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Rampur News: दो निगमों के बीच फंसा रोडवेज वर्कशाप का निर्माण
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रामपुर। परिवहन और बिजली निगम के बीच रस्साकशी के चलते जर्जर रोडवेज वर्कशॉप का निर्माण फंस गया है। बिजली निगम को भुगतान करने के बावजूद जमीन परिवहन निगम को हस्तांतरित नहीं की गई। लिहाजा कर्मचारियों को अभी इसी तरह से जलभराव के बीच जर्जर इमारत में काम करना होगा। इसके निर्माण के लिए लंबा इंतजार करना होगा।
रामपुर रोडवेज डिपो में मौजूदा समय में 104 रोडवेज बसें संचालित हैं और यह बसें लंबी दूरी तय कर लोगों को बरेली, मुरादाबाद, दिल्ली, आगरा समेत अन्य जिलों में सफर कराती हैं। इन बसों के रखरखाव के लिए अलग से वर्कशाप बनी हुई है जो कि रोडवेज की जमीन पर है। यह इतनी जर्जर हो चुकी है कि इसमें फोरमैन से लेकर कर्मचारियों के बैठने में भी दिक्कत होती है। मेन गेट पर बारिश होने पर तलैया बन जाता है।
इससे निजात पाने के लिए परिवहन निगम ने कुछ समय पहले रामपुर रोडवेज का वर्कशाप बनाने का फैसला लिया। इसके बाद शासन स्तर से इसको मंजूरी मिल गई। करीब 14 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली थी और इसका ठेका जल निगम को दिया गया था, लेकिन यह निर्माण फंस गया।
दरअसल, रामपुर रोडवेज डिपो बिजली निगम की जमीन पर है। 2006 में परिवहन निगम ने करीब ढाई करोड़ में बिजली निगम से जमीन ली थी, लेकिन तहसील स्तर से कार्रवाई पूरी नहीं की गई थी, जिससे जमीन पूरी तरह से परिवहन निगम के हैंडओवर नहीं हो सकी। जब रोडवेज को पीपीपी मोड पर बनाने और वर्कशाप तैयार करने के लिए चर्चा शुरू हुई तो मामला खुला।
जो कागज रोडवेज डिपो के पास है उसमें सिर्फ जमीन की गाटा संख्या लिखी है, लेकिन इसका भाग अंकित नही हैं, जिस वजह से अब यह वर्कशाप निर्माण अटक गया है।
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20 हजार वर्ग मीटर में है डिपो
रोडवेज डिपो मौजूदा समय में 20 हजार वर्ग मीटर के दायरे में फैला हुआ है। इस रोडवेज में 104 बसों का बेड़ा है और यहां से मेरठ, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों के लिए यात्री सफर करते हैं।
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वर्कशाप से बसों को निकालने में होती दिक्कत
रात को रोजाना वर्कशाप में बसें खड़ी करने पर इसमें राम-रहीम पुल की वजह से यह सीधे वर्कशाप में नहीं जा पाती। जब सुबह यह बसें निकलती हैं तो पुल के एक साइड में जाम की स्थिति बन जाती है।
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अभी मुझे इस मामले के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। अधीनस्थों से बातचीत कर इसके बारे में पता किया जाएगा। इसके आगे की जानकारी लेकर उच्चाधिकारियों से बातचीत की जाएगी।
-रामप्रकाश, प्रभारी डिपाे, रामपुर रोडवेज डिपो

रामपुर रोडवेज डिपो में मौजूदा समय में 104 रोडवेज बसें संचालित हैं और यह बसें लंबी दूरी तय कर लोगों को बरेली, मुरादाबाद, दिल्ली, आगरा समेत अन्य जिलों में सफर कराती हैं। इन बसों के रखरखाव के लिए अलग से वर्कशाप बनी हुई है जो कि रोडवेज की जमीन पर है। यह इतनी जर्जर हो चुकी है कि इसमें फोरमैन से लेकर कर्मचारियों के बैठने में भी दिक्कत होती है। मेन गेट पर बारिश होने पर तलैया बन जाता है।
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इससे निजात पाने के लिए परिवहन निगम ने कुछ समय पहले रामपुर रोडवेज का वर्कशाप बनाने का फैसला लिया। इसके बाद शासन स्तर से इसको मंजूरी मिल गई। करीब 14 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली थी और इसका ठेका जल निगम को दिया गया था, लेकिन यह निर्माण फंस गया।
दरअसल, रामपुर रोडवेज डिपो बिजली निगम की जमीन पर है। 2006 में परिवहन निगम ने करीब ढाई करोड़ में बिजली निगम से जमीन ली थी, लेकिन तहसील स्तर से कार्रवाई पूरी नहीं की गई थी, जिससे जमीन पूरी तरह से परिवहन निगम के हैंडओवर नहीं हो सकी। जब रोडवेज को पीपीपी मोड पर बनाने और वर्कशाप तैयार करने के लिए चर्चा शुरू हुई तो मामला खुला।
जो कागज रोडवेज डिपो के पास है उसमें सिर्फ जमीन की गाटा संख्या लिखी है, लेकिन इसका भाग अंकित नही हैं, जिस वजह से अब यह वर्कशाप निर्माण अटक गया है।
20 हजार वर्ग मीटर में है डिपो
रोडवेज डिपो मौजूदा समय में 20 हजार वर्ग मीटर के दायरे में फैला हुआ है। इस रोडवेज में 104 बसों का बेड़ा है और यहां से मेरठ, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों के लिए यात्री सफर करते हैं।
वर्कशाप से बसों को निकालने में होती दिक्कत
रात को रोजाना वर्कशाप में बसें खड़ी करने पर इसमें राम-रहीम पुल की वजह से यह सीधे वर्कशाप में नहीं जा पाती। जब सुबह यह बसें निकलती हैं तो पुल के एक साइड में जाम की स्थिति बन जाती है।
अभी मुझे इस मामले के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। अधीनस्थों से बातचीत कर इसके बारे में पता किया जाएगा। इसके आगे की जानकारी लेकर उच्चाधिकारियों से बातचीत की जाएगी।
-रामप्रकाश, प्रभारी डिपाे, रामपुर रोडवेज डिपो