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Rampur News: प्रमुख सचिव ने पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए लोगों की समस्याएं सुनीं
संवाद न्यूज एजेंसी, रामपुर
Updated Wed, 19 Nov 2025 02:12 AM IST
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मिलक खानम के बेवक्ता गांव स्थित मंदिर परिसर में प्रदेश के प्रमुख सचिव राजस्व के सामने अपनी समस्
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स्वार (रामपुर)। प्रदेश के प्रमुख सचिव राजस्व रणवीर प्रसाद ने क्षेत्र के मझरा बेवकता स्थित डेरा बाबा भूमणशाह पहुंच कर स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान से विस्थापित होकर यहां बसे परिवारों की समस्याएं सुनीं। ग्रामीणों ने काबिज भूमि पर मालिकाना हक की मांग उनके समक्ष रखी। प्रमुख सचिव ने उन्होंने आश्वस्त किया कि वह इस बारे में शासन स्तर से राहत दिलाने का प्रयास करेंगे।
प्रमुख सचिव सोमवार की शाम बेवक्ता का मझरा पहुंचे। यहां स्थित डेरा बाबा भूमणशाह मंदिर परिसर में कार्यक्रम रखा गया, जहां आसपास के लगभग डेढ़ दर्जन गांवों के वे ग्रामीण पहुंचे, जिनके परिजन 1947 से 1949 के बीच पाकिस्तान से भारत आकर बसे थे। रामपुर के तत्काल नवाब ने मिलक खानम क्षेत्र के पीपली वन के निकट बंजर भूमि पर बसाया था। तभी से लगभग ढाई हजार परिवार यहां खेती कर रहे हैं, लेकिन दशकों बाद भी इन्हें भूमि पर मालिकाना हक हासिल नहीं हुआ है। इन परिवारों ने प्रमुख सचिव से मालिकाना हक दिलाने के बारे में अपनी बातें रखीं। पीपली नबीगंज के प्रधान दर्शन लाल कंबोज ने प्रमुख सचिव को पुराने कागजात दिखाए और बुजुर्गों से इतिहास संबंधी जानकारी दी।
प्रमुख राजस्व सचिव ने पीपली वन से सटे कुछ गांवों और भूमि का जायजा भी लिया। ग्रामीणों ने प्रमुख सचिव के सामने बताया कि लगभग 16 गांवों के किसानों को आज तक अपनी जमीनों का मलकाना हक नहीं मिला है। इनमें प्रमुख रूप से मझरा बेवकता, पदमपुर, अहमदनगर, बगी, चांदपुर, नवीगंज, फाजलपुर, नूरपुर समेत कई अन्य गांव शामिल हैं। वन विभाग विस्थापितों की काबिज भूमि को संरक्षित वन की बताता रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि जिस भूमि पर वह छह-सात दशकों से काबिज हैं, वह भूमि पीपली वन क्षेत्र से हटकर है। प्रमुख सचिव ने ग्रामीणें की समस्या को गंभीरता से सुना और आश्वस्त किया कि वह इस सिलसिले में आवश्यक कदम उठाएंगे। निरीक्षण और वार्ता के दौरान एसडीएम स्वार अमन देओल और तहसीलदार भी मौजूद रहे। ग्रामीणों को उम्मीद है कि उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप से अब उनकी लंबे समय से लंबित समस्या का समाधान जल्द हो सकेगा।
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प्रमुख सचिव सोमवार की शाम बेवक्ता का मझरा पहुंचे। यहां स्थित डेरा बाबा भूमणशाह मंदिर परिसर में कार्यक्रम रखा गया, जहां आसपास के लगभग डेढ़ दर्जन गांवों के वे ग्रामीण पहुंचे, जिनके परिजन 1947 से 1949 के बीच पाकिस्तान से भारत आकर बसे थे। रामपुर के तत्काल नवाब ने मिलक खानम क्षेत्र के पीपली वन के निकट बंजर भूमि पर बसाया था। तभी से लगभग ढाई हजार परिवार यहां खेती कर रहे हैं, लेकिन दशकों बाद भी इन्हें भूमि पर मालिकाना हक हासिल नहीं हुआ है। इन परिवारों ने प्रमुख सचिव से मालिकाना हक दिलाने के बारे में अपनी बातें रखीं। पीपली नबीगंज के प्रधान दर्शन लाल कंबोज ने प्रमुख सचिव को पुराने कागजात दिखाए और बुजुर्गों से इतिहास संबंधी जानकारी दी।
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प्रमुख राजस्व सचिव ने पीपली वन से सटे कुछ गांवों और भूमि का जायजा भी लिया। ग्रामीणों ने प्रमुख सचिव के सामने बताया कि लगभग 16 गांवों के किसानों को आज तक अपनी जमीनों का मलकाना हक नहीं मिला है। इनमें प्रमुख रूप से मझरा बेवकता, पदमपुर, अहमदनगर, बगी, चांदपुर, नवीगंज, फाजलपुर, नूरपुर समेत कई अन्य गांव शामिल हैं। वन विभाग विस्थापितों की काबिज भूमि को संरक्षित वन की बताता रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि जिस भूमि पर वह छह-सात दशकों से काबिज हैं, वह भूमि पीपली वन क्षेत्र से हटकर है। प्रमुख सचिव ने ग्रामीणें की समस्या को गंभीरता से सुना और आश्वस्त किया कि वह इस सिलसिले में आवश्यक कदम उठाएंगे। निरीक्षण और वार्ता के दौरान एसडीएम स्वार अमन देओल और तहसीलदार भी मौजूद रहे। ग्रामीणों को उम्मीद है कि उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप से अब उनकी लंबे समय से लंबित समस्या का समाधान जल्द हो सकेगा।