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Shamli News: दो बीमा कंपनियों के प्रबंधकों पर 3.92 लाख रुपये का जुर्माना

Meerut Bureau मेरठ ब्यूरो
Updated Fri, 19 Sep 2025 01:03 AM IST
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Managers of two insurance companies fined Rs 3.92 lakh
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संवाद न्यूज एजेंसी
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शामली। वर्ष 2018 में कार चोरी होने के बावजूद बीमा क्लेम नहीं देने पर जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग ने इफको टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड चंडीगढ़ के प्रबंधक और महिंद्र एंड महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड दिल्ली बस स्टैंड शामली के शाखा प्रबंधक को दोषी मानते हुए 3.92 लाख का जुर्माना लगाया। राशि 45 दिन के अंदर आयोग में जमा करने के आदेश दिए।
शामली के मोहल्ला पंसारियान के रहने वाले नौशाद ने आयोग में परिवाद दायर करते हुए कहा कि वह इको कार का मालिक हैं। गाड़ी को उसने महिंद्र एंड महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड दिल्ली बस स्टैंड शामली के शाखा से फाइनेंस कराया था। कंपनी का वाहन बीमा संबंधी टाइअप इफको टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड चंडीगढ़ से है। गाड़ी का इंश्योरेंस भी महिंद्रा फाइनेंस कंपनी से कराया था। बीमा अवधि 14 नवंबर 2017 से 13 नवंबर 2018 थी तथा प्रीमियम की धनराशि 15899 थी। वह 17 जुलाई 2018 को समय सुबह 11 बजे कस्बा बुढ़ाना गया था। कांधला रोड पर कार को खड़ी करने के बाद चाय पीने के लिए चला गया। वापस आने पर कार नहीं मिली। मामले की रिपोर्ट बुढ़ाना थाने में दर्ज कराई गई।
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23 जुलाई 2018 को कस्टमर केयर पर कॉल कर क्लेम दर्ज करा दिया। 31 जुलाई 2018 को चंडीगढ़ से कंपनी का एक कर्मचारी आया तो उसे 12 दस्तावेज बीमा संबंधी दिए गए। 26 जुलाई 2019 को उसके पास कंपनी का एक पत्र आया, जिसमें उसकी पॉलिसी संख्या और क्लेम संख्या को भिन्न दर्शाया गया था। इसके बाद उसके क्लेम को ही निरस्त कर दिया गया। इसमें उसकी लापरवाही दर्शाई गई। जिसके कारण उसे शारीरिक, मानसिक पीड़ा भी झेलनी पड़ी।
जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता ने मामले में सुनवाई की और क्लेम नहीं देने को लेकर इफको टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड चंडीगढ़ के प्रबंधक और महिंद्र एंड महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड दिल्ली बस स्टैंड शामली के शाखा प्रबंधक को दोषी माना। फैसला सुनाया कि बीमा क्लेम की धनराशि 3.32 लाख रुपये मय छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज, दस हजार रुपये परिवाद व्यय, परिवादी को देने के लिए आयोग में जमा करें।
इसके अलावा सेवा में कमी ओर अनुचित व्यवहार के लिए बीमा कंपनी पर पचास हजार का अर्थदंड लगाया जाता है। राशि 45 दिन के अंदर कंपनी को आयोग में जमा करनी होगी, वरना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 71 और 72 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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