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Rampur News: पालिका की अनदेखी से विकास पर लगे ब्रेक
संवाद न्यूज एजेंसी, रामपुर
Updated Thu, 27 Nov 2025 02:07 AM IST
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रामपुर। नगर पालिका की लापरवाही और अनदेखी की वजह से सालों पहले शुरू की गईं योजनाएं अधर में लटकी हैं। इस वजह से विकास की पटरी पर योजनाएं लगातार दम तोड़ती रही और पूरा नहीं हो सकीं। वहीं वार्ड के बाशिंदे भी इनके पूरा होने का इंतजार करते रहे। अब यह कब तक पूरी होंगी, इसका कोई पता नहीं है।
शहर में मौजूदा समय में 43 वार्ड है और इन वार्डो में करीब चार लाख की आबादी बसर करती है। पालिका अधिकारी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास करते हैं और योजनाओं का क्रियान्वयन कराते है, लेकिन अगर पिछले कई सालों से देखें तो कोई ऐसा काम नहीं जो पालिका ने पूरा करा दिया हो और बेहतर ढंग से चल रहा हो। अगर चंद कार्यों को लें तो इसमें ट्रीटमेंट प्लांट जो लंबे समय से पूरा होने का इंतजार कर रहा है। अब तक रिसाइक्लिंग नहीं हो सकी। दूसरा एमआरएफ सेंटर जिसमें सूखे कचरे का निस्तारण होना था वह भी शुरू नहीं हो सका। एबीसी सेंटर के लिए दो बार टेंडर होने के बाद भी अब तक काम नहीं हो सका और बापू मॉल में अनदेखी के चलते दुकानें नहीं उठ सकी। इसके अलावा सड़क, खड़ंजा और अन्य योजनाएं हैं, जिन पर काम नहीं हो सका। इसमें अभी भी काम अटके हुए है।
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केस -1.
ट्रीटमेंट प्लांट
सालों से कागजों में हो रहा निस्तारण
रामपुर। रामपुर शहर को 43 वार्डों में विभाजित किया गया है। बमनपुरी में अस्थाई ट्रंचिंग ग्राउंड बना हुआ है। इसमें 140 मीट्रिक टन कचरे का उठान होता है। इस कचरे का निस्तारण करने के लिए 25 एकड़ में शहजाद नगर में ट्रीटमेंट प्लांट पांच साल पहले निर्माण शुरू किया गया है। शासन स्तर से 15.60 करोड़ रुपये से इसको बनाया जाना था। इसमें कई बार ठेकेदार ने काम नहीं किया तो कई बार अधिकारियों की अनदेखी रही, जैसे-तैसे निर्माण कार्य पूरा हो गया तो अब तक मशीनों के लिए इंतजार किया जा रहा है। अब तक रिसाइक्लिंग शुरू नहीं हो सकी है।
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केस 2.
एबीसी सेंटर
दो बार हो चुके टेंडर, फिर भी काम शुरू नहीं
रामपुर। रामपुर में इस समय की सबसे ज्वलंत समस्या खूंखार कुत्तों का बधियाकरण है। एक साल पहले 44 लाख का ठेका हुआ था। इसके साथ कुत्ते पकड़ने के लिए कंपनी को हॉयर किया गया था, लेकिन कुछ दिन कुत्ते पकड़े गए और फिर कंपनी चली गई। इसके बाद काम ठप हो गया था। इसके बाद अभी दोबारा से मेसर्स
श्याम हेल्पिंग इनसाइज को 74.25 लाख रुपये का अनुबंध हुआ है, लेकिन इसमें अब तक शुरूआत नहीं हो सकी है। इसके बारे में विभागीय अधिकारी अब तक कर्मचारियों के प्रशिक्षण की बात कह रहे है।
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केस 3.
डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन
कपनी टिक नहीं सकी, सड़कों पर कचरा ही कचरा
रामपुर। रामपुर में दो साल पहले साफ-सफाई की व्यवस्था को निजी हाथों में देने की बात हुई थी। एक पीलीभीत की कंपनी ने इसमें हिस्सा भी लिया था और वार्डो का सर्वे भी किया गया था, लेकिन बाद में बात न बन पाने की वजह से कंपनी चली गई। इसके बाद से अभी तक इसमें दोबारा किसी कंपनी से बात नहीं हो सकी है। लिहाजा, अब डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था ठप पड़ी है और सड़कों पर जगह-जगह कचरा पड़ा हुआ है।
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केस 4.
एमआरएफ सेंटर
बिजली की बाधा दूर, फिर भी शुरू नहीं एमआरएफ सेंटर
रामपुर। हजरतपुर इलाके में अब से दो साल पहले एमआरएफ सेंटर यानी मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर बनाया गया था। इसमें सूखे कचरे का निस्तारण हो सकेगा, जिससे इसमें उत्पाद बनाए जाएंगे और बेचे जाएंगे। 85 लाख रुपये की लागत से इसको बनाया गया था, लेकिन इस सेंटर का संचालन नहीं हो सका। करीब एक साल पहले जब इसमें बिजली कनेक्शन नहीं था तो पालिका ने बिजली विभाग को चार लाख रुपये भी कनेक्शन के लिए दिया था। अमर उजाला के संवाद न्यूज एजेंसी ने प्रमुखता से छापा था। इसके बाद इसमें बिजली कनेक्शन हो सका था। अब सभी तरह से सुविधा होने के बाद भी यह बंद पड़ा है।-- -- -
बोर्ड में प्रस्तावित नए कार्य भी शुरू नहीं-- -
मिल्क पार्लर, मिल्क बूथ स्थापित करने का काम
बापू मॉल की दुकानों को संचालित कराने का काम
141 सड़कों, इंटरलॉकिंग की मरम्मत का कार्य
20 इलाकों में हाईमास्क लाइटें और स्ट्रीट लाइट लगाने का कार्य
35 इलाकों में नई पाइप लाइन डालने और स्वच्छ जल देने का कार्य
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वर्जन:-- --
ट्रीटमेंट प्लांट के लिए मशीनों का इंतजार किया जा रहा है। इसके साथ एमआरएम सेंटर में भी जल्द ही रिसाइक्लिंग शुरू हो जाएगी। इसके अलावा अन्य जो भी योजनाएं हैं, उन पर धीरे-धीरे काम चल रहा है। सभी कार्यों के पूरा करने के प्रयास चल रहे हैं।
-दुर्गेश्वर त्रिपाठी, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका, रामपुर।
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शहर में मौजूदा समय में 43 वार्ड है और इन वार्डो में करीब चार लाख की आबादी बसर करती है। पालिका अधिकारी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास करते हैं और योजनाओं का क्रियान्वयन कराते है, लेकिन अगर पिछले कई सालों से देखें तो कोई ऐसा काम नहीं जो पालिका ने पूरा करा दिया हो और बेहतर ढंग से चल रहा हो। अगर चंद कार्यों को लें तो इसमें ट्रीटमेंट प्लांट जो लंबे समय से पूरा होने का इंतजार कर रहा है। अब तक रिसाइक्लिंग नहीं हो सकी। दूसरा एमआरएफ सेंटर जिसमें सूखे कचरे का निस्तारण होना था वह भी शुरू नहीं हो सका। एबीसी सेंटर के लिए दो बार टेंडर होने के बाद भी अब तक काम नहीं हो सका और बापू मॉल में अनदेखी के चलते दुकानें नहीं उठ सकी। इसके अलावा सड़क, खड़ंजा और अन्य योजनाएं हैं, जिन पर काम नहीं हो सका। इसमें अभी भी काम अटके हुए है।
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केस -1.
ट्रीटमेंट प्लांट
सालों से कागजों में हो रहा निस्तारण
रामपुर। रामपुर शहर को 43 वार्डों में विभाजित किया गया है। बमनपुरी में अस्थाई ट्रंचिंग ग्राउंड बना हुआ है। इसमें 140 मीट्रिक टन कचरे का उठान होता है। इस कचरे का निस्तारण करने के लिए 25 एकड़ में शहजाद नगर में ट्रीटमेंट प्लांट पांच साल पहले निर्माण शुरू किया गया है। शासन स्तर से 15.60 करोड़ रुपये से इसको बनाया जाना था। इसमें कई बार ठेकेदार ने काम नहीं किया तो कई बार अधिकारियों की अनदेखी रही, जैसे-तैसे निर्माण कार्य पूरा हो गया तो अब तक मशीनों के लिए इंतजार किया जा रहा है। अब तक रिसाइक्लिंग शुरू नहीं हो सकी है।
केस 2.
एबीसी सेंटर
दो बार हो चुके टेंडर, फिर भी काम शुरू नहीं
रामपुर। रामपुर में इस समय की सबसे ज्वलंत समस्या खूंखार कुत्तों का बधियाकरण है। एक साल पहले 44 लाख का ठेका हुआ था। इसके साथ कुत्ते पकड़ने के लिए कंपनी को हॉयर किया गया था, लेकिन कुछ दिन कुत्ते पकड़े गए और फिर कंपनी चली गई। इसके बाद काम ठप हो गया था। इसके बाद अभी दोबारा से मेसर्स
श्याम हेल्पिंग इनसाइज को 74.25 लाख रुपये का अनुबंध हुआ है, लेकिन इसमें अब तक शुरूआत नहीं हो सकी है। इसके बारे में विभागीय अधिकारी अब तक कर्मचारियों के प्रशिक्षण की बात कह रहे है।
केस 3.
डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन
कपनी टिक नहीं सकी, सड़कों पर कचरा ही कचरा
रामपुर। रामपुर में दो साल पहले साफ-सफाई की व्यवस्था को निजी हाथों में देने की बात हुई थी। एक पीलीभीत की कंपनी ने इसमें हिस्सा भी लिया था और वार्डो का सर्वे भी किया गया था, लेकिन बाद में बात न बन पाने की वजह से कंपनी चली गई। इसके बाद से अभी तक इसमें दोबारा किसी कंपनी से बात नहीं हो सकी है। लिहाजा, अब डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था ठप पड़ी है और सड़कों पर जगह-जगह कचरा पड़ा हुआ है।
केस 4.
एमआरएफ सेंटर
बिजली की बाधा दूर, फिर भी शुरू नहीं एमआरएफ सेंटर
रामपुर। हजरतपुर इलाके में अब से दो साल पहले एमआरएफ सेंटर यानी मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर बनाया गया था। इसमें सूखे कचरे का निस्तारण हो सकेगा, जिससे इसमें उत्पाद बनाए जाएंगे और बेचे जाएंगे। 85 लाख रुपये की लागत से इसको बनाया गया था, लेकिन इस सेंटर का संचालन नहीं हो सका। करीब एक साल पहले जब इसमें बिजली कनेक्शन नहीं था तो पालिका ने बिजली विभाग को चार लाख रुपये भी कनेक्शन के लिए दिया था। अमर उजाला के संवाद न्यूज एजेंसी ने प्रमुखता से छापा था। इसके बाद इसमें बिजली कनेक्शन हो सका था। अब सभी तरह से सुविधा होने के बाद भी यह बंद पड़ा है।
बोर्ड में प्रस्तावित नए कार्य भी शुरू नहीं
मिल्क पार्लर, मिल्क बूथ स्थापित करने का काम
बापू मॉल की दुकानों को संचालित कराने का काम
141 सड़कों, इंटरलॉकिंग की मरम्मत का कार्य
20 इलाकों में हाईमास्क लाइटें और स्ट्रीट लाइट लगाने का कार्य
35 इलाकों में नई पाइप लाइन डालने और स्वच्छ जल देने का कार्य
वर्जन:
ट्रीटमेंट प्लांट के लिए मशीनों का इंतजार किया जा रहा है। इसके साथ एमआरएम सेंटर में भी जल्द ही रिसाइक्लिंग शुरू हो जाएगी। इसके अलावा अन्य जो भी योजनाएं हैं, उन पर धीरे-धीरे काम चल रहा है। सभी कार्यों के पूरा करने के प्रयास चल रहे हैं।
-दुर्गेश्वर त्रिपाठी, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका, रामपुर।