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Raebareli News: दिवाकर व प्रियांशू पर और कसेगा शिकंजा, बैंक खातों की भी जांच शुरू
संवाद न्यूज एजेंसी, रायबरेली
Updated Wed, 17 Dec 2025 12:14 AM IST
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रायबरेली। नशीले कफ सिरप सिंडिकेट से जुड़े दवा कारोबारी दिवाकर व प्रियांशू पर और शिकंजा कसने वाला है। दोनों के बैंक खातों की जांच शुरू हो गई है। इसमें यह सामने आ सकता है कि नशीले कफ सिरप के जरिए इन दोनों के खातों में कितने रुपयों का लेनदेन हुआ है और लेनदेन करने वाले कौन लोग हैं। सूत्रों का दावा है कि दिवाकर वाराणसी में छिपा हो सकता है।
मिल एरिया थाने में बीते दिनों शहर के कल्लू का पुरवा निवासी एवं अजय फार्मा संचालक दिवाकर सिंह के खिलाफ नशीली कप सिरप की बिक्री करने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। एफआईआर में दिवाकर के अलावा मेडिसन हाउस बकुलिहा सेमरी के संचालक प्रियांशू गौतम के भी नशीली कफ सीरफ बिक्री करने का उल्लेख किया गया है। दिवाकर ने साढ़े पांच लाख और प्रियांशूू ने एक लाख सिरप की बिक्री रायबरेली के अलावा श्रावस्ती, लखनऊ, उन्नाव के अलावा कई नर्सिगहोम में की थी। प्रदेश में कफ सिरप का मामला सुर्खियों में आने के बाद से दिवाकर और प्रियांशू भूमिगत हैं। पुलिस उन तक नहीं पहुंच सकी है। विवेचक-उपनिरीक्षक धर्मेंद्र सिंह के मुताबिक, दोनों आरोपियों के बैंक खातों की जांच की जा रही है। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि दोनों के खातों में कहां से और कितने रुपये का लेनदेन हुआ है। दिवाकर की वाराणसी में लोकेशन पाई गई है। उधर, सूत्रों का दावा है कि दिवाकर के बैंक खातों में लेनदेन का डेटा मौजूद है। इसमें कई अन्य लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं। पुलिस गोपनीय तरीके से बैंक खातों और उससे जुड़े लोगों की जांच कर रही है।
इनसेट
दोनों की गिरफ्तारी न होने के पीछे तर्क
नशीले कफ सिरप की बिक्री के मामले में दिवाकर और प्रियांशू की अब तक गिरफ्तारी न होने पर पेच फंसा है। पुलिस तर्क दे रही है कि धोखाधड़ी की धारा में मामला दर्ज किया गया था। इस धारा में सात साल से कम अवधि की सजा है। ऐसे में आरोपियों की गिरफ्तारी संभव नहीं है। अब बैंक खातों की जांच शुरू कराई गई है, ताकि मामले में और गंंभीर धारा बढ़ाई जा सके। ऐसा होने से आरोपियों के सलाखों के पीछे आसानी से पहुंचाने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि दिवाकर के रायबरेली से भागने के पीछे पुलिस का लापरवाह रवैया भी सामने आया है। कहा जा रहा है कि जब इस मामले की एफआईआर हुई थी, तब पुलिस ने आरोपी दिवाकर को पकड़ा था, लेकिन उसे शांतिभंग में पाबंद कर दिया गया था। वह नशीली कफ सिरप की बिक्री का मुख्य आरोपी है। अब शासन से सख्ती हुई तो पुलिस ने सक्रिय हुई है।
इनसेट
रायबरेली नहीं लाई गई नशीली कफ सिरप-शिवेंद्र
औषधि निरीक्षक शिवेंद्र सिंह का कहना है कि रायबरेली में नशीली कप सिरप नहीं आई थी। फर्जी दस्तावेज में रायबरेली दिखाकर नशीली कफ सिरप को लखनऊ से ही विभिन्न दवा कारोबारियों के यहां पहुंचा दी गई। मामले में पुलिस का पूरा सहयोग किया जा रहा है, ताकि दिवाकर और उससे जुड़े कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके।
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मिल एरिया थाने में बीते दिनों शहर के कल्लू का पुरवा निवासी एवं अजय फार्मा संचालक दिवाकर सिंह के खिलाफ नशीली कप सिरप की बिक्री करने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। एफआईआर में दिवाकर के अलावा मेडिसन हाउस बकुलिहा सेमरी के संचालक प्रियांशू गौतम के भी नशीली कफ सीरफ बिक्री करने का उल्लेख किया गया है। दिवाकर ने साढ़े पांच लाख और प्रियांशूू ने एक लाख सिरप की बिक्री रायबरेली के अलावा श्रावस्ती, लखनऊ, उन्नाव के अलावा कई नर्सिगहोम में की थी। प्रदेश में कफ सिरप का मामला सुर्खियों में आने के बाद से दिवाकर और प्रियांशू भूमिगत हैं। पुलिस उन तक नहीं पहुंच सकी है। विवेचक-उपनिरीक्षक धर्मेंद्र सिंह के मुताबिक, दोनों आरोपियों के बैंक खातों की जांच की जा रही है। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि दोनों के खातों में कहां से और कितने रुपये का लेनदेन हुआ है। दिवाकर की वाराणसी में लोकेशन पाई गई है। उधर, सूत्रों का दावा है कि दिवाकर के बैंक खातों में लेनदेन का डेटा मौजूद है। इसमें कई अन्य लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं। पुलिस गोपनीय तरीके से बैंक खातों और उससे जुड़े लोगों की जांच कर रही है।
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दोनों की गिरफ्तारी न होने के पीछे तर्क
नशीले कफ सिरप की बिक्री के मामले में दिवाकर और प्रियांशू की अब तक गिरफ्तारी न होने पर पेच फंसा है। पुलिस तर्क दे रही है कि धोखाधड़ी की धारा में मामला दर्ज किया गया था। इस धारा में सात साल से कम अवधि की सजा है। ऐसे में आरोपियों की गिरफ्तारी संभव नहीं है। अब बैंक खातों की जांच शुरू कराई गई है, ताकि मामले में और गंंभीर धारा बढ़ाई जा सके। ऐसा होने से आरोपियों के सलाखों के पीछे आसानी से पहुंचाने का रास्ता साफ हो जाएगा। हालांकि दिवाकर के रायबरेली से भागने के पीछे पुलिस का लापरवाह रवैया भी सामने आया है। कहा जा रहा है कि जब इस मामले की एफआईआर हुई थी, तब पुलिस ने आरोपी दिवाकर को पकड़ा था, लेकिन उसे शांतिभंग में पाबंद कर दिया गया था। वह नशीली कफ सिरप की बिक्री का मुख्य आरोपी है। अब शासन से सख्ती हुई तो पुलिस ने सक्रिय हुई है।
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रायबरेली नहीं लाई गई नशीली कफ सिरप-शिवेंद्र
औषधि निरीक्षक शिवेंद्र सिंह का कहना है कि रायबरेली में नशीली कप सिरप नहीं आई थी। फर्जी दस्तावेज में रायबरेली दिखाकर नशीली कफ सिरप को लखनऊ से ही विभिन्न दवा कारोबारियों के यहां पहुंचा दी गई। मामले में पुलिस का पूरा सहयोग किया जा रहा है, ताकि दिवाकर और उससे जुड़े कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके।
