Sambhal: जेट्रोफा का फल खाने से तीन बच्चियों की हालत बिगड़ी, एक ने अस्पताल में तोड़ा दम, गांव में मचा हड़कंप
संभल के साकिन शोभापुर मुंजब्ता गांव में जेट्रोफा के फल खाने से तीन बच्चियों की हालत बिगड़ गई। उन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया। इस बीच एक बच्ची ने दम तोड़ दिया।
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पवांसा ब्लॉक क्षेत्र के गांव साकिन शोभापुर मुंजब्ता में शुक्रवार की दोपहर खाने वाला फल समझकर जेट्रोफा के फल खाने से आठ वर्षीय बबली यादव, तीन वर्षीय नन्हीं और पांच वर्षीय निशा की हालत बिगड़ गई। तीनों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया। शनिवार सुबह बबली की मौत हो गई।
जबकि नन्हीं और निशा को सुधार के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। गांव साकिन शोभापुर मुन्जब्ता की निवासी बबली के ताऊ सुखवीर यादव ने बताया कि तीन साल पहले बबली के पिता की मौत हो गई और मां छोड़कर चली गई।
इस कारण बबली व उसका तीन वर्षीय छोटा भाई प्रदीप उनके पास ही रहता है। बताया कि शुक्रवार दोपहर में बबली और मोहल्ले के ही नन्हीं और निशा खेलते-खेलते एक प्लाॅट में आ गईं और प्लाॅट के परिसर में लगे पेड़ से खाने वाला फल समझकर जेट्रोफा के फल को खा लिया।
एक घंटे बाद लौटी तो तबीयत खराब हो गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराया। शनिवार सुबह में उसकी मौत हो गई। बबली की मौत का सबसे ज्यादा असर उसके भाई प्रदीप पर पड़ेगा। क्योंकि पहले पिता और फिर मां छोड़कर गई। अब बहन भी छोड़कर स्वर्गवासी हो गई।
गांव के मुख्य मार्ग व कई जगह हैं जेट्रोफा
गांव साकिन शोभापुर मुन्जब्ता के निवासी वीरपाल ने बताया कि गांव के मुख्य मार्ग और कई जगह पर जेट्रोफा के पेड़ लगे हुए हैं। ऐसे में बच्चे आसपास में खेलने के लिए निकल जाते हैं। जेट्रोफा पर फल भी गिरे पड़े रहते हैं। जिनको अनजाने में बच्चे खा लेते हैं, जिससे उनकी हालत बिगड़ जाती है।
जेट्रोफा को जंगली एरंड कहते हैं। यह एक बहुउद्देशीय झाड़ीनुमा पौधा है। जेट्रोफा के फल में न्यूरोटॉक्सिक टाइप का जहर होता है। यह सीधे व्यक्ति के दिमाग पर असर डालता है। ज्यादा खाने से व्यक्ति गहरी व लंबी नींद में जा सकता है। एक सीमा से अधिक खाने पर मौत भी हो सकती है। - डॉ. मनोज चौधरी, अधीक्षक, सीएचसी पवांसा