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Raebareli News: कागजों पर जागरूकता, ठगे जा रहे उपभोक्ता
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रायबरेली। जिले को लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ नहीं मिल पा रहा है। कारण, लोगों में जागरूकता का अभाव है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को इसका जिम्मा मिला है, लेकिन अधिकारी औपचारिकता निभाने तक सिमटे हैं। न किसी उपभोक्ता को जागरूक किया जा रहा है और न ही उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताया जा रहा है। जागरूकता अभियान कागजों तक सिमटकर रह गया है। इसका खामियाजा आम लोगों को भोगना पड़ रहा है। इसके लिए एनजीओ व संस्थाएं भी सामने नहीं आ रही हैं।
देश में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत पांच महत्वपूर्ण अधिकार दिए हैं। इस कानून को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1993, उपभोक्ता अधिकार अधिनियम संशोधित 2002 व उपभोक्ता संरक्षण संशोधन 2004 के तहत और मजबूत बनाया गया। सबसे पहले 15 मार्च 1962 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने उपभोक्ता अधिकार को स्वीकृति दी थी। देश में 24 दिसंबर 1966 से राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने का प्रचलन शुरू हुआ।
कभी वस्तु खरीदने में तो कभी अधिक दाम उपभोक्ताओं से वसूल लिए जाते हैं। जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में आने वाले मामलों में उपभोक्ताओं के पक्ष में फैसले करके उन्हें न्याय दिलाने का काम किया जा रहा है, लेकिन जागरूकता के अभाव में ज्यादातर मामले में आयोग तक नहीं पहुंच पाते हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को जांचने के साथ ही उपभोक्ताओं को जागरूक करने का जिम्मा दिया गया है, लेकिन अधिकारी जागरूकता अभियान को कागजों तक निपटाने में जुटे हैं।
जिले में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच के साथ ही ग्राहकों को जागरूक भी कराया रहा है, लेकिन साल भर में कितने जागरूकता कार्यक्रम कराए गए। इसकी रिपोर्ट बनवानी पड़ेगी। उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के साथ ही खाद्य पदार्थों के पहचान के बारे में बताया जा रहा है। -सीआर प्रजापति, सहायक आयुक्त खाद्य द्वितीय रायबरेली
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देश में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत पांच महत्वपूर्ण अधिकार दिए हैं। इस कानून को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1993, उपभोक्ता अधिकार अधिनियम संशोधित 2002 व उपभोक्ता संरक्षण संशोधन 2004 के तहत और मजबूत बनाया गया। सबसे पहले 15 मार्च 1962 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने उपभोक्ता अधिकार को स्वीकृति दी थी। देश में 24 दिसंबर 1966 से राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने का प्रचलन शुरू हुआ।
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कभी वस्तु खरीदने में तो कभी अधिक दाम उपभोक्ताओं से वसूल लिए जाते हैं। जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में आने वाले मामलों में उपभोक्ताओं के पक्ष में फैसले करके उन्हें न्याय दिलाने का काम किया जा रहा है, लेकिन जागरूकता के अभाव में ज्यादातर मामले में आयोग तक नहीं पहुंच पाते हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को जांचने के साथ ही उपभोक्ताओं को जागरूक करने का जिम्मा दिया गया है, लेकिन अधिकारी जागरूकता अभियान को कागजों तक निपटाने में जुटे हैं।
जिले में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच के साथ ही ग्राहकों को जागरूक भी कराया रहा है, लेकिन साल भर में कितने जागरूकता कार्यक्रम कराए गए। इसकी रिपोर्ट बनवानी पड़ेगी। उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के साथ ही खाद्य पदार्थों के पहचान के बारे में बताया जा रहा है। -सीआर प्रजापति, सहायक आयुक्त खाद्य द्वितीय रायबरेली
