{"_id":"68cc5b5fa971db66f00080b6","slug":"religious-activities-shahjahanpur-news-c-122-1-sbly1038-153040-2025-09-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"Shahjahanpur News: धर्म-कर्म","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Shahjahanpur News: धर्म-कर्म
विज्ञापन

बंडा के गांव पिपरिया घासी में कथा सुनाते मायाराम त्रिवेदी। स्रोत आयोजक
- फोटो : सिविल लाइन स्थित एक होटल में आयोजित प्रेसवार्ता में मौजूद शरद पाठक बाबा व दियरा राज परिवार से जुड़े लोग।
विज्ञापन
वामनावतार लेकर श्रीहरि ने देवताओं को दिलाया राज्य
पुवायां। बंडा के गांव पिपरिया घासी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास मायाराम त्रिवेदी ने बलि और भगवान वामन की कथा सुनाई। कथा व्यास ने कहा कि वामन भगवान विष्णु के पांचवें अवतार हैं, जो त्रेतायुग में असुर राजा बलि के शासनकाल में प्रकट हुए थे। उन्होंने माता अदिति और ऋषि कश्यप के घर जन्म लिया था और एक बौने ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए थे। बलि ने देवताओं से उनका राज्य छीन लिया था। वामन ने राजा बलि से तीन कदम भूमि मांगी और एक कदम में धरती, दूसरे में आकाश तथा तीसरे कदम में राजा बलि के मस्तक पर पैर रखकर उन्हें पाताल लोक भेजा, जिससे देवताओं को उनका राज्य वापस मिल सका। कथा के आयोजन में यजमान उमाशशि, कौशल, अजय, सुमित, गुड्डी देवी, हैप्पी, सुलभ, ऋतिक, मोहन सहित तमाम लोगों का सहयोग रहा। संवाद
--
श्रीकृष्ण के अंगुली पर गोवर्धन उठाने की कथा का वर्णन
रोजा। रेती के बाबा मनोकरण नाथ मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में पांचवें दिन बृहस्पतिवार को कथाव्यास पंडित राहुल कृष्ण दीक्षित ने गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि ब्रजवासियों द्वारा गिरिराज गोवर्धन की पूजा से नाराज होकर इंद्रदेव ने सभी से अपनी पूजा करने के लिए कहा। भगवान श्रीकृष्ण के समझाने पर ब्रजवासी ऐसा करने को सहमत नहीं हुए। इस पर इंद्रदेव ने कुपित होकर मूसलाधार वर्षा करानी शुरू कर दी। ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया और उसके नीचे ब्रजवासियों को बचा लिया। तभी से यह दिन गोवर्धन पूजा पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। कथा के उपरांत भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग का नैवेद्य अर्पित कर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। कथा श्रवण में पंकज मिश्रा, मोहित मिश्रा, आयुष मिश्रा आदि शामिल रहे। संवाद
--
श्रद्धालुओं ने सुनी स्वयंभू मनु और सतरूपा की कथा
पुवायां। गांव सबलापुर में चल रही श्री रामकथा में बृहस्पतिवार को कथा व्यास आशीष कुमार दीक्षित ने स्वयंभू मनु और सतरूपा की कथा सुनाई कथा व्यास ने सुनाया कि मनु और सतरूपा से ही मानवता की उत्पत्ति हुई। बाद में दोनों ने पुत्र उत्तानपाद को राज्य सौंपकर नैमिषारण्य तीर्थ में तप किया। मनु और सतरूपा ने छह हजार वर्षों तक जल का त्याग कर केवल वायु और दस हजार वर्षों तक वायु का भी त्याग कर तप दिया। उनकी इस अडिग तपस्या से भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश प्रकट हुए और वर मांगने के लिए कहा। मनु ने भगवान से अपना दिव्य स्वरूप दिखाने का आग्रह किया। भगवान श्याम वर्ण में प्रकट हुए और मनु-सतरूपा ने उनके दर्शन कर अपने जीवन को धन्य माना। आयोजन में रामप्रताप त्रिवेदी, रामबाबू दीक्षित, उमाकांत मिश्रा, पवन त्रिवेदी, गोविंद त्रिवेदी, शेर सिंह वर्मा, अनुराग मिश्रा, रामकुमार तिवारी आदि का सहयोग रहा। संवाद
--
श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं सुनकर श्रद्धालु हुए भावविभोर
पुवायां। सिंधौली के गांव नगला शाहजहां में कथा व्यास जयप्रकाश दीक्षित ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन करते हुए कथा सुनाई। कथा व्यास ने कहा कि भगवान कृष्ण ने बाल लीलाएं करते हुए कई राक्षसों का वध कर दिया और धरा को राक्षसों से मुक्त किया। श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं बहुत ही चमत्कारी और लोक कल्याणकारी थीं। उनकी बाल लीला देखने के लिए देवी-देवता भी पृथ्वी पर आते थे। श्रीकृष्ण के मिट्टी खाने के प्रसंग का भी वर्णन किया। भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला का प्रसंग सुन श्रद्धालु भावविभोर हो गए। कथा में मुनेश्वर सिंह, महेश सिंह, भारत सिंह, मनोज सिंह, शिवेंद्र सिंह, सुधीर सिंह, मुनेंद्र सिंह, शिवपाल सिंह, वीरेश कुमार सहित तमाम श्रद्धालु मौजूद रहे। संवाद
--
श्रीराम वनवास का प्रसंग सुनकर भावुक हो उठे श्रद्धालु
बंडा। पूरनपुर मार्ग पर मोहल्ला बृजपाल नगर के शिव मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन बृहस्पतिवार को घुंघचाई, पीलीभीत से आए पंडित महेश अवस्थी ने रानी कैकई द्वारा राजा दशरथ से दो वरदान मांगने और भगवान श्रीराम के वनवास का मार्मिक प्रसंग सुनाया। प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावुक हो उठे। कथा व्यास ने कहा कि भगवान राम अपने तीनोंं भाइयों सहित विवाह करके अयोध्या लौटे तो राजा दशरथ ने ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते श्रीराम के राजतिलक की तैयारी शुरू कराई। इसी बीच, दासी मंथरा ने कैकई को भ्रमित कर दिया। राजा दशरथ ने उनसे वरदान मांगने के लिए कहा तो कैकई ने श्रीराम को 14 वर्ष के वनवास और अपने पुत्र भरत को राजगद्दी देने का वरदान मांगकर उन्हें हतप्रभ कर दिया। संवाद
--
कथा में भजनों की रसधारा पर झूम उठे श्रद्धालु
शाहजहांपुर। श्री रुद्र बाला जी धाम पर संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा मोक्ष ज्ञान यज्ञ में छठे दिन जारी रही। आचार्य अंकुर शुक्ल ने श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण और रुकमणी के विवाह का प्रसंग सुनाया। इस बीच सुंदर झांकियां प्रस्तुत की गईं। कार्यक्रम में डॉ.आरके अवस्थी, डॉ. शालू अवस्थी, सुरेंद्र सेठी आदि मौजूद रहे। संवाद

पुवायां। बंडा के गांव पिपरिया घासी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास मायाराम त्रिवेदी ने बलि और भगवान वामन की कथा सुनाई। कथा व्यास ने कहा कि वामन भगवान विष्णु के पांचवें अवतार हैं, जो त्रेतायुग में असुर राजा बलि के शासनकाल में प्रकट हुए थे। उन्होंने माता अदिति और ऋषि कश्यप के घर जन्म लिया था और एक बौने ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए थे। बलि ने देवताओं से उनका राज्य छीन लिया था। वामन ने राजा बलि से तीन कदम भूमि मांगी और एक कदम में धरती, दूसरे में आकाश तथा तीसरे कदम में राजा बलि के मस्तक पर पैर रखकर उन्हें पाताल लोक भेजा, जिससे देवताओं को उनका राज्य वापस मिल सका। कथा के आयोजन में यजमान उमाशशि, कौशल, अजय, सुमित, गुड्डी देवी, हैप्पी, सुलभ, ऋतिक, मोहन सहित तमाम लोगों का सहयोग रहा। संवाद
श्रीकृष्ण के अंगुली पर गोवर्धन उठाने की कथा का वर्णन
रोजा। रेती के बाबा मनोकरण नाथ मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में पांचवें दिन बृहस्पतिवार को कथाव्यास पंडित राहुल कृष्ण दीक्षित ने गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि ब्रजवासियों द्वारा गिरिराज गोवर्धन की पूजा से नाराज होकर इंद्रदेव ने सभी से अपनी पूजा करने के लिए कहा। भगवान श्रीकृष्ण के समझाने पर ब्रजवासी ऐसा करने को सहमत नहीं हुए। इस पर इंद्रदेव ने कुपित होकर मूसलाधार वर्षा करानी शुरू कर दी। ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया और उसके नीचे ब्रजवासियों को बचा लिया। तभी से यह दिन गोवर्धन पूजा पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। कथा के उपरांत भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग का नैवेद्य अर्पित कर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। कथा श्रवण में पंकज मिश्रा, मोहित मिश्रा, आयुष मिश्रा आदि शामिल रहे। संवाद
विज्ञापन
विज्ञापन
श्रद्धालुओं ने सुनी स्वयंभू मनु और सतरूपा की कथा
पुवायां। गांव सबलापुर में चल रही श्री रामकथा में बृहस्पतिवार को कथा व्यास आशीष कुमार दीक्षित ने स्वयंभू मनु और सतरूपा की कथा सुनाई कथा व्यास ने सुनाया कि मनु और सतरूपा से ही मानवता की उत्पत्ति हुई। बाद में दोनों ने पुत्र उत्तानपाद को राज्य सौंपकर नैमिषारण्य तीर्थ में तप किया। मनु और सतरूपा ने छह हजार वर्षों तक जल का त्याग कर केवल वायु और दस हजार वर्षों तक वायु का भी त्याग कर तप दिया। उनकी इस अडिग तपस्या से भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश प्रकट हुए और वर मांगने के लिए कहा। मनु ने भगवान से अपना दिव्य स्वरूप दिखाने का आग्रह किया। भगवान श्याम वर्ण में प्रकट हुए और मनु-सतरूपा ने उनके दर्शन कर अपने जीवन को धन्य माना। आयोजन में रामप्रताप त्रिवेदी, रामबाबू दीक्षित, उमाकांत मिश्रा, पवन त्रिवेदी, गोविंद त्रिवेदी, शेर सिंह वर्मा, अनुराग मिश्रा, रामकुमार तिवारी आदि का सहयोग रहा। संवाद
श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं सुनकर श्रद्धालु हुए भावविभोर
पुवायां। सिंधौली के गांव नगला शाहजहां में कथा व्यास जयप्रकाश दीक्षित ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन करते हुए कथा सुनाई। कथा व्यास ने कहा कि भगवान कृष्ण ने बाल लीलाएं करते हुए कई राक्षसों का वध कर दिया और धरा को राक्षसों से मुक्त किया। श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं बहुत ही चमत्कारी और लोक कल्याणकारी थीं। उनकी बाल लीला देखने के लिए देवी-देवता भी पृथ्वी पर आते थे। श्रीकृष्ण के मिट्टी खाने के प्रसंग का भी वर्णन किया। भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला का प्रसंग सुन श्रद्धालु भावविभोर हो गए। कथा में मुनेश्वर सिंह, महेश सिंह, भारत सिंह, मनोज सिंह, शिवेंद्र सिंह, सुधीर सिंह, मुनेंद्र सिंह, शिवपाल सिंह, वीरेश कुमार सहित तमाम श्रद्धालु मौजूद रहे। संवाद
श्रीराम वनवास का प्रसंग सुनकर भावुक हो उठे श्रद्धालु
बंडा। पूरनपुर मार्ग पर मोहल्ला बृजपाल नगर के शिव मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन बृहस्पतिवार को घुंघचाई, पीलीभीत से आए पंडित महेश अवस्थी ने रानी कैकई द्वारा राजा दशरथ से दो वरदान मांगने और भगवान श्रीराम के वनवास का मार्मिक प्रसंग सुनाया। प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावुक हो उठे। कथा व्यास ने कहा कि भगवान राम अपने तीनोंं भाइयों सहित विवाह करके अयोध्या लौटे तो राजा दशरथ ने ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते श्रीराम के राजतिलक की तैयारी शुरू कराई। इसी बीच, दासी मंथरा ने कैकई को भ्रमित कर दिया। राजा दशरथ ने उनसे वरदान मांगने के लिए कहा तो कैकई ने श्रीराम को 14 वर्ष के वनवास और अपने पुत्र भरत को राजगद्दी देने का वरदान मांगकर उन्हें हतप्रभ कर दिया। संवाद
कथा में भजनों की रसधारा पर झूम उठे श्रद्धालु
शाहजहांपुर। श्री रुद्र बाला जी धाम पर संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा मोक्ष ज्ञान यज्ञ में छठे दिन जारी रही। आचार्य अंकुर शुक्ल ने श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण और रुकमणी के विवाह का प्रसंग सुनाया। इस बीच सुंदर झांकियां प्रस्तुत की गईं। कार्यक्रम में डॉ.आरके अवस्थी, डॉ. शालू अवस्थी, सुरेंद्र सेठी आदि मौजूद रहे। संवाद