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Saharanpur News: जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के बयान के समर्थन में उतरे उलमा
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देवबंद(सहारनपुर)। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के यूनिवर्सिटी के मुस्लिम चांलसरों पर होने वाली कार्रवाई को लेकर दिए गए बयान पर राजनीति गरमा गई है। एनडीए ने मदनी के बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया है। वहीं उलमा ने समर्थन करते हुए मदनी के बयान को वर्तमान में देश में उपजे हालात का आईना बताया है।
मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि मुसलमानों को लेकर हुकुमत का जो रवैया है, वह किसी से छिपा नहीं है। मुल्क में मुस्लिमों के खिलाफ लगातार जो कार्रवाई हो रही है, उसे सब जानते हैं। उन्होंने मौलाना अरशद मदनी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है, मुसलमानों के अंदर सलाहियत (योग्यता) न हो या शिक्षा के हिसाब से वे कमजोर हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि मुल्क के अंदर मुसलमानों के साथ दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों दिल्ली के हरियाणा भवन में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात के दौरान देश में उपजे हालात पर चर्चा की थी। उन्होंने इसे गंभीरता से लिए जाने का आश्वासन दिया था।
जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि मौलाना अरशद मदनी हमारे बुजुर्ग हैं और बड़े आलिम हैं। उन्होंने जो बात कही है वह बहुत सोच समझ कर कही है, वो बहुत पहले से हालत देखते आ रही है। इसलिए उनकी कोई बात खाली नहीं हो सकती।
बता दें कि जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दारुल उलूम के सदर मुदर्रिस मौलाना अरशद मदनी ने देश के अंदर मुस्लिमों की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति पर जमकर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुस्लिम होने के कारण अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर, पूर्व केबिनेट मंत्री आजम खां और ग्लोकल यूनिवर्सिटी के चांसलर इकबाल के साथ क्या हो रहा है, सब जानते हैं। हिंदुस्तान के अंदर किसी यूनिवर्सिटी का चांसलर कोई मुस्लिम नहीं बन सकता।
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मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि मुसलमानों को लेकर हुकुमत का जो रवैया है, वह किसी से छिपा नहीं है। मुल्क में मुस्लिमों के खिलाफ लगातार जो कार्रवाई हो रही है, उसे सब जानते हैं। उन्होंने मौलाना अरशद मदनी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है, मुसलमानों के अंदर सलाहियत (योग्यता) न हो या शिक्षा के हिसाब से वे कमजोर हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि मुल्क के अंदर मुसलमानों के साथ दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों दिल्ली के हरियाणा भवन में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात के दौरान देश में उपजे हालात पर चर्चा की थी। उन्होंने इसे गंभीरता से लिए जाने का आश्वासन दिया था।
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जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि मौलाना अरशद मदनी हमारे बुजुर्ग हैं और बड़े आलिम हैं। उन्होंने जो बात कही है वह बहुत सोच समझ कर कही है, वो बहुत पहले से हालत देखते आ रही है। इसलिए उनकी कोई बात खाली नहीं हो सकती।
बता दें कि जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दारुल उलूम के सदर मुदर्रिस मौलाना अरशद मदनी ने देश के अंदर मुस्लिमों की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति पर जमकर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुस्लिम होने के कारण अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर, पूर्व केबिनेट मंत्री आजम खां और ग्लोकल यूनिवर्सिटी के चांसलर इकबाल के साथ क्या हो रहा है, सब जानते हैं। हिंदुस्तान के अंदर किसी यूनिवर्सिटी का चांसलर कोई मुस्लिम नहीं बन सकता।