक, नहीं दिया तो उसके वाहन में तमाम कमी होती है। शहर से लेकर गांव तक यह हाल है कि तेज रफ्तार से फर्राटा भरने वाले ओवरलोड वाहनों की स्टेयरिंग किशोरों के हाथ में थमा दी गई है। इसके चलते आए दिन हादसे हो रहे हैं। इसकी तरफ पुलिस और आरटीओ विभाग का ध्यान नहीं है।
महीना देकर लेते हैं रोड पर चलने का प्रमाण पत्र
डग्गामारी करने वाले वाहन स्वामी व ड्राइवर गाड़ी ठीक-ठाक रखने में कोई दिलचस्पी नहीं रखते। उन्हें सिर्फ सवारियों से किराया ही वसूलना होता है। वाहन सड़क पर चलने लायक हो या न हो। सिर्फ उससे सवारी ही ढोना है। इस तरह की कोई चेकिंग न तो आरटीओ विभाग करता है और न ही पुलिस। आते जाते रोड पर सिर्फ फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए पैसे जरूर वसूल लिए जाते हैं। इसके बाद वह सवारी को किस तरह से ले जा रहे हैं इसकी फिक्र किसी को नहीं होती।
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महीना देकर लेते हैं रोड पर चलने का प्रमाण पत्र
डग्गामारी करने वाले वाहन स्वामी व ड्राइवर गाड़ी ठीक-ठाक रखने में कोई दिलचस्पी नहीं रखते। उन्हें सिर्फ सवारियों से किराया ही वसूलना होता है। वाहन सड़क पर चलने लायक हो या न हो। सिर्फ उससे सवारी ही ढोना है। इस तरह की कोई चेकिंग न तो आरटीओ विभाग करता है और न ही पुलिस। आते जाते रोड पर सिर्फ फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए पैसे जरूर वसूल लिए जाते हैं। इसके बाद वह सवारी को किस तरह से ले जा रहे हैं इसकी फिक्र किसी को नहीं होती।